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एक शौकिया खगोलविद ने बृहस्पति जैसे एक्सोप्लैनेट की खोज की है
एक शौकिया खगोलविद ने बृहस्पति जैसे एक्सोप्लैनेट की खोज की है। इस एक्सोप्लैनेट का द्रव्यमान सूर्य के बराबर है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि TOI-2180 b नाम का यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से लगभग 379 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका औसत तापमान लगभग 170 डिग्री फ़ारेनहाइट (76 डिग्री सेल्सियस) है। ऐसे में यह पृथ्वी समेत हमारे सौरमंडल के कई ग्रहों की तुलना मे अधिक गर्म है।
पूर्व नौसैनिक है ग्रह खोजने वाला शौकिया वैज्ञानिक
नासा के अनुसार, इस शौकिया वैज्ञानिक का नाम टॉम जैकब्स है। वे अमेरिकी नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं, जो नासा की सिटिजन साइंटिस्ट प्रॉजेक्ट से जुड़े हुए हैं। इस प्रॉजेक्ट के जरिए एस्ट्रॉनमी और फिजिक्स में रूचि रखने वाले आम लोगों को नासा के शोधकर्ताओं की सहायता में लगाया जाता है। टॉम जैकब्स भी ऐसी ही एक प्रॉजेक्ट के साथ जुड़े हुए हैं
दूरबीनों से मिले डेटा के अध्ययन से की खोज
बताया जा रहा है कि इस शौकिया वैज्ञानिक ने नई खोज करने के लिए अलग-अलग दूरबीनों से मिले डेटा को कंप्यूटर एल्गोरिदम के जरिए स्कैन किया था। किसी भी एक्सोप्लैनेट को खोजने के लिए शोधकर्ता सितारों की चमक में बदलाव की तलाश करते हैं। इससे यह पता चलता है कि एक निश्चित तारे की परिक्रमा कोई ग्रह कर रहा है या नहीं। अगर ग्रह उस तारे के सामने से गुजरेगा तो तारे की रोशनी कुछ देर के लिए बाधित होगी।
कंप्यूटर एल्गोरिदम का किया इस्तेमाल
हालांकि, इस कंप्यूटर एल्गोरिदम को एक ही तारे की परिक्रमा कर रहे अलग-अलग ग्रहों की पहचान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस शौकिया खगोलविद ने इसी तकनीक का इस्तेमाल कर नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है। टॉम जैकब्स विजुअल सर्वे ग्रुप नाम की एक टीम का हिस्सा हैं, जो आंखों से टेलीस्कोप डेटा का निरीक्षण करता है।
तारे का प्रकाश कम होने से ग्रह का पता चला
1 फरवरी 2020 को TESS टेलीस्कोप से मिले डेटा का निरीक्षण करते हुए जैकब्स ने देखा कि TOI-2180 b नाम के एक तारे से प्रकाश आधे प्रतिशत से भी कम हो गया। फिर अगले 24 घंटे की अवधि में इस तारे का प्रकाश अपने पिछले चमक के स्तर पर वापस आ गया। फिर उन्होंने नासा के शोधकर्ताओं को अपनी खोज के बारे में सूचित किया।
नासा ने की दावे की पुष्टि
इसके बाद जैकब्स के दावे की पुष्टि के लिए कैलिफ़ोर्निया में लिक ऑब्जरवेटरी में ऑटोमेटेड प्लॉनेट फाइंडर टेलिस्कोप का इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने तारे पर ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया। इससे उन्हें तारे के द्रव्यमान की गणना करने और इसकी कक्षा के लिए संभावनाओं की जानकारी मिली। नासा के अनुसार, इस ग्रह में हाइड्रोजन और हीलियम से भारी तत्व हो सकते हैं।
Rani Sahu
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