विज्ञान

Hubble Telescope के जरिए ब्रह्मांड के अनेक राजों को उजागर करेगा NASA, जानें हबल स्पेस टेलिस्कोप का इतिहास

Gulabi
13 May 2021 12:52 PM GMT
Hubble Telescope के जरिए ब्रह्मांड के अनेक राजों को उजागर करेगा NASA, जानें हबल स्पेस टेलिस्कोप का इतिहास
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NASA के हबल स्पेस टेलिस्कोप का नाम सुनते ही हमारे जेहन में उसके द्वारा ली गई अंतरिक्ष की खूबसूरत तस्वीरें

NASA के हबल स्पेस टेलिस्कोप (Hubble Space Telescope) का नाम सुनते ही हमारे जेहन में उसके द्वारा ली गई अंतरिक्ष की खूबसूरत तस्वीरें दिखाई देने लगती हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस टेलिस्कोप को अंतरिक्ष में भेजने से पहले कई दशकों तक प्लानिंग की गई थी. इसके बाद ही इसे 24 अप्रैल 1990 को लॉन्च किया गया. हालांकि, अपनी लॉन्चिंग के बाद से ही इसने एक से बढ़कर एक खूबसूरत तस्वीरों को धरती पर भेजा है.


ब्रह्मांड की उम्र बताने से लेकर सौरमंडल में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखने वाला हबल टेलिस्कोप मानवता का सबसे बेहतरीन उपकरण बनकर उभरा है. हबल टेलिस्कोप पिछले 31 सालों से अंतरिक्ष में अपनी सेवाएं दे रहा है. इस साल के अंत तक NASA अपने जेम्स वेब टेलिस्कोप (James Webb Telescope) को हबल के उत्तराधिकारी के रूप में अंतरिक्ष में भेजेगी. ऐसे में आइए एक बार हबल टेलिस्कोप की कल्पना से लेकर उसके अंतरिक्ष में जाने तक की पूरी टाइमलाइन को देखा जाए.

1946: येल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट लिमन स्पिट्जर जूनियर ने 1946 में एस्ट्रोनोमी का महत्व बताया और एक बड़े स्पेस टेलिस्कोप का आइडिया दिया.

1957: सोवियत यूनियन ने चार अक्टूबर 1957 को अपनी पहली सैटेलाइट स्पुतनिक 1 को लॉन्च किया. इसके साथ ही अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच स्पेस को लेकर दौड़ शुरू हो गई.

1958: अमेरिका ने एक अक्टूबर 1958 को 'नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (NASA) अपनी स्थापना के बाद प्रभावी हो गया. इसकी स्थापना इसी साल 29 जुलाई को कर दी गई थी.

1969: इस साल नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ने 'विशाल स्पेस टेलिस्कोप के वैज्ञानिक प्रयोग' को लेकर एक स्टडी प्रकाशित की, जिसने हबल को समर्थन दिया.

1977: अमेरिकी कांग्रेस ने एक अक्टूबर 1977 को फंडिंग की मंजूरी दे दी और प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई.

1978: दिसंबर 1978 में विशालकाय अंतरिक्ष टेलीस्कोप के लिए 2.4-मीटर (7.9-फीट) के प्राइमरी मिरर को लेकर ग्राइंडिंग का काम शुरू हुआ.

1983: इस साल विशालकाय स्पेस टेलिस्कोप का नाम बदलकर खगोलविद एडविन हबल के सम्मान में रखा गया. उन्होंने साबित किया था कि हमारे ब्रह्मांड में अन्य आकाशगंगाएं मौजूद थीं और वे हमारी मिल्की वे आकाशगंगा से दूर बढ़ रही हैं.

1990: 24 अप्रैल 1990 को स्पेस शटल डिस्कवरी फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया. इसमें पांच अंतरिक्षयात्री और हबल स्पेस टेलिस्कोप सवार थे. इसके एक दिन बाद इसे अंतरिक्ष में तैनात कर दिया गया.

1990: हबल स्पेस टेलिस्कोप ने 20 मई 1990 को अपने वाइड फील्ड और प्लैनेटरी कैमरा के जरिए पहली तस्वीर को खींचा.

1991: 16 जनवरी को 1991 को हबल टेलिस्कोप ने सुपरनोवा 1987A के अवशेष की जानकारी देने के दौरान एक बोनस जानकारी NASA को दी. दरअसल, इसने हमारी पड़ोसी आकाशगंगा की सटीक दूरी की जानकारी को दिया. ये दूरी 1,69,000 प्रकाशवर्ष थी.

1991: हबल स्पेस टेलिस्कोप ने 17 मई 1991 को बृहस्पति ग्रह की पहली तस्वीर को खींचा और इसका ऑब्जर्वेशन किया. इस तस्वीर में भी बृहस्पति के उस बड़े लाल धब्बे को देखा गया.

1992: टेलिस्कोप ने 19 नवंबर 1992 को देखा कि पृथ्वी से करीब 4.5 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर स्थित आकाशगंगा NGC 4261 में एक अजीब घटना हो रही है. दरअसल, NGC 4261 के सिरे पर एक ब्लैक हॉल मौजूद है, जो आस-पास की चीजों को अपनी ओर खींच रहा है.

1993: एस्ट्रोनोमर्स ने हबल के जरिए ऐलान किया कि उन्होंने M81 आकाशगंगा की सटीक दूरी का पता लगा लिया है, जो 1.1 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर है. इस सटीक दूरी के जरिए एस्ट्रोनोमर्स को ब्रह्मांड के फैलने और इसकी उम्र की जानकारी मिली. उस समय बताया गया कि ब्रह्मांड की उम्र 10 से 20 अरब साल है. हालांकि, वर्तमान में इसकी उम्र 13.8 अरब साल बताई जाती है.

