विज्ञान

चमत्कारी है मेडिकल सर्जरी, 3D प्रिंटर से बनाकर लगा दिए महिला के कान

Tulsi Rao
6 Jun 2022 4:29 AM GMT
चमत्कारी है मेडिकल सर्जरी, 3D प्रिंटर से बनाकर लगा दिए महिला के कान
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विज्ञान ने कितनी ज्यादा प्रगति कर ली है, ये बताने की ज़रूरत नहीं है. कहां पहले अंगों का शेप बिगड़ जाने से लेकर छोटी-मोटी सर्जरी के लिए भी लोगों को सोचना पड़ता था और अब मेडिकल साइंस इतना आगे बढ़ चुका है कि इंसान के अंग प्रिंट होकर लगाए जा रहे हैं. हाल ही में एक 20 साल की महिला के कान को डॉक्टरों ने थ्रीडी प्रिंटर से प्रिंट करके ट्रांसप्लांट कर दिया. ये मेडिकल साइंस का बड़ा कारनामा है.

अमेरिका की कंपनी 3डीबायो थेराप्यूटिक्स (3DBio Therapeutics) के वैज्ञानिकों ने महिला मरीज़ की ही कोशिकाएं लेकर उसके लिए 3D प्रिंटेड कान बना दिया. ट्रांसप्लांट के बाद ये ठीक तरीके से विकसित हो रहा है और महिला भी तेज़ी से रिकवरी कर रही है. ट्रांसप्लांट की घोषणा 2 जून, 2022 को की गई. कार्नेगी मेलन में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग रिसर्चर एडम फीनबर्ग ने इसकी जानकारी दी.
जन्म से ही छोटा और गलत शेप में था कान
जिस महिला को 3D प्रिंटेड कान लगाया गया है, उसका दाहिना कान उसके जन्म से ही छोटा और निष्क्रिय था. ऐसे उसे एक दुर्लभ कोजेनिटल बीमारी माइक्रोशिया की वजह से हुआ था. इस केस पर क्लीनिकल ट्रायल इसी साल की शुरुआत में किया गया था और बाद में महिला को कान लगाया गया. अच्छी बात ये है टिश्यू सही तरह से विकसित हो रहे हैं और कान सही आकार ले रहा है. ये घटना पहली बार हुई है कि जिंदा सेल्स से बनाया गया थ्रीडी प्रिंटेड इम्प्लांट किसी जीवित मरीज़ को कामयाब तरीके से लगाया गया है.
3D Printed Ears, tissue engineering, 3D printed ear, patient's own cells, 3D ear transplantation, ear transplantation in 3D20 साल की महिला के कान को डॉक्टरों ने थ्रीडी प्रिंटर से प्रिंट करके ट्रांसप्लांट कर दिया. (Credit-3DBio Therapeutics )
चमत्कारी है मेडिकल सर्जरी
3डीबायो थेराप्यूटिक्स (3DBio Therapeutics) के सीईओ डैनियर कोहेन के मुताबिक मरीज़ की बायोप्सी के बाद उसका कान बनाया जा सका. सर्जरी करने वाले डॉक्टर अरतुरो बोनिला का कहना है कि उन्होंने का के खराब शेप से जुड़े हुए तमाम ऑपरेशन किए हैं, लेकिनपहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया. फिलहाल कंपनी के प्रोसीजर की जांच संघीय एजेंसियां कर रही हैं, इसलिए इसे लेकर ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की जा रही है लेकिन अगर ऐसे अंग विकसित होने लगे तो इससे मरीज़ों का फायदा होगा.


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