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- NASA: अंतरिक्ष में मची...
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो चंद्र अभियान की सफलता ने मंगल ग्रह को इंसानी पहुंच के काफी करीब ला दिया था।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। करीब आधी सदी पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो चंद्र अभियान की सफलता ने मंगल ग्रह को इंसानी पहुंच के काफी करीब ला दिया था। असल में, नासा ने 1980 में ही लाल ग्रह पर कदम रखने की योजना बनाई थी, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक कारकों के बदलाव ने उस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। चांद के बाद मंगल तक इंसान के पहुंचने की बात तो दूर 1972 के बाद चांद पर अब तक दोबारा किसी के कदम तक नहीं पड़े हैं। इसका बड़ा कारण राजनीतिक है, क्योंकि बीते पांच दशकों में अंतरिक्ष से जुड़ी तमाम गतिविधियां अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान आदि देशों की सरकारी एजेंसियों के भरोसे ही संचालित होती रही हैं।
स्पेसएक्स ने चार एस्ट्रोनॉट्स को भेजा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
हाल ही में अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के शक्तिशाली रॉकेट फॉल्कन-9 से चार एस्ट्रोनॉट्स को सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में पहुंचाया गया है। यह दूसरा मौका है जब किसी अंतरिक्ष मिशन के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट का इस्तेमाल हुआ है। इस सफलता के साथ ही अमेरिका में कॉमर्शियल स्पेस ट्रैवल के एक नए युग की शुरुआत भी हो गई है, जबकि अमेरिका से पहले रूस और चीन ऐसा कर चुके हैं। इस मिशन की सफलता के बाद अमेरिका को अपने अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए रूस और यूरोपीय देशों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। यानी उसे करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करके रूस और यूरोपीय देशों के रॉकेट से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस नहीं भेजना पड़ेगा।
अंतरिक्ष उड़ानों में देखने को मिलेगा बदलाव
अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञों के अनुसार, स्पेसएक्स की यह उड़ान इस संबंध में पूरी तस्वीर बदलने वाली साबित हो सकती है। अब अंतरिक्ष उड़ानों में हमें कुछ बदलाव जरूर देखने को मिलेंगे, क्योंकि निजी एयरोनॉटिक्स कंपनियों के आने से अब जो भी बदलाव होंगे उनमें कीमत एक प्रमुख कारक होगा।
सरकारों के कब्जे से बाहर हो रही अंतरिक्ष की यात्रा
विशेषज्ञों का मानना है कि स्पेसएक्स के इस अहम मिशन की कामयाबी से अब अंतरिक्ष की यात्रा सरकारों के कब्जे से धीरे-धीरे बाहर हो रही है और निजी कंपनियों के जरिये अंतरिक्ष में लोगों को ले जाने की घड़ी भी नजदीक आ गई है। स्पेसएक्स का यह मिशन अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़ी अनेक व्यावसायिक कंपनियों को इस क्षेत्र में सिरमौर बनने और अंतरिक्ष पर्यटन पर बेहिचक काम करने के लिए निश्चित रूप से प्रोत्साहित करेगा। फिर बात चाहे पृथ्वी की निचली कक्षा में जाने की हो या एस्ट्रोनॉट्स को क्षुद्रग्रह, चांद या फिर मंगल तक पहुंचाने की। प्राइवेट स्पेस एजेंसियां इसके लिए कमर कस रही हैं। वैसे भी नासा का स्पेस शटल प्रोग्राम 2012 में ही पूरी तरह से खत्म हो चुका है। यानी उसके सभी स्पेस शटल रिटायर हो गए हैं। ऐसे में नासा को भी एस्ट्रोनॉट्स को लाने-ले जाने के लिए निजी कंपनियों के स्पेसक्राफ्ट्स पर निर्भर रहना होगा। तमाम समस्याओं का समाधान करते हुए कई निजी कंपनियां अंतरिक्ष की सैर का सपना दिखा रही हैं। यहां तक कि स्पेस टूर के पैकेज बेच रही हैं। वास्तव में अंतरिक्ष यात्रओं और अंतरिक्ष अन्वेषण पर बढ़ रहे भारी खर्च की बदौलत सरकारें इस काम से हाथ खींचने लगी हैं, क्योंकि अंतरिक्ष से कुछ ऐसी उपलब्धियों की संभावनाएं लगभग खत्म गई हैं जिनसे अरबों-खरबों डॉलर की कमाई का कोई रास्ता खुलता हो। खगोलीय पिंडों से खनिजों और मूल्यवान धातुओं की खोदाई की बात हम आए दिन सुनते रहते हैं, मगर वह काम इतना खर्चीला और दुष्कर है कि कोई सरकार इसे शुरू नहीं कर पा रही है।
अमेरिका का राजनीतिक मिशन था अपोलो
अपोलो मिशन के तहत अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच चांद की ओर कुल नौ अंतरिक्ष यान भेजे और छह बार इंसान को चांद पर उतारा। दरअसल अपोलो मिशन कोई वैज्ञानिक मिशन नहीं था, इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक था- सोवियत संघ को अंतरिक्ष कार्यक्रमों में पछाड़ना। गौरतलब है कि अपोलो मिशन के अंतर्गत गए लगभग सभी चंद्रयात्री सैनिक थे, न कि वैज्ञानिक, सिर्फ एक वैज्ञानिक हैरिसन श्मिट को अपोलो-17 द्वारा चांद पर जाने का मौका मिला था और वे चांद पर गए पहले और आखिरी वैज्ञानिक हैं। शीतयुद्ध के समय में अंतरिक्ष अनुसंधान के बहाने मिसाइलों के विकास का जो काम किया जाता था, अब वे सारे उद्देश्य भी हासिल किए जा चुके हैं। ऐसे में सरकारें स्पेस टूरिज्म से लेकर सुदूर अंतरिक्ष की खोज तक के लिए सरकारी खजाने के इस्तेमाल से बचना चाहती हैं। इसलिए सरकारें प्राइवेट एजेंसियों को मौका देकर खर्चे में कटौती कर सकती हैं। एलन मस्क का कहना है कि अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो 2025 तक स्पेसएक्स एक ही साल में हजारों पर्यटकों को अंतरिक्ष की सैर करा सकेगा और इसके बदले भारी-भरकम कमाई कर सकेगा। रिचर्ड ब्रैंसन की वर्जनि गैलेक्टिक व जेफ बेजोस की ब्लू ऑरिजिन पर्यटकों को अंतरिक्ष के छोर पर ले जाने की योजना पर काम कर रही है। अंतरिक्ष पर्यटन की असीम संभावनाओं को देखते हुए कुछ कंपनियों ने अंतरिक्ष में होटल बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है।
चांद पर होटल लॉन्च करने की होड़
ओरायन स्पान नामक कंपनी 2022 तक अपना स्पेस होटल लॉन्च करना चाहती है। गेटवे फाउंडेशन नामक कंपनी चांद पर 2025 तक होटल लॉन्च करना चाहती है। बहरहाल, हम यह कह सकते हैं कि अंतरिक्ष एक बार फिर इंसान के सपनों की नई मंजिल बन गया है। निजी कंपनियों की दौड़ अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में क्या कीर्तिमान स्थापित करती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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