विज्ञान

NASA की Chandra X-ray Observatory ने खोजा नया पिंड, जानें कितना है स्पेशल

Gulabi
9 Feb 2021 3:36 PM GMT
NASA की Chandra X-ray Observatory ने खोजा नया पिंड, जानें कितना है स्पेशल
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नासा (NASA) ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की है

नासा (NASA) ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की है. नासा के चंद्रा एक्स रे वेधाशाला (Chandra X-ray observatory) से ली गई ये तस्वीर ब्रह्माण्ड (Universe) के अजीबोगरीब पिंड पल्सर (Pulsar) की है. यह पिंड अपने आप में अजीब सी है, लेकिन यह तस्वीर बेहद खूबसूरत है. सोशल मीडिया पर किसी ने इसकी तुलना गुलाब से की है तो कोई इसे एक खूबसूरत खगोलीय घटना मान रहा है. यह तस्वीर जितनी रोचक है उतने ही रोचक पल्सर पिंड भी होते है.


क्या कहता है नासा (NASA)
आपको बता दें कि नासा (NASA) ने इस खास पल्सर (Pulsar) की तस्वीर का लिंक लोगों को अपना वॉलपेपर बनाने के लिए दिया है. नासा ने बताया कि इस पल्सर का व्यास 20 किलोमीटर है और उस तस्वीर में दाईं तरफ का पल्सर SXP 1062 है जो बहुत धीमी गति से घूम रहा है. यह 18 मिनट में अपना एक चक्कर लगा पाता है. पल्सर से विकिरण उत्सर्जन (Radiation Emission) दूसरे खगोलीय पिंडों की तुलना में बहुत ही अलग तरह से होता है.

अब तक का सबसे तेज पल्सर

नासा (NASA) ने ब्रह्माण्ड (Universe) के अब तक के खोजे गए सबसे तेज पल्सर (Pulsar) के बारे में बताया है कि सबसे तेज पल्सर PSR J1748-2446ad है जो एक ही सेकेंड में 716 बार अपना चक्कर लगाता है. उसका घूर्णन (Rotation) ही उसे एक विशेषता देता है क्योंकि उसकी वजह से जो विकिरणों की बीम (Radiation Beam) निकलती है वह भी घूमती है.

क्या होता है पल्सर
दरअसल पल्सर एक विशालकाय तारे (Massive star) का सेंटर होता है जो सुपरनोवा (Spernova) के तौर पर विस्फोटित होता है. ये न्यूट्रॉन तारे (Neutron star)संकुचित होकर चुंबकीय (Magnetic) हो जाते हैं और एक घूमती हुई गेंद में तब्दील हो जाते हैं. साधारणतः इनका वजन 5 लाख पृथ्वी (earth) के जितना होता है, लेकिन उनका आकार वाशिंगटन डीसी शहर के जैसा होता है.

पल्सर की सबसे बड़ी खासियत है उत्सर्जन

आपको बता दें कि पल्सर (Pulsar) की सबसे बड़ी खासियत होती है उसका उत्सर्जन (Emission). एक पल्सर से विशाल मात्रा में रेडियो तरंगें (Radio Waves), प्रकाश, एक्स रे (X-Rays) विकिरण और गामा (Gama) विकिरण निकलते हैं. जब ये उत्सर्जित विकरण पृथ्वी (Earth) पर पड़ती है तो ऐसा लगता है कि ये उत्सर्जन किसी पल्स या नाड़ी तरह से नियमित कंपन कर रहे हैं. इसीलिए इन पिंडों को पल्सर कहा गया है जो मूल रूप से एक तरह के न्यूट्रॉन तारे (Neutron Star) और मैग्नेटर (Magentar) होते हैं.

गैस और धूल का बड़ा पिंड
वैज्ञानिकों के अनुसार, SXP 1062 एक सुपरनोवा (Supernova) का अवशेष है जो पल्सर (Pulsar) के आसपास एक बिखरी हुई एक्स रे (X-Rays) और प्रकाशीय खोल (Optical Shell) की वजह से है यह पल्सर उन हजारों पल्सर में से एक है जिसे चंद्रा वेधशाला(Chandra X-Ray Observatory) ने 1999 से अब तक खोजे हैं. शोधकर्ताओं ने चंद्रा की तस्वीर और प्रकाशीय तस्वीर की तुलना करने पर पाया है कि इस पल्सर का गर्म और विशालकाय साथी है. जो एक गैस और धूल का बड़ा पिंड है.

खगोलविदों के लिए खास
SXP 1062 बेहद दिलचस्प है क्योंकि इसकी घूमने की गति (Speed Of Rotation) बहुत कम है. यह अपना एक घूर्णन पूरा करने में 18 मिनट का समय लगाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह पल्सर (Pulsar) दस से चालीस हजार साल पुराना है. पृथ्वी (Earth) के हिसाब से यह बहुत पुराना पल्सर लगता हो, लेकिन खगलोयीन पैमानों पर यह बिलकुल युवा पल्सर है. खगोल वैज्ञानिकों को लगता है कि यह उसी विस्फोट के समय बना था जिससे सुपरनोवा (Supernova) का अवशेष बने थे.


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