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Mission Gaganyaan: ISRO को मिला क्रू मॉड्यूल, फोटो जारी कर बताया
Gaganyaan के लिए ISRO को अपना पहला क्रू मॉड्यूल मिल गया है. इसका पहला अबॉर्ट टेस्ट संभवतः 26 अक्टूबर को होगा. भारतीय एस्ट्रोनॉट्स इसी कैप्सूल में बैठकर धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएंगे. अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए. क्रू मॉड्यूल को कई स्टेज में विकसित किया गया है. इसमें प्रेशराइज्ड केबिन होगा. ताकि बाहरी वायुमंडल या स्पेस का असर एस्ट्रोनॉट्स पर न पड़े. टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) के लिए क्रू मॉड्यूल तैयार है. इसका इंटीग्रेशन और टेस्टिंग हो चुका है. अब इसे श्रीहरिकोटा भेजा जाएगा. लॉन्चिंग के लिए. टेस्टिंग के लिए बनाया गया यह क्रू मॉड्यूल असल क्रू मॉड्यूल के आकार, आकृति और वजन का है. इसमें एवियोनिक्स सिस्टम लगा है जो पूरे टेस्ट मिशन के दौरान नेविगेशन, सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, ऊर्जा आदि की जांच करने में मदद करेगा. क्रू मॉड्यूल को अबॉर्ट मिशन पूरा करने के बाद बंगाल की खाड़ी से भारतीय नौसेना की टीम रिकवर करेगी.
Mission Gaganyaan:
— ISRO (@isro) October 7, 2023
ISRO to commence unmanned flight tests for the Gaganyaan mission.
Preparations for the Flight Test Vehicle Abort Mission-1 (TV-D1), which demonstrates the performance of the Crew Escape System, are underway.https://t.co/HSY0qfVDEH @indiannavy #Gaganyaan pic.twitter.com/XszSDEqs7w
इस मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए इसरो ने सिंगल स्टेड के लिक्विड रॉकेट का डेवलपमेंट किया है. इस टेस्ट में क्रू मॉड्यूल (CM) और क्रू एस्केप सिस्टम (CES) होंगे. ये दोनों आवाज की गति से ऊपर जाएंगे. फिर 17 किलोमीटर की ऊंचाई से एबॉर्ट सिक्वेंस शुरू होगा. वहीं पर क्रू एस्केप सिस्टम डिप्लॉय होगा. पैराशूट से नीचे आएगा. गगनयान जिसे कह रहे हैं, उसके उस हिस्से को कहते हैं क्रू मॉड्यूल. इसके अंदर ही भारतीय अंतरिक्षयात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. क्रू मॉड्यूल डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट आदि सब होंगे.
क्रू मॉड्यूल का अंदर का हिस्सा लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त होगा. यह उच्च और निम्न तापमान को बर्दाश्त करेगा. साथ ही अंतरिक्ष के रेडिएशन से गगननॉट्स को बचाएगा. वायुमंडल से बाहर जाते समय और आते समय इसके अंदर बैठे हुए अंतरिक्षयात्रियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले मॉड्यूल अपनी धुरी पर खुद ही घूम जाएगा. ताकि हीट शील्ड वाला हिस्सा वायुमंडल के घर्षण से यान को बचा सके.
हीट शील्ड जहां वायुमंडल के घर्षण से पैदा गर्मी से बचाएगा वहीं समुद्र में लैंडिंग के समय पानी की टकराहट से लगने वाली चोट को भी. हालांकि क्रू मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. ताकि इसकी लैंडिंग सुरक्षित हो सके. इसके उतरते ही भारतीय तट रक्षक बल (Indian Coast Guard) या भारतीय नौसेना (Indian Navy) के पोत इसे संभालकर उठा लेंगे.