विज्ञान

5 साल बाद शनि के टाइटन पर नासा भेजेगा रोटोक्राफ्ट

Subhi
7 Oct 2022 6:04 AM GMT
5 साल बाद शनि के टाइटन पर नासा भेजेगा रोटोक्राफ्ट
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सौरमंडल (Solar System) में फिलहाल पृथ्वी के अलावा ऐसा कोई ग्रह नहीं हैं जहां किसी भी प्रकार का जीवन हो सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सौरमंडल में कहीं और जीवन हो ही नहीं सकता है.

सौरमंडल (Solar System) में फिलहाल पृथ्वी के अलावा ऐसा कोई ग्रह नहीं हैं जहां किसी भी प्रकार का जीवन हो सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सौरमंडल में कहीं और जीवन हो ही नहीं सकता है. खगोलविदों और वैज्ञानिकों शनि (Saturn) और गुरु के कुछ चंद्रमाओं से काफी उम्मीदे हैं. शनि के चंद्रमा टाइटन (Titan) ऐसा ही पिंड है जहां की सतह के नीचे हाइड्रोकार्बन की झीलें हैं और जीवन का कोई ना कोई रूप हो सकता है. नासा इसी टाइटन के अध्ययन के लिए एक रोबोटिक रोटोक्राफ्ट भेजने की तैयारी में है. ड्रैगनफ्लाई नाम का यह रोबोक्राफ्ट साल 2027 में टाइटन के लिए रवाना होगा.

यह ड्रैगनफ्लाई रोबोक्राफ्ट शनि (Saturn) के सबसे चंद्रमा टाइटन (Titan) पर साल 2034 में पहुंचेगा और वहां के सेल्क क्रेटर के पास के साग्री ला टीले पर उतरेगा. इस क्षेत्र को शोधकर्ता वैज्ञानिक तौर पर बढ़िया इलाके के रूप में देखते हैं जिसका अवलोकन अध्ययन के लिहाज से बहुत सारी जानकारी दे सकता है. एक नए अध्ययन ने इलाके के छह हिस्सों का नक्शा बनाया है जिन्हें ऐसी जगहों के रूप में चिह्नित किया जो रेत के टीले या बर्फीले मैदान से ढके हों. यह ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) के उतरने के लिए आदर्श हो सकते हैं.

न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक लेउ बोनेफॉय ने बताया कि ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) टाइनट (Titan) की भूमध्यय रेखा के सूखे इलाके में उतरेगा जहां बहुत ही ठंडा और मोटा वायुमडंल वाला हाइड्रोगकार्बन का संसार है. कई बार वहां तरल मीथेन की बारिश होती है. लेकिन कई जगह वहां पृथ्वी (Earth) के रेगिस्तान के से हालात हैं, जहां रेत के टीले हैं , छोटे पहाड़ हैं और इम्पैक्ट क्रेटर भी हैं. बोनेफॉय का कहना है कि उनकी टीम लैंडिंग साइट, उसकी संरचना और सतह पर नजदीकी से नजर रखे हुए हैं.

इन इलाकों पर कैसिनी प्रोब (Cassini Probe) के द्वारा ली गई तस्वीरों के जरिए विस्तृत विश्लेषण कर नजदीकी नजर रखी जा रही है. इसमें राडार संकेतों में बदलाव, अलग अलग कोणों से उनके प्रतिबिम्ब, जिन्हें बैकस्कैटर कर्व्स कहा जाता है, आदि के जरिए शोधकर्ता टाइटन (Titan) की सतह के बारे में कुछ कुछ अंदाजा लगा पाए हैं. कैसिनी की तस्वीरों की विभेदन केवल 300 मीटर प्रति पिक्सेल ही है टीम ने ह्यूजेन्स लैंडर से मिले आंकड़ों को भी अपने अध्ययन में शामिल किया था जो नई लैंडिंग साइट के दक्षिण में उतरा था.

अभी तक बहुत सारी विस्तृत जानकारी जैसे टाइटन (Titan) सेल्क क्रेटर (Salk) का आकार और ऊंचाई एक आंकलन ही हैं लेकिन अभी साल 2034 से पहले काफी जानकारी जुटाने की जरूरत है. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक एलेक्स हायेस का कहना है कि अगले कई सालों में सेल्क क्रेटर इलाके का गहराई से अध्ययन करने के कई मौके मिलने वाले हैं.

ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) एक तरह का रोटोक्राफ्ट (Rotorcraft) होगा जो एक हेलीकॉप्टर के जैसा होगा जो उसी तरह से काम करेगा जैसे एक ड्रोन काम करता है. इसका भार करीब 450 किलोग्राम होगा जिसलमें 8 रोटर्स होंगे और हर रोटर का व्यास एक मीटर होगा. टाइटन (Titan) में कम हवा और कम गुरुत्व होता है यहां ड्रैगनफ्लाई की अधिकतम गति 36 किलोमीटर प्रति घंटा होगी जिससे यह अपने लैंडिंग साइट से दूर कई लंबी उड़ान भर सकेगा.

टाइटन (Titan) में कई ऐसी विशेषताएं हैं जिनकी तुलना शुरुआती पृथ्वी (Earth) से की जा सकती है. इस चंद्रमा के जरिए वैज्ञानिक पृथ्वी के इतिहास के बारे में भी जानने की उम्मीद कर रहे हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) के पहुंचने से हमें टाइटन के बारे में वैसे ही विस्तार से पता चल सकेगा जैसा कि क्यूरोसिटी रोवर भेजने पर हमें मंगल के बारे में जानकारी मिली थी.

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