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विज्ञान
मंगल ग्रह पर दुनिया के पहले प्लेन के हिस्से के साथ उड़ान भरेगा नासा का Ingenuity हेलिकॉप्टर
Deepa Sahu
24 March 2021 2:14 PM GMT
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नासा ने मंगल ग्रह
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: वॉशिंगटन: नासा ने मंगल ग्रह पर जो Perseverance रोवर भेजा है, वह अपने साथ कई ऐतिहासिक कारनामों को अंजाम देगा। रोवर के साथ गया है एक हेलिकॉप्टर Ingenuity जो किसी दूसरे ग्रह पर उड़ने वाला पहला क्राफ्ट होगा। खास बात यह है कि यह अपने साथ दुनिया के पहले प्लेन का एक हिस्सा भी लेकर गया है। 1903 के राइट फ्लायर (Wright Flyer) में लगे कपड़े का एक हिस्सा इस हेलिकॉप्टर में लगा है।
मलमल का टुकड़ा
Ingenuity 8 अप्रैल को पहली उड़ान भरेगा। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के डायरेक्टर फॉर प्लैनेटरी साइंस बॉबी ब्रॉन का कहना है, 'यह एक राइट ब्रदर्स मोमेंट होगा।' राइट भाइयों के गृहनगर ओहायो में कैरिलॉन हिस्टोरिकल पार्क ने पोस्ट के आकार का मलमल का टुकड़ा नासा को दिया है। यह टुकड़ा पहले प्लेन के बायें विंग के निचले हिस्से में लगा था।
चांद पर भी जा चुका है
सबसे पहली पावर्ड और कंट्रोल्ड फ्लाइट में 17 दिसंबर 1903 को ऑरविल राइट सवार थे और उन्होंने विलबर के साथ बारी-बारी से उस दिन चार उड़ानें भरीं।इस फ्लायर की लकड़ी और कपड़ा चांद पर भी 1969 में अपोलो 11 मिशन पर जा चुका है। हेलिकॉप्टर के सोलर पैनल के नीचे एक केबल में यह कपड़ा लगाया गया है।
Ingenuity 8 अप्रैल को पहली उड़ान भरेगा। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के डायरेक्टर फॉर प्लैनेटरी साइंस बॉबी ब्रॉन का कहना है, 'यह एक राइट ब्रदर्स मोमेंट होगा।' राइट भाइयों के गृहनगर ओहायो में कैरिलॉन हिस्टोरिकल पार्क ने पोस्ट के आकार का मलमल का टुकड़ा नासा को दिया है। यह टुकड़ा पहले प्लेन के बायें विंग के निचले हिस्से में लगा था।
चांद पर भी जा चुका है
सबसे पहली पावर्ड और कंट्रोल्ड फ्लाइट में 17 दिसंबर 1903 को ऑरविल राइट सवार थे और उन्होंने विलबर के साथ बारी-बारी से उस दिन चार उड़ानें भरीं।इस फ्लायर की लकड़ी और कपड़ा चांद पर भी 1969 में अपोलो 11 मिशन पर जा चुका है। हेलिकॉप्टर के सोलर पैनल के नीचे एक केबल में यह कपड़ा लगाया गया है।
क्या है हेलिकॉप्टर का काम?
Ingenuity अभी रोवर के नीचे लगा है और इसकी प्रोटेक्टिव शील्ड हट गई है। यह Jezero Crater में लैंडिंग साइट के करीब ही उड़ान भरेगा। इसका काम दूसरे ग्रहों पर इस टेक्नॉलजी को टेस्ट करना है। अगर यह सफल होता है तो आने वाले मिशन्स में इसकी मदद से ऐसी जगहों पर जाने में मदद मिलेगी जहां रोवर या ऐस्ट्रोनॉट नहीं जा सकते।
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