विज्ञान

शुक्र ग्रह का वातावरण जांचने और उसका नक्‍शा तैयार करने के लिए NASA 30 साल बाद भेज रहा अंतरिक्ष यान

Gulabi
3 Jun 2021 9:42 AM GMT
शुक्र ग्रह का वातावरण जांचने और उसका नक्‍शा तैयार करने के लिए NASA 30 साल बाद भेज रहा अंतरिक्ष यान
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NASA 30 साल बाद भेज रहा अंतरिक्ष यान

वॉशिंगटन: पृथ्‍वी की 'जुड़वा बहन' कहे जाने वाला शुक्र ग्रह हमेशा से ही इंसानों को आकर्षित करता रहा है। मंगल ग्रह पर फतह हासिल करने के बाद अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के रहस्‍यों से पर्दा उठाना चाहती है। नासा करीब 30 साल बाद दो नए अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह की ओर भेजने जा रही है। इन दोनों मिशनों पर करीब 50 करोड़ डॉलर की लागत आएगी। माना जा रहा है कि अगले 10 साल के अंदर इन दोनों मिशनों को भेजा जाएगा।

नासा के मुख्‍य प्रशासक बिल नेल्‍सन ने बताया कि इन दोनों ही मिशनों का नाम DAVINCI+ और VERITAS नाम दिया गया है। नासा ने एक बयान जारी करके कहा, 'इन मिशनों का उद्देश्‍य शुक्र ग्रह को समझना है जिससे यह पता चल सके कि पृथ्‍वी जैसी कई विशेषता होने के बाद भी यह ग्रह नरक जैसा क्‍यूं बन गया।' एजेंसी ने कहा कि शुक्र ग्रह सौर व्‍यवस्‍था में पहला ऐसा ग्रह हो सकता है जहां लोग रह सकते थे और वहां पृथ्‍वी की तरह समुद्र और जलवायु था।
शुक्र ग्रह इतना गरम क्‍यों हो गया? चलेगा पता
अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि DAVINCI+ अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह के वातावरण का आकलन करेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि कैसे इसका निर्माण हुआ। यह भी पता लगाएगा कि क्‍या इस ग्रह पर धरती की तरह से कभी समुद्र था या नहीं। यह यान शुक्र ग्रह के वातावरण में हीलियम, निऑन और क्रिप्‍टॉन जैसी अहम गैसों का पता लगाने का प्रयास करेगा। इससे पहले वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि शुक्र ग्रह पर फोस्फिन गैस की खोज की गई है। हालांकि बाद में यह दावा सही नहीं निकला।
DAVINCI+ अंतरिक्ष यान शुक्र के महाद्वीप कहे जाने वाले इलाके की हाई रेजोल्‍यूशन वाली तस्‍वीरें भी भेजेगा। नासा ने बताया कि इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि शुक्र ग्रह इतना गरम क्‍यों हो गया। नासा ने इससे पहले वर्ष 1978 में पाइअनिर प्रॉजेक्‍ट और मगेलान प्राजेक्‍ट शुरू किया था। मगेलान यान अगस्‍त 1990 में शुक्र ग्रह पहुंचा था और वर्ष 1994 तक काम करता रहा।
3D नक्‍शा तैयार करेगा VERITAS यान
नासा का दूसरा यान VERITAS शुक्र ग्रह के सतह की मैपिंग करेगा। इसके भूगर्भीय इतिहास का पता लगाने का प्रयास करेगा ताकि यह जाना जा सके कि यह ग्रह पृथ्‍वी से इतना अलग क्‍यों विकसित हुआ। यह रेडॉर के इस्‍तेमाल से सतह के विकास का पता लगाएगा और उसका 3डी नक्‍शा तैयार करेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि क्‍या शुक्र ग्रह पर ज्‍वालामुखी की गतिविधियां अभी भी हो रही हैं या नहीं।
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