विज्ञान

मिशन मून: NASA को मिला कुछ ऐसा बेहद महत्वपूर्ण और रोमांचक तथ्य, आज उठेगा रहस्य से पर्दा

Neha Dani
26 Oct 2020 11:27 AM GMT
मिशन मून: NASA को मिला कुछ ऐसा बेहद महत्वपूर्ण और रोमांचक तथ्य, आज उठेगा रहस्य से पर्दा
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चांद (Moon) के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण और रोमांचक जानकारी हासिल की है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चांद (Moon) के बारे में कुछ बेहद महत्वपूर्ण और रोमांचक जानकारी हासिल की है. नासा आज (सोमवार) अपनी इस खोज के बारे में बताएगा. नासा की तरफ से फिलहाल इतना कहा गया है कि मिशन मून को लेकर उसे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है, जो चांद पर जीवन की संभावना ढूंढने के अभियान में मददगार साबित होगी. इस संबंध में नासा टीवी पर आज स्थानीय समानुसार 12 बजे एक कार्यक्रम प्रसारित होगा. जिसमें खोज से जुड़ी कुछ बातों को साझा किया जाएगा.

क्या होगा प्रभाव?

अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि चांद को लेकर कुछ बेहद रोमांचक और महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं. इस बारे में सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में विवरण साझा किया जाएगा. मालूम हो कि नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का लक्ष्य 2024 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर वापस भेजना है. फिर बाद में एक लूनर बेस स्थापित करना है. अभी तक स्पष्ट नहीं है कि रहस्यमय नई खोज इन योजनाओं को कैसे प्रभावित कर सकती है.

बस इतना है पता

हालांकि, इतना जरूर ज्ञात है कि यह खोज नासा के स्ट्रैटोस्फेरिक वेधशाला द्वारा इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी के लिए की गई थी, जो एक संशोधित बोइंग 747 जेट विमान है, जो हमारे सौर मंडल में ग्रहों और अन्य ऑब्जेक्ट्स की इंफ्रारेड छवियों को कैप्चर करने के लिए 9 फुट वाली दूरबीन का उपयोग करता है. विमान पृथ्वी से लगभग 41,000 फीट ऊपर उड़ता है.

तीन चरणों का मिशन


चांद पर इंसान भेजने का नासा का मिशन तीन चरण में में पूरा होगा. चांद पर 2 अंतरिक्ष विज्ञानी जाएंगे, जिसमें से एक महिला होगी, चांद पर जाने की यात्रा ओरियन नाम के अंतरिक्ष यान से होगी. नासा का पहला यान आर्टेमिस-I (Artemis) नवंबर 2021 में उड़ान भरेगा. इसे एसएलएस रॉकेट से भेजा जाएगा, जो अभी टेस्टिंग फेस में है. यह रॉकेट अपने साथ ओरियन कैप्सूल को भी लेकर जाएगा. आर्टेमिस II मिशन साल 2023 में अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर चांद तक जाएगा, लेकिन उसकी सतह पर लैंडिंग नहीं करेगा. और आखिर में आर्टेमिस III चांद की सतह तक जाएगा, जैसे 1969 में अपोलो 11 गया था. आर्टेमिस III काफी लंबे समय तक चांद की सतह पर रुकेगा, करीब 1 सप्ताह तक और दो से 5 बार बार एक्स्ट्रावेहिकुलर एक्टिविटीज को अंजाम देगा.

पहले जाएगा रोबोट

अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने से पहले नासा चंद्रमा के प्राकृतिक संसाधनों के बारे में गहराई से जानना चाहता है - विशेष रूप से इसके वॉटर डिपाजिट के बारे में. इसके लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मोबाइल रोबोट भेजा जाएगा, जो वॉटर आइस का पता लगाएगा. वोलेटाइल इंवेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर (VIPER) नाम का यह रोबोट करीब 100 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर आंकड़ों को इकट्ठा करेगा. इसके बाद इन आंकड़ों के जरिए चंद्रमा के पहले वैश्विक जल संसाधन मानचित्रों को अपडेट किया जाएगा.

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