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अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के वॉयजर 1 स्पेसक्राफ्ट ने हमारे सौरमंडल के बाहर एक अजीब तरह की ‘हम्म’ की आवाज को रिकॉर्ड किया
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के वॉयजर 1 स्पेसक्राफ्ट (Voyager 1) ने हमारे सौरमंडल (Solar System) के बाहर एक अजीब तरह की 'हम्म' की आवाज को रिकॉर्ड किया है. वॉयजर 1 इंसान का बनाई ऐसी वस्तु है, जो पृथ्वी से सबसे दूर स्थित है. इस स्पेसक्राफ्ट के जोड़े को 44 साल पहले सौरमंडल के किनारे की ओर भेजने के लिए लॉन्च किया गया था. वॉयजर स्पेसक्राफ्ट इस दौरान सौरमंडल के किनारे को पार करते हुए उससे आगे बढ़ चुका है. ये हमारे सौरमंडल के उस हिस्से में पहुंच गया है, जहां हमारे सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंचती है.
स्पेसक्राफ्ट में लगे उपकरणों ने स्पेस से लगातार आ रही इन आवाजों को समझने का प्रयास किया. इसे लेकर माना जा रहा है कि ये ये हमारे पड़ोसी आकाशगंगा से परे ब्रह्मांड का शोर है. इस शोर को लेकर कहा गया है कि ये इंटरस्टेलर गैस या प्लाज्मा तरंगें हैं, जो सितारों के बीच खाली जगह में मौजूद हैं. खगोल विज्ञान में कॉर्नेल डॉक्टरेट छात्र और इस शोर का पता लगाने वाली स्टेला कोच ओकर ने कहा कि ये आवाज बेहद ही धीमी और नीरस है, क्योंकि ये इसकी बैंडवीथ फ्रीक्वेंसी बहुत कम है. हम इस 'हम्म' वाली आवाज के बारे में अधिक जानकारी का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
कहीं इस वजह से तो नहीं आ रही है आवाज
इस खोज से पता चलता है कि वैज्ञानिकों की जानकारी की तुलना तारों के बीच बहुत कुछ हो रहा है. वैज्ञानिक अभी इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि वो कौन सी गतिविधि है, जिसकी वजह से ये शोर हो रहा है. लेकिन उन्हें लगता है कि ये थर्मल वाले प्लाज्मा के कंपन की वजह से हो रहा है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वे वॉयजर के जरिए सौरमंडल की सीमा पर चीजों को समझने की कोशिश कर सकते हैं. उन्हें ये भी समझने की उम्मीद है कि अंतरिक्ष का बाहरी वातावरण कैसे सौरमंडल की सीमाओं को व्यापक करता है.
बाहरी अंतरिक्ष एक शांत जगह
वॉयजर 1 स्पेसक्राफ्ट जब सौरमंडल से परे इलाके में पहुंचा तो इसने गैस में होने वाली गड़बड़ी का पता लगाया है, जो बाहरी अंतरिक्ष में हो रही है. इसके लिए हमारा सूरज जिम्मेदार है और इस जानकारी को धरती पर भेजा जाएगा. लेकिन इस दौरान उसने लगातार 'हम्म' जैसी आवाज का भी पता लगाया है. 'जॉर्ज फेल्डस्टीन खगोल विज्ञान के प्रोफेसर' के वरिष्ठ लेखक जैम्स कोर्ड्स ने कहा कि बाहरी अंतरिक्ष एक बेदह ही शांत और धीमी होने वाली बरसात की तरह है. सौर प्रकोपों के मामले में ये बिल्कुल बिजली की गड़गड़ाहट की तरह होता है.
पृथ्वी से 14 अरब मील दूर है वॉयजर
NASA का वॉयजर 1 पृथ्वी से 14 अरब मील दूर मौजूद है और हर दिन ये दूरी बढ़ती जा रही है. इस वजह से ये बेदह ही सीमित संख्या में जानकारी को पृथ्वी पर वापस भेज सकता है. इस स्पेसक्राफ्ट से वैज्ञानिकों को हर सेकेंड सिर्फ 160 बाइट्स जानकारी मिलती है. जब इस स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया गया था, तो ये 21 किलोबाइट तक जानकारी भेज सकता था. वॉयजर की जानकारी को पृथ्वी पर मौजूद डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए ट्रांसमिट किया जाता है. डीप स्पेस नेटवर्क धरती पर चारों ओर डॉट की तरह फैले हुए हैं.
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