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अंतरिक्ष विज्ञानियों ने ब्रह्मांड के सबसे चमकदार ब्लैक होल से दो रहस्यमयी चीजों को निकलते देखा है
अंतरिक्ष विज्ञानियों ने ब्रह्मांड के सबसे चमकदार ब्लैक होल से दो रहस्यमयी चीजों को निकलते देखा है. इनकी फोटो ली है. ये आकार में बहुत बड़ी है. इस ब्लैक होल का नाम है 3C 273. यह एक क्वासार (Quasar) है. यानी क्वासी-स्टेलर ऑब्जेक्ट्स. यानी ऐसे ब्लैक होल्स जिनके केंद्र से इतनी रोशनी निकलती है कि ये किसी चमकते हुए तारे की रोशनी जैसे दिखते हैं.
हालांकि, आमतौर पर ब्लैक होल्स खुद से कोई रोशनी नहीं फेंकते. बड़े ब्लैक होल्स के चारों तरफ गैस के विशालकाय छल्ले होते हैं. जिन्हें एक्रीशन डिस्क (Accretion Disks) कहते हैं. जब गैस ब्लैक होल के अंदर प्रकाश की गति से गिरती है, तब घर्षण की वजह से डिस्क चमकने लगती है. वह रेडिएशन की वजह से चमकदार हो जाती है. इन्हें ही रेडियो वेव्स यानी रेडियो तरंगें कहा जाता है.
3C 273 ब्रह्मांड में खोजा गया पहला क्वासार है. यह बेहद चमकदार है. यह हमारे सूरज से 4 लाख करोड़ गुना ज्यादा चमकदार है. यह धरती से 240 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर ब्रह्मांड में स्थित है. दशकों से वैज्ञानिक इस ब्लैक होल के केंद्र की स्टडी कर रहे हैं. उससे निकलने वाली रोशनी की स्टडी कर रहे हैं. यह स्टडी हाल ही में द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है.
इस स्टडी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने चिली स्थित अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलिमीटर एरे (ALMA) रेडियो टेलिस्कोप की मदद ली है. तब जाकर वे ब्लैक होल से निकल रही रोशनी को अलग-अलग कर पाए. फिर उन्होंने देखा कि वहां से दो रेडियो तरंगें निकल रही हैं. जो बेहद बड़ी हैं. ऐसी रहस्यमयी आकृतियां आजतक वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के किसी कोने में नहीं देखी हैं.
इनमें से एक आकृति ऐसी है कि जिसमें से निकल रही रेडियो तरंगें हमारी पूरी गैलेक्सी को ढंक ले. इसके ठीक नीचे एक विशालकाय ऊर्जा जेट हैं. जिसे वैज्ञानिक एस्ट्रोफिजिकल जेट कहते हैं. ये जेट्स आमतौर पर प्रकाश की गति से चलती हैं. जिनमें आवेषित कण (Charged Particles) होते हैं. इन आवेषित कणों का चार्ज जब कम ज्यादा होता है, तो रेडिएशन भी कम ज्यादा होता है. इसकी वजह से इनकी चमक भी मद्धम या तेज होती रहती हैं.
3C 273 के चारों तरफ जो रेडियो ढांचा बना है वो लगातार एक जैसी चमक दिखा रहा है. भले ही उसके जेट की फ्रिक्वेंसी में कमी आ रही हो. वैज्ञानिकों ने बताया कि इससे पता चलता है कि इससे निकलने वाले दो रेडियो आकृतियां अलग-अलग जगहों से निकली हैं. अलग-अलग प्रक्रियाओं से निकली हैं.
Rani Sahu
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