विज्ञान

NASA: InSight मार्स लैंडर को मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी के सबूत

Gulabi
31 May 2021 7:36 AM GMT
NASA: InSight मार्स लैंडर को मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी के सबूत
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मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी के सबूत

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के InSight मार्स लैंडर ने मंगल ग्रह (Planet Mars) पर सक्रिय ज्वालामुखियों (Active Volcanoes) का पता लगाया है. लैंडर के नवीनतम ऑब्जर्वेशन से पता लगता है कि लाल ग्रह (Red Planet) पर पिछले 50,000 सालों में ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic eruptions) के सबूत दिखते हैं. सुनने में भले ही ये बहुत अधिक वक्त लगता है, लेकिन अगर आप बड़े पैमाने पर देखें और ग्रहों की उम्र को समझें तो, ये बेहद कम समय है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंसानों के धरती पर रहने के सबसे शुरुआती सबूत तीन लाख साल पुराने हैं. ऐसे में मंगल पर जिस समय ज्वालामुखीय गतिविधियां हो रही थीं, उस समय धरती पर इंसान मौजूद थे. मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी गतिविधि के शुरुआती रिकॉर्ड चार अरब साल पहले तक देखे जा सकते हैं, लेकिन नवीनतम नतीजों से ये गतिविधि बिल्कुल अलग लगती है. मंगल ग्रह पर 40 लाख साल पहले भी छोटे ज्वालामुखीय विस्फोट दर्ज किए गए थे. हालांकि, अभी तक इस बात के सबूत नहीं है कि इसके बाद से अब तक ग्रह पर कोई गतिविधि हुई है.
32 किमी के दायरे में दिखा ज्वालामुखी का मलबा
मंगल ग्रह के भूमध्य रेखा पर एक मैदान एलिसियम प्लैनिटिया (Elysium Planitia) पर 50 करोड़ से 25 लाख साल पुराने लावा की फिशर-फेड धाराओं की जानकारी को रिकॉर्ड किया गया है. इस स्थान के दक्षिण में नई भूवैज्ञानिक गतिविधि देखी गई है, जिसमें कई प्रमुख ज्वालामुखी हाल की गतिविधि के संकेत दिखा रहे हैं. ज्वालामुखी के विस्फोटों से निकला मलबा 32 किलोमीटर के दायरे में देखा गया है. ये मलबा पाइरोक्लास्टिक प्रवाह की वजह से बिखरा है, जो सतह के नीचे भारी दबाव के कारण होता है.
ओलंपस मॉन्स के पास मिले ज्वालामुखीय गतिविधि के रिकॉर्ड
पृथ्वी पर इस दबाव के सबसे लोकप्रिय उदाहरण पोम्पेई और हरकुलेनियम शहर के साथ हुई घटना है. मंगल पर तीन अरब साल पहले ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) के आसपास ऐसी घटनाओं के कई उदाहरण देखने को मिले. ओलंपस मॉन्स हमारे सौरमंडल (Solar System) का सबसे बड़ा पर्वत है और अन्य सभी मंगल ग्रह के ज्वालामुखियों की तुलना में सबसे लंबा है. सतह पर मौजूद रहे पानी से मैग्मा मिल गया होगा और इसने एक खतरनाक रिएक्शन पैदा किया होगा, जिसकी वजह से ज्वालामुखी का मलबा आसमान में 10 किमी ऊपर तक उड़ा होगा.


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