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विशेषज्ञों का कहना है कि किसान गेहूं छोड़कर सरसों की खेती करें तो ज्यादा फायदे में रहेंगे
देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक प्रदेश राजस्थान में दिवाली (Diwali) से पहले इसका दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. इसकी ज्यादातर मंडियों में भाव आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है. कहीं 8800 तो कहीं 9000 रुपये का भाव चल रहा है. राजस्थान के अलवर जिले में दिवाली से पहले सरसों का दाम (Mustard Price) रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. यहां 2 नवंबर को सभी मंडियों से ज्यादा आवक हुई. इसके बावजूद सबसे अधिक दाम रहा. दिवाली से पहले किसानों ने जमकर सरसों की बिक्री की.
मंगलवार को यहां की खैरथल मंडी में 2,063 क्विंटल सरसों की आवक थी, जबकि 1,989 क्विंटल का ट्रेड हो गया. दाम 8,800 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया. जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5050 रुपये ही है. यहां न्यूनतम दाम 6,300 और मॉडल प्राइस 8,200 रहा.
खेरली मंडी में इसका दाम 8,441 रुपये क्विंटल के स्तर तक पहुंच गया. यहां पर 606 क्विंटल सरसों की ट्रेड हुई. राजस्थान देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक है. यहां लगभग 35 लाख टन सरसों का उत्पादन होता है. इसके बावजूद यहां पर सरसों के दाम में इतनी तेजी है, क्योंकि देश में तिलहन की काफी कमी है. हम खाद्य तेलों के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर हैं.
ऑनलाइन मंडी में है यह दाम
सरसों का यह दाम भारत सरकार की ऑनलाइन मंडी ई-नाम (e-NAM) पर है. इस प्लेटफार्म पर देश की 1000 मंडियां जुड़ी हुई हैं. यह एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है, जो देश में मौजूद एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) को एक नेटवर्क में जोड़ता है. इसका मकसद कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है. अभी इसमें एक हजार और मंडियों को जोड़ने की तैयारी है. ताकि एक राष्ट्र एक बाजार का सपना साकार हो सके.
9000 रुपये क्विंटल तक पहुंचा दाम
राजस्थान के ही टोंक जिले में आने वाली निवाई मंडी में एक नवंबर को सरसों का दाम नई ऊंचाई तक पहुंचा था. यहां सोमवार को 9,000 रुपये प्रति क्विंटल तक के रेट पर सरसों बिका. 7,858 रुपये मॉडल प्राइस था. जबकि इस दिन खैरथल में 8,800 रुपये का भाव रहा. इस समय राजस्थान की ज्यादातर मंडियों में सरसों का भाव आठ हजार रुपये क्विंटल से ज्यादा ही है.
किसानों की आय बढ़ाने का अवसर
सरसों अनुसंधान केंद्र, भरतपुर के निदेशक डॉ. पीके राय का कहना है कि सरसों के तेल में मिलावट बंद होने के बाद स्थितियां काफी बदली हैं. लोगों ने रिफाइन की बजाय इसे खाना शुरू किया है. मांग और आपूर्ति का भी मसला है. हम तिलहन (Oilseeds) में काफी पीछे हैं इसलिए मार्केट में तेजी है. ऐसे में किसानों को सलाह यह है कि वे गेहूं छोड़कर सरसों की खेती करें तो ज्यादा फायदे में रहेंगे. यह किसानों की आय बढ़ाने का बड़ा अवसर है.
Shiddhant Shriwas
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