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दक्षिण प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के टोंगा (Tonga) द्वीपों के बीच हुए ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption) को एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है
दक्षिण प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के टोंगा (Tonga) द्वीपों के बीच हुए ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption) को एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है. बीते 15 जनवरी को हुआ यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि अंतरिक्ष से विभिन्न सैटेलाइट ने ना केवल राख के विशाल बादलों को देखा, बल्कि आवाज की गति से भी तेज वायुमंडलीय प्रघाती तरंगों को भी पकड़ सके जो ज्वाला मुखी से निकली थी. अब नासा वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था, जिसके आगे हिरोशिमा में गिराए गए बम की शक्ति बहुत कम थी.
अभी तक राहत कार्यों में हो रही है परेशानी
इस विस्फोट का असर बचे हुए आसपास के रहवासियों पर भी मनौवैज्ञानिक तौर पर बहुत गहरा हुआ है. इसकी वजह से पैदा हुई सुनामी की वजह से राहतकार्य शुरू करने में भी काफी परेशानी हो रही है. रविवार को प्रभावित इलाके और बाहर की दुनिया के बीच संपर्क और संचार मुशकिलों की ही सामना करता रहा. जहां कुछ इंटरनेट सेवाएं तो बहाल हो सकीं, लेकिन बहुत से द्वीप फोन सेवाओं से अब भी कटे ही हैं. रेडक्रॉस ने टोंगा के प्रमुख द्वीप में कई टेंट, खाना और भोजन आदि प्रदान करने का कर रहा है.
क्या कहना है नासा का
नासा की पृथ्वी वेधशाला ने कहा है कि हुंगा टोंगा- हुंगा हापाई ज्वालामुखी ने 40 किलोमीटर ऊंचाई तक वायुमंडल में अवशेष उछाल दिए. इस ज्वालामुखी विस्फोट के कारण विशाल सुनामी लहरें पैदा हो गईं. प्रेस रिलीज में नासा के वैज्ञानिक जिम गार्विन ने बताया, "हमें लगता है कि प्रस्फोट उत्सर्जन में निकली हुई ऊर्जा का मात्रा 5 से 30 मेगाटन टीएनटी की ऊर्जा के बराबर था.
हिरोशिमा बम से कितना शक्तिशाली
नासा का मानना है कि प्रस्फोट अगस्त 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर गिराया गया आणविक बम से भी सैंकड़ों गुना ज्यादा शक्तिशाली था. उस बम की शक्ति 15 किलोटन टीएनटी के बराबर आंकी गई थी. नासा का यह भी कहना है कि इस विस्फोट से टोंगा की राजधानी नुकुआलोपा से 65 किलोमीटर उत्तर में एक पूरे ज्वालामुखी द्वीप का नामोनिशान मिट गया है.
कितने लोगों की मौत
इस विस्फोट से निकली जहरीली राख द्वीपसमूह पर पीने के पानी को जहरीला कर गई, फसलों को नष्ट कर कम से कम दो गावों को पूरी तरह से साफ ही कर गई. इसकी वजह से टोंगा में कम से कम तीन लोग मारे गए. इससे पैदा हुई सुनामी से कारण दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के तटीय क्षेत्र के बीच में दो लोग डूब कर मर गए.
पर्यावरणीय आपदा
पेरू के अधिकारियों ने इसे एक पर्यावरणीय आपदा घोषित कर दिया है. इसमें लहरों से एक तेल का टैंकर का टकराया और उसका तेल तटों के पास फैल गया. वहीं टोंगा में विनाश का स्तर अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है. अब भी वहां संचार व्यवस्था की बहाली की प्रतीक्षा हो रही है. लोग प्रघात तरंगों के कारण एक तरह से सदमे में हैं और समान्य होने के समय लग रहा है.
राहत की प्रयास जारी
ऐसा नहीं है कि दुनिया की ओर से बचाव और सहायता कार्य नहीं भेजा जा रहा है. जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा बलों ने आपात रूप से राहत सामग्री, खास तौर से पानी, पहुंचाना शुरू कर भी दिया है. इस दौरान टोंगा को कोरोना वायरस से संक्रमण से मुक्त रखने के लिए सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल का भी पालन किया जा रहा है
इस विस्फोट की तीव्रता बहुत ही ज्यादा है इसका अंदाजा तो पहले ही लग गया था जब विस्फोट से पैदा हुईं सुनामी लहरें, अलग अलग तीव्रता के साथ प्रशांत महासागर को चारों ओर तटीय इलाकों तक पहुचीं. इसमें न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अलास्का, उत्तर और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट शामिल हैं. वहीं वायुमंडलीय प्रघात तंरगें भारत तक में महसूस की गईं.
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