विज्ञान

मेडिकल रिसर्च के अध्ययन: कोरोनाकाल में मां बनने जा रहीं हैं तो खुद पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत

Triveni
19 April 2021 4:10 AM GMT
मेडिकल रिसर्च के अध्ययन: कोरोनाकाल में मां बनने जा रहीं हैं तो खुद पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
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परिवार बढ़ाने की तैयारियों में जुटी हैं? पर अब कोरोना के बढ़ते कहर के मद्देनजर गर्भधारण को लेकर मन में तरह-तरह की शंकाएं उठने लगी हैं?

परिवार बढ़ाने की तैयारियों में जुटी हैं? पर अब कोरोना के बढ़ते कहर के मद्देनजर गर्भधारण को लेकर मन में तरह-तरह की शंकाएं उठने लगी हैं? अगर हां तो आपकी चिंता बेबुनियाद नहीं है। अप्रैल 2020 में प्रकाशित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अध्ययन में कहा गया था कि कोविड-19 से संक्रमित महिला गर्भस्थ शिशु में वायरस की वाहक बन सकती है। हालांकि, हर मामले में ऐसा हो, यह जरूरी नहीं। ऐसे में अगर आप कोरोनाकाल में मां बनने की सोच रही हैं तो आपको खुद को संक्रमण से महफूज रखने के लिए ज्यादा जतन करने होंगे।

संक्रमण के प्रति संवेदनशील बनाती है प्रेग्नेंसी
आईसीएमआर के मुताबिक गर्भावस्था में रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटने से महिलाएं संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं। दरअसल, गर्भ में पल रहा शिशु मां और पिता से बना एक नया अंश होता है। प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर शरीर इस शिशु को बाहरी तत्व समझ उसके खिलाफ काम कर सकता है। ऐसा न हो पाए, इसीलिए गर्भावस्था में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। गर्भधारण के 26वें से 28वें हफ्ते के बीच महिलाओं में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
इलाज में दिक्कत, डिप्रेशन का जोखिम भी ज्यादा
शोधकर्ताओं ने कहा, कोरोनाकाल में ज्यादातर अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से पटे पड़े हैं। इससे गर्भवती महिलाओं को कोई भी समस्या उभरने पर सही तरीके से इलाज नहीं मिल पा रहा है। कुछ महिलाएं तो संक्रमण के डर से अस्पताल जाने से बच रही हैं। यही नहीं, आर्थिक एवं स्वास्थ्य चिंताओं के चलते महिलाओं में डिप्रेशन की शिकायत भी कई गुना बढ़ गई है। इससे समयपूर्ण प्रसव, मृत शिशु के जन्म और विकृत गर्भावस्था के मामलों में रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिला है।
जच्चा-बच्चा को खतरा
-जनवरी 2020 से 2021 के बीच 03 गुना बढ़ गए मृत शिशुओं के जन्म और प्रसव के दौरान मां की मौत के मामले।
-06 गुना वृद्धि हुई एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी के मामलों में, इसमें भ्रूण महिला के गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगता है
(स्रोत : लांसेट जर्नल में प्रकाशित शोध)
डिप्रेशन का दंश
-72 फीसदी गर्भवती महिलाओं ने कोरोनाकाल में बेचैनी, अनिद्रा सहित डिप्रेशन के अन्य लक्षणों से जूझने की बात स्वीकारी
-34 प्रतिशत महिलाएं कोरोनाकाल में मां बनने की योजना टालना चाहती हैं, महामारी के चलते कम बच्चे पैदा करने की ठानी
(स्रोत : मई 2020 में ब्रिटेन में हुआ सर्वे)
गर्भावस्था को यूं बनाएं सुरक्षित
-हाथ समय-समय पर साबुन से धोएं, सतहों को छूने के बाद सेनेटाइजर लगाएं, औरों से हाथ मिलाने से बचें
-हर समय मास्क पहने रहने की कोशिश करें, सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल करें, डॉक्टर से भी ऑनलाइन राय-मशविरा लें
-जिन लोगों को किसी भी तरह का इंफेक्शन हो या फिर जो लोग संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हों, उनसे दूर रहें
-दोस्तों, रिश्तेदारों या परिजनों से मिलने के लिए उनके घर जाने के बजाय वीडियो कॉल पर बात करके दिल को तसल्ली दें
-कोई मेहमान मिलने आए तो उससे हर समय मास्क पहने रहने को कहें, घर में प्रवेश के साथ ही हाथ धुलवाएं, सेनेटाइजर छिड़कें


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