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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नासा द्वारा यह रोवर नवंबर 2011 में लॉन्च किया गया था और शोध के दौरान यह पाया गया कि उल्कापिंड के प्रभाव में आकर मंगल ग्रह की बर्फ पिघली और वहां पर भयानक बाढ़ आई.
4 अरब साल पहले था पानी
जैक्सन स्टेट यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन का निष्कर्ष सामने आया है. इसके अनुसार प्राचीन उल्कापिंडों के अध्ययन में पाया गया है मंगल ग्रह पर करीब 4 अरब साल पहले पानी बना था.
विनाशकारी बाढ़
वैज्ञानिकों ने क्यूरियोसिटी से मिले आंकड़ों की जांच करने के बाद पता लगाया कि गेल क्रेटर में इस भयावह बाढ़ के पानी की गहराई करीब 78 फीट थी, लेकिन लहरें उठने के बाद यह काफी विनाशकारी हो गई थी. हर सेकेंड एक 32 फीट ऊंची लहर उठ रही थी.
बर्फ पिघलने से आई बाढ़
बताया जा रहा है कि 400 करोड़ साल पहले मंगल ग्रह पर ज्यादा मात्रा में बर्फ रही होंगी और इस पर कोई एस्टेरॉयड आकर गिरा होगा. इस टक्कर के बाद निकली ऊर्जा और गर्मी के कारण बर्फ पिघल गई होगी और इसने भयानक बाढ़ का रूप ले लिया होगा.
मंगल ग्रह पर हवा और पानी
शोध के सह लेखक और कार्नेल यूनिवर्सिटी के अल्बर्टो जी फेयरन ने कहा, 'हमने क्यूरियोसिटी रोवर के आंकड़ों का उपयोग करके मंगल ग्रह पर बाढ़ आने की पहचान की. आंकड़ों के अनुसार लगभग चार अरब वर्ष से मंगल ग्रह पर हवा और पानी मिश्रित यह भूगर्भीय विशेषताएं जमी हुई हैं.