विज्ञान

नासा ने रचा इतिहास: स्पेसक्राफ्ट Parker Solar Probe ने सूर्य के वायुमंडल में किया प्रवेश, विश्वास करना मुश्किल

jantaserishta.com
15 Dec 2021 11:26 AM GMT
नासा ने रचा इतिहास: स्पेसक्राफ्ट Parker Solar Probe ने सूर्य के वायुमंडल में किया प्रवेश, विश्वास करना मुश्किल
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नई दिल्ली: अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में और मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब इंसानों द्वारा बनाया गया कोई यान सूरज के वायुमंडल में पहुंचा हो. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के Parker Solar Probe ने सूरज के ऊपरी वायुमंडल को छू लिया है. यह यान वहां तक सफलतापूर्वक पहुंच गया है. सूरज के ऊपरी वायुमंडल को कोरोना (Corona) कहते हैं. यहां से उसने सूरज के कणों और चुंबकीय क्षेत्र से संबंधित आंकड़ें जुटाएं हैं. लेकिन यान सूरज के सबसे नजदीक नहीं पहुंचा है. इसे अभी सूरज के सबसे नजदीक पहुंचना बाकी है.

खुशी की बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई यान सूरज के इतने करीब पहुंचा है, लेकिन पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) को सबसे ज्यादा नजदीक पहुंचना बाकी है. इस साल के शुरुआत में ही पार्कर यान ने कोरोना के अंदर जाकर और निकल गया था. यह यात्रा बेहद छोटी थी. तब उसकी दूरी सूरज की सतह से 1.33 करोड़ किलोमीटर थी.
14 दिसंबर को नासा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उनका यान सूरज के कोरोना में प्रवेश करने में सफलता हासिल कर चुका है. यानी पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) अब कोरोना के ज्यादा अंदर पहुंचा है. फिलहाल सूरज की सतह से उसकी दूरी करीब 79 लाख किलोमीटर है. लेकिन सबसे नजदीक पहुंचने में पार्कर यान को अभी चार साल का इंतजार करना होगा.
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) साल 2025 में सूरज की सतह से बेहद करीब होगा. इस समय सूरज के सतह से इसकी दूरी करीब 61.15 लाख किलोमीटर होगी. इसके बाद इस यान का क्या होगा... ये न तो नासा ने बताया है, न ही किसी अन्य खगोलविद ने भविष्यवाणी की है. लेकिन इस यान ने सूरज के वायुमंडल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है. सूरज के वायुमंडल में पहुंचने से तीन बड़े रहस्यों से पर्दा हटेगा.
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) तीन प्रमुख चीजों की जांच करेगा. पहला- कोरोना में बहने वाली ऊर्जा और गर्मी की गणना और सौर हवाओं के बहाव की गति आदि. दूसरा- सूरज के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र के ढांचे और डायनेमिक्स का अध्ययन करना और तीसरा - सूरज से निकलने वाले आवेषित कणों की उत्पत्ति, बहाव और उनके व्यवहार की जांच करना. इन तीनों अध्ययनों से धरती को सौर तूफानों से बचाने में मदद करेगा.
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) में पांच पेलोड्स लगे हैं. जो सूरज से संबंधित विभिन्न विषयों का अध्ययन कर रहे हैं. इन पेलोड्स को सूरज की गर्मी से बचाने के लिए साढ़े चार इंच मोटी कार्बन-कंपोजिट पदार्थ की परत लगाई गई है. प्रोब में मौजूद पांच पेलोड्स हैं- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स इनवेस्टिगेशन (FIELDS) यह चुंबकीय लहरों, रेडियो तरंगों, फ्ल्क्स, प्लाज्मा घनत्व और इलेक्ट्रॉन तापमान की जांच करेगा.
दूसरा पेलोड- इंटीग्रेटेड साइंस इन्वेस्टिगेशन ऑफ द सन (ISOIS) ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और हैवी आयन्स की जांच करेगा. तीसरा- वाइड फील्ड इमेजर फॉर सोलर प्रोब (WISPR) यह एक ऑप्टिकल टेलिस्कोप है, जो सूरज के कोरोना और इनर हेलियोस्फेयर की तस्वीरें लेगा. चौथा- सोलर विंड इलेक्ट्रॉन्स अल्फास एंड प्रोटोन्स (SWEAP) यह इलेक्ट्रोन, प्रोटोन और हीलियम आयन्स की वेलोसिटी, डेनिसिटी और तापमान का अध्ययन करेगा. पांचवां- हेलियोस्फेयरिक ओरिजिन्स विद सोलर प्रोब प्लस (HeliOSPP) यह वैज्ञानिकों को सूरज से संबंधित थ्योरी और मॉडल्स बनाने में मदद करेगा.
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) को 12 अगस्त 2018 को केप केनवरल से डेल्टा-4 हैवी रॉकेट से लॉन्च किया गया था. इस मिशन की कुल उम्र सीमा सात साल है. जिसमें से यह 3 साल, 4 महीने और 3 दिन बिता चुका है. यह यान कुल मिलाकर 555 किलोग्राम का है, जिसमें 50 किलोग्राम के पेलोड्स लगे हैं. यह यान 3 मीटर ऊंचा और 2.3 मीटर चौड़ा है. यह यान 88 दिन में सूरज का एक चक्कर लगाता है. इसका अगला चक्कर अगले साल फरवरी में लगेगा.
नासा के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) जो कि सूर्य के रहस्यों का खुलासा करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया है. वह पिछले साल जुलाई में शुक्र ग्रह के बगल से गुजरा. इस समय उसने कई तरह की आवाजें रिकॉर्ड की. इससे पहले अंतरिक्ष विज्ञान के 30 साल के इतिहास में शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल की आवाज किसी ने सुनी थी, न इसका अंदाजा लगाया था. यह पहला मौका था जब किसी अंतरिक्षयान ने शुक्र ग्रह की आवाज को रिकॉर्ड किया हो.
पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) शुक्र ग्रह की सतह से 833 किलोमीटर की दूरी से गुजरा था. इस यान के डेटा एनालिसिस का काम मैरीलैंड के लॉरेल में स्थित जॉन्स हॉपकिंस एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वैज्ञानिक करते हैं. नासा गोडार्ड फ्लाइट सेंटर के साइंटिस्ट और शुक्र ग्रह के एक्सपर्ट ग्लेन कॉलिनसन ने कहा कि इस बार पार्कर ने जो डेटा भेजा है, वो अद्भुत है. हमें पहली बार शुक्र ग्रह की आवाज सुनाई दी है. यह किसी संगीत के जैसा ही है...बस लयबद्ध नहीं है.
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