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सामूहिक कब्र! मिला कुछ ऐसा जानकर हैरान रह जाएंगे

jantaserishta.com
17 July 2022 12:41 PM GMT
सामूहिक कब्र! मिला कुछ ऐसा जानकर हैरान रह जाएंगे
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

नई दिल्ली: पोलेंड (Poland) के इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल रिमेंबरेंस (Institute of National Remembrance- IPN) ने द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी कंसनट्रेशन कैंप के पास, सामूहिक कब्र के सबूत खोजे हैं. यहां कई टन राख पाई गई है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये करीब 8,000 लोगों के अवशेषों से बनी राख है.

इन सबूतों से यह जाहिर है कि नाजियों ने पोलैंड और पड़ोसी देशों में किए गए अत्याचारों के अवशेषों को छिपाने की बहुत कोशिश की थी. IPN के अध्यक्ष कैरोल नवरोकी (Karol Nawrocki) ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस खोज के बारे में बताया.
नवरोकी ने कहा कि जर्मनों ने जो अपराध किए, वे उनकी जिम्मेदारी लेने से बचना चाहते थे. 1944 के बसंत में, यहां दफन किए गए लोगों के शवों की खुदाई की गई और उन्हें जला दिया गया. जलाए गए अवशेषों को जमीन में दबा दिया गया, ताकि अपराध के बारे में किसी को पता न चले और किसी को उसके लिए जिम्मेदार न ठहराया जा सके. उनकी ये कोशिश नाकाम रही, क्योंकि IPN वर्ल्ड वार 2 के पीड़ितों और नायकों की तलाश करने के लिए दृढ़ है. उनमें से किसी एक को भी, कभी भी भूलने नहीं दिया जाएगा.
नवरोकी का कहना है कि उत्तर-पूर्वी पोलैंड में सोल्डाऊ कंसनट्रेशन कैंप (Soldau concentration camp) के पास भारी मात्रा में मानव राख का पता चला है. राख का वजन करीब 15.8 टन है. इस कैंप को ट्रांसिट कैंप कहा जाता था, जिसमें यहूदी और पोलिश बुद्धिजीवियों को श्रमिक शिविरों में भेजे जाने से पहले तक रखा जाता था. हालांकि, यह सिर्फ कहने की बात थी, क्योंकि इस कैंप का इस्तेमाल पढ़े-लिखे पोलिश लोगों को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता था.
होलोकॉस्ट अत्याचारों के दौरान, शवों को ठिकाने लगाने के कई तरीके थे. जिन युद्ध बंदियों को कैद किया गया था, उन्हें ऑशविट्ज़ (Auschwitz) में मारे गए साथी युद्धबंदियों के अवशेष जलाने को मजबूर किया गया था. बताया जा रहा है कि सोल्डोऊ कैंप के शवों को मूल रूप से सामूहिक कब्रों में दफना दिया गया था. फिर नाजियों ने यहूदी लोगों को शवों को खोदकर उन्हें जलाने के आदेश दिए थे, ताकि अपराध के बारे में किसी को खबर न लगे.
ऐतिहासिक तौर पर अनुमान लगाने पर पता चला कि 1945 में सोवियत सेना के कब्जा करने से पहले, सोल्डोऊ में 10 से 13 हजार निर्दोष लोग मारे गए थे. अब राख के नमूनों का DNA विश्लेषण किया जाएगा, ताकि लोगों की पहचान की जा सके.


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