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कोरोना वायरस महामारी के बीच दुनियाभर में करोड़ों लोग एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन (AstraZeneca COVID-19 vaccine) लगवा रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना वायरस महामारी के बीच दुनियाभर में करोड़ों लोग एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन (AstraZeneca COVID-19 vaccine) लगवा रहे हैं. हालांकि इससे रक्त के थक्के जमने का दुर्लभ जोखिम (risk of blood clotting) भी कई देशों में दिखा, जिसके बाद से कहीं-कहीं ये बैन भी कर दिया गया. इस बीच एस्ट्राजेनेका की पहली डोज ले चुके लोग ये तलाश रहे हैं कि वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं. ब्लड क्लॉट के बारे में सबसे ज्यादा सवाल उठे हैं. तो जानिए, इस वैक्सीन को लेने के बाद क्या हो सकता है.
अगर मैंने एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ले ली है तो क्या मुझे सुरक्षा के बारे में चिंता करनी चाहिए?
इससे किसी भी तरह के गंभीर खतरे या फिर मौत की आशंका नगण्य, 55 हजार में से एक में होती है, जिसने पहला डोज लिया हो. इसके अलावा अब हमें पता है कि वैक्सीन के कारण होने वाला ब्लड क्लॉट किया है और उसे कैसे ट्रीट किया जाए. इसे VITT यानी वैक्सीन-जनित थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है. इस प्रक्रिया में खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और मौत का डर रहता है.
हालांकि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में भी मौत का खतरा कम रहता है. सही समय पर जानकारी से मुश्किल पर कंट्रोल किया जा सकता है. यही कारण है कि विशेषज्ञ एस्ट्राजेनेका लेने वालों को न घबराने की सलाह दे रहे हैं
क्या मुझे एस्ट्राजेनेका का दूसरा डोज लेना चाहिए? और कब?
वैक्सीन का दूसरा डोज लेना कोरोना संक्रमण का खतरा कम करने के लिए बहुत जरूरी है. इससे हमारी इम्युनिटी और तगड़ी होती है. अब तक हम क्लिनिकल ट्रायल से ये जान चुके हैं कि वैक्सीन का पहला डोज संक्रमण से नहीं बचा पाता है. हां, इससे मौत का खतरा जरूर घट जाता है. वहीं दूसरा डोज लेने पर संक्रमण का भी खतरा कम होता है.
वैक्सीन का दूसरा डोज कब लें, ये अब भी खंगाला जा रहा है लेकिन अब तक जो समझ आ सका है, उसके मुताबिक पहले और दूसरे डोज के बीच 12 से 20 हफ्ते का अंतर होना चाहिए.
क्या वैक्सीन के दूसरे डोज के अलग तरह के खतरे होते हैं?
देखा गया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दूसरी डोज में खून का थक्का जमने का खतरा, पहले डोज की तुलना में और घट जाता है. इससे 6 लाख में एक व्यक्ति प्रभावित हो सकता है. अगर आपको पहला डोज लेने के बाद परेशानी नहीं आई तो दूसरे डोज के लिए तो आपको और निश्चिंत हो जाना चाहिए.
पहले और दूसरे डोज के बीच 12 से 20 हफ्ते का अंतर होना चाहिए- सांकेतिक फोटो (Photo- twitter)
वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का जमना कितना खतरनाक है?
हां, इसपर बात होनी चाहिए. अव्वल तो वैक्सीन लेने पर खून का थक्का जमना ही दुर्लभ बात है लेकिन अगर ये होता है तो काफी गंभीर है और मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि अच्छा ये है कि अब हमारे पास क्लॉटिंग को लेकर काफी सारी जानकारियां और इनका इलाज हो रहा है. पहले ये दुर्लभ मामले 60 से 80 प्रतिशत थे, जो अब घटकर 20 प्रतिशत रह गए हैं.
मरीज भी अब जागरुक हैं, जिससे केस और घट रहे हैं.
क्या दूसरे डोज में कोई दूसरी वैक्सीन ली जा सकती है?
इस बारे में कनाडा की नेशनल एडवायजरी कमेटी कहती है कि पहला और दूसरा डोज एक ही वैक्सीन का लिया जाना चाहिए. या फिर उनका लिया जाना चाहिए, जो वैक्सीन्स एक से तरीके से तैयार हुई हैं. जैसे फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित हैं, ऐसे में पहला डोज एक का और दूसरा इन दोनों में से ही किसी का लिया जा सकता है. या फिर एस्ट्राजेनेका और जॉनसन वायरल