1994: हबल टेलिस्कोप के जरिए किए गए ऑब्जर्वेशन से 25 मई 1994 को बताया गया कि मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र में एक महाविशालकाय ब्लैक हॉल मौजूद हैं. पृथ्वी से इसकी दूरी पांच करोड़ प्रकाशवर्ष है.

1994: हबल का उपयोग करने वाले वैज्ञानिकों ने आठ नवंबर 1994 को ऐलान किया कि उन्होंने शनि के चंद्रमा टाइटन पर सतह की विशेषताओं की पहली तस्वीर तैयार की है. टाइटन का वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल के मुकाबले चार गुना ज्यादा सघन है, जिसमें नाइट्रोजन इसका प्राथमिक घटक है.

1995: एस्ट्रोनोमर्स ने ऐलान किया कि उन्होंने हबल टेलिस्कोप के जरिए बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर ऑक्सीजन की मौजूदगी का पता लगाया है. ये पहली बार था जब एस्ट्रोनोमर्स ने एक उपग्रह के वातावरण में ऑक्सीजन की पहचान की थी.

1996: एस्ट्रोनोमर्स ने हबल द्वारा ली गई प्लूटो की तस्वीरों को प्रकाशित किया, जिसने पहली बार इस बौने ग्रह की सतह की जानकारी दी. तस्वीर के जरिए सतह पर चमकदार भिन्नताएं दिखाई दीं.
1999: छह जनवरी को हबल ने रिंग नेबुला की तस्वीर को जारी किया, जिसे 200 साल पहले फ्रांसीसी खगोलशास्त्री चार्ल्स मेसियर ने खोजा था. इसे मेसियर 57 (M57) के रूप में सूचीबद्ध किया था. ये नेबुला एक मरते हुए तारे से निकल रही गैस की वजह से तैयार हुआ था.

2000: एस्ट्रोनोमर्स ने घोषणा की कि उन्होंने हबल का प्रयोग करते हुए लापता हाइड्रोजन की खोज की है. ये हाइड्रोजन बिंग-बैंग के दौरान बना था, लेकिन बाद में गायब हो गया.

2001: 27 नवंबर को एस्ट्रोनोमर्स ने बताया कि हबल ने किसी एक एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल का पहला प्रत्यक्ष माप किया है. हबल ने पृथ्वी से करीब 150 प्रकाशवर्ष दूर स्थित हमारे सूरज की तरह एक तारे का चक्कर लगाने वाले एक्सोप्लैनेट के वातावरण में सोडियम का पता लगाया. इस एक्सोप्लैनेट को HD 209458 कहा गया.

2005: एस्ट्रोनोमर्स ने 31 अक्टूबर को हबल से दो पहले अनदेखे चंद्रमाओं को दिखाते हुए खींची गई तस्वीर को जारी किया. ये दोनों चंद्रमा बौने ग्रह प्लूटो की परिक्रमा कर रहे थे. इससे प्लूटो के सिस्टम को समझने में मदद मिली.

2005: हबल टेलिस्कोप ने अरुण ग्रह की दो पहले कभी नहीं देखे गए विशाल धूल भरे छल्लों और दो चंद्रमाओं का पता लगाया. हबल ने ये भी दिखाया कि पिछले दशक में अरुण ग्रह के आंतरिक चंद्रमाओं की कक्षाओं में काफी बदलाव आया है.

2008: हबल के एस्ट्रोनोमर्स ने एक एक्सोप्लैनेट के वातावरण में मीथेन की खोज का ऐलान किया. मीथेन HD 189733b नामक बृहस्पति के आकार के ग्रह पर पाया गया. ये पहला मौका था, जब किसी एक एक्सोप्लैनेट पर कार्बनिक अणु का पता लगाया गया हो.


2012: 31 मई को एस्ट्रोनोमर्स ने घोषणा की कि हमारी मिल्की वे आकाशगंगा लगभग 4 अरब सालों में एंड्रोमेडा आकाशगंगा के साथ टकरा जाएगी. एंट्रोमेडा आकाशगंगा वर्तमान में 25 लाख प्रकाशवर्ष दूर है, लेकिन ये तेजी से आगे बढ़ रही है

2014: वैज्ञानिकों ने हबल की एक तस्वीर को जारी करते हुए दिखाया कि बृहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट पहले की तुलना में छोटा हो रहा है, जो यह दर्शाता है कि ग्रह पर जारी विशालकाय तूफान सिकुड़ रहा है.

2017: एस्ट्रोनोमर्स ने बताया कि उन्होंने स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए TRAPPIST-1 नामक तारे की परिक्रमा करने वाले सात पृथ्वी के आकार के ग्रहों की खोज की. वहीं, हबल ने तारे के रहने योग्य क्षेत्र में रहने वाले तीन ग्रहों सहित चार ग्रहों के वायुमंडल की जांच की. हबल द्वारा की गई जांच से पता चला कि इनमें से दो ग्रहों की सतह चट्टानी है.

2018: हबल टेलिस्कोप द्वारा ली गई अब तक के सबसे दूरस्थ तारे इकारस की तस्वीर को दो अप्रैल को जारी किया गया. विशाल नीला तारा एक बहुत दूर की सर्पिल आकाशगंगा में रहता है और इतना दूर है कि इसके प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 9 बिलियन वर्ष लग गए हैं.
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