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मंगल ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर मानव जीवन की संभावनाएं हैं और दुनियाभर के विज्ञानी दशकों से इसे लेकर अध्ययनरत हैं। अब नासा की नई खोज से पता चला है कि दो से ढाई अरब साल पहले मंगल की सतह पर पानी रहा होगा। इस जानकारी से मंगल पर भविष्य में पानी की तलाश को नई दिशा मिल सकती है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार, मंगल पर किसी भी तरह की नई जानकारी विज्ञानियों के लिए उत्साहवर्धक होती है। क्योंकि मंगल ही एक ऐसा ग्रह है, जिस पर पृथ्वी की तरह अनेक समानताएं हैं। इस कारण इस ग्रह पर मानव बस्ती बसाने का सपना विज्ञानियों का है और इस दिशा में दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां लगातार अध्ययनरत हैं। इस खोज से अब मंगल पर पानी की सही उम्र का पता चल गया है, जिससे मंगल पर हो रहे शोधों को नई दिशा मिल सकती है।
डा. पांडेय ने बताया कि दरअसल, पूर्व में हुए अध्ययन के आधार पर माना जाता था कि मंगल की सतह पर करीब तीन अरब साल पहले पानी रहा होगा और अब नई जानकारी से इस समयावधि में काफी अंतर आ गया है। नासा के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिट (एमआरओ) से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह नई जानकारी सामने आई है। इससे मंगल की सतह पर पानी के अस्तित्व का सही पता चलता है।
नासा का एमआरओ साल 2006 से मंगल ग्रह का चक्कर लगा रहा है। इसी से लाल ग्रह पर यह जानकारी मिल पाई है। मंगल पर नासा अब तक अपने कई मिशनों के जरिए अनेक जानकारियां जुटा चुका है, जिनमेें इस ग्रह पर पानी, नमक व लवण समेत कई खोज शामिल हैं। विज्ञानी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि मंगल पर कितने समय सूक्ष्म जीव रह सकते हैं।
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