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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर यह सुनने में आता है कि पेड़-पौधों में जान होती है और वे भी इंसानों की तरह दर्द महसूस कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मशरूम आपस में बातचीत करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ इंग्लैंड के वैज्ञानिकोँ द्वारा की गई एक रिसर्च में यह सामने आया कि मशरूम भी इंसानों की तरह बातें करते हैं।
दरअसल, यूनिवर्सिटी ऑफ इंग्लैंड के प्रोफेसर एंड्रयु एडमैट्ज्की ने इस रिसर्च में मशरूम की 4 स्पीशीज की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी की स्टडी की। इन 4 स्पीशीज में एनोकी, स्प्लिट गिल, घोस्ट और कैटरपिलर फंगी शामिल हैं।
इलेक्ट्रिक एक्टिविटी पैटर्न का विश्लेषण कर रिसर्च का निष्कर्ष निकाला और यह दावा किया कि फंगस में दिमाग और चेतना दोनों होती हैं। साथ ही फंगल शब्द की औसत लंबाई 5.97 अक्षरों की होती है। एंड्रयू के मुताबिक मशरूम के इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेज इंसानों की भाषा जैसे होते हैं और उनके पास 50 शब्दों का शब्दकोश होता है लेकिन उनमें से यह बस 15 से 20 शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। स्टडी में यह भी बताया गया है कि मशरूम आपस में मौसम और आने वाले खतरों से जुड़ी जानकारियां देते हैं, साथ ही यह भी बताया कि मशरूम अपना दर्द भी एक-दूसरे से बयां करते हैं।
रॉयल सोसायटी 'ओपन साइंस' में छपी रिसर्च में प्रोफेसर एंड्रयु एडमैट्ज्की ने कहा कि फंगस के स्पैंकिंग पैटर्न और इंसानों की भाषा में कोई रिश्ता है या नहीं, इस जानकारी नहीं है लेकिन फंगस आपस में बातचीत करते हैं, यह सच है। वहीं सभी वैज्ञानिक इसे पूरी तरह नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेज को लैंग्वेज मानना जल्दबाजी होगी तथा अभी इस पर और रिसर्च की जरूरत है।
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