विज्ञान

NASA एक बार फिर से इंसानों को चांद पर पहुंचाने की तैयारी में जुटा, अंतरिक्ष में स्पेससूट का इस खास 'एयरगन' से कर रहा टेस्ट

Rani Sahu
14 Sep 2021 4:18 PM GMT
NASA एक बार फिर से इंसानों को चांद पर पहुंचाने की तैयारी में जुटा, अंतरिक्ष में  स्पेससूट का इस खास एयरगन से कर रहा टेस्ट
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अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA एक बार फिर से इंसानों को चांद पर पहुंचाने की तैयारी कर रहा है

अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA एक बार फिर से इंसानों को चांद पर पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में इंसान को चांद की धरती पर भेजने से पहले NASA लूनर टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने में जुटा हुआ है. NASA ने स्पेस मटैरियल की शक्ति को जांचने के लिए 3,000 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से फायर करने वाली 40 फुट लंबी एयरगन का इस्तेमाल कर रहा है.

एयरगन का इस्तेमाल एयरक्राफ्ट पर पक्षियों के हमलों से लेकर बैलिस्टिक प्रभावों तक को जांचने के लिए किया गया. एस्ट्रोनोट्स स्पेस के लिए उड़ान भरेंगे और फिर चांद पर लैंड करेंगे. ऐसे में 22 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार से घूमने वाले छोटे चट्टान या धातु के कण एक बड़ा खतरा बन सकते हैं. ऐसे में सभी सिस्टम की जांच करना बेहद जरूरी है.
ग्लेन रिसर्च सेंटर की बैलिस्टिक इम्पैक्ट लैब के इंजीनियर यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि भविष्य के आर्टेमिस मिशन (Artemis missions) के लिए टिकाऊ सामग्री का चयन किया जाए और ये पुख्ता किया जाए कि चंद्रमा की सतह पर वे कैसा प्रदर्शन करेंगे.
टीम उन मटैरियल का मूल्यांकन कर रही है, जिनका हैबिटेट बनाने के लिए प्रयोग किया जाएगा. ये नरम और लचीले होने के लिए डिजाइन किए गए हैं. इंजीनियर अलग-अलग कपड़ों पर स्टील बॉल बेयरिंग को फायर करने के लिए एयरगन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
वैज्ञानिक इसके जरिए ये आकलन कर रहे हैं कि जब एस्ट्रोनोट्स खुले वातावरण में काम करेंगे तो उनको सुरक्षित रखने के लिए किस तरह के मटैरियल से सूट को तैयार किया जाए. इस तरह ऐसे मटैरियल का चुनाव किया जाना है, जो माइक्रोमीटियोर को एस्ट्रोनोट्स के शरीर में जाने से रोक सके.
एयरगन का इस्तेमाल चांद के वातावरण जैसी परिस्थिति में किया जा रहा है, ताकि तेजी से हमला किया जा सके. वहीं, सेंसर्स और हाई-स्पीड कैमरा के जरिए ये मापा जा रहा है कि कौन का मटैरियल कितनी ऊर्जा को सोखता है. इसके जरिए हर मटैरियल की ताकत को परखा जाएगा.
NASA ने बताया है कि एयरगन के जरिए जिन मटैरियल का टेस्ट किया गया, उसमें स्पेससूट बनाने वाले मटैरियल से लेकर अन्य वाहनों को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले मटैरियल तक शामिल थे. मटैरियल की ताकत एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है.


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