विज्ञान

MMMUT के छात्रों का शोध- मात्र 60 रुपये में एक हजार लीटर गंदे पानी को कर देगा शुद्ध

Gulabi
7 April 2021 8:53 AM GMT
MMMUT के छात्रों का शोध- मात्र 60 रुपये में एक हजार लीटर गंदे पानी को कर देगा शुद्ध
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रसायन व पर्यावरण विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने किया है शोध

किसी भी शोध का लाभ समाज को सीधे मिले, इस प्रयास में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक ऐसा पालीमर (बहुलक) बनाया, जो दूषित जल को 100 फीसद शुद्ध कर देगा। यह पालीमर खेतों में खाद के छिड़़काव और मनुष्य के शरीर में दवा की प्रभावी डिलिवरी में भी सहायक होगा।


रसायन व पर्यावरण विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने किया है शोध
विश्वविद्यालय के रसायन एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डा. कृष्ण कुमार के निर्देशन में इस शोध कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है कि शोधार्थी किरन, विनय सिंह और शैलजा सिंह ने। डा. कुमार बताते हैं कि शुद्धिकरण की इस विधि में उनका पालीमर जल में मौजूद अशुद्ध और विषाक्त पदार्थ को अधिशोषित कर लेगा। एक पालीमर का तीन बार पुनः उपयोग किया जा सकेगा। चूंकि इस विधि में बहुत ही अल्प मात्रा में पालिमर के उपयोग की जरूरत पड़ेगी, सो इससे शुद्धिकरण की लागत भी काफी कम हो जाएगी। महज 60 रुपये की लागत में 1000 लीटर पानी को शुद्ध किया जा सकेगा।
खाद व पानी दोनों की होगी बचत

खेती में पालीमर की उपयोगिता के बारे में डा. कुमार बताते हैं कि आमतौर पर खाद का छिड़़काव करने के बाद किसानों को बार-बार सिंचाई करनी पड़़ती है। यदि पालीमर की सहायता से खाद का छिड़़काव किया जाए तो खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहेगी। इससे खाद और पानी दोनों की बचत होती है।

दवा की लागत और साइड इफेक्ट दोनों होगा कम
शोध की एक अन्य उपयोगिता मानव शरीर में ड्रग डिलिवरी से जुड़़ी है। डा. कुमार के अनुसार जो दवा किसी मनुष्य को 24 घंटे में एक या दो बार दी जाती है, उसे पालीमर में इंजेक्ट करके दिया जाए तो उसका प्रभाव लगभग सात दिनों तक बना रहेगा। इससे दवा की लागत तो कम आएगी ही, उसके साइड इफेक्ट को भी कम किया जा सकेगा।

20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय जर्नल में हो चुका है प्रकाशन
इस उपयोगी पालीमर के शोध में विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग व साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड का आर्थिक सहयोग मिला है। डा. कृष्ण कुमार के मुताबिक अब इस शोध से जुड़़े 20 से ज्यादा शोध-पत्रत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में हो चुके हैं।

क्या होता है पालीमर

पलीमर वे पदार्थ हैं, जिनके अणु आकार में बहुत बड़े होते हैं। सरल अणुओं या मोनोमर से मिलकर बने होते हैं। सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं। इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है।
पूरी कोशिश है कि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में किए जा रहे हर शोध का लाभ लोगों को सीधे मिले। साथ ही इस शोध का फायदा गांव, गरीब और किसान को भी मिले। डा. कृष्ण कुमार और सहयोगी शोधार्थियों का यह शोध विश्वविद्यालय की मंशा को पूरा करने वाला है।
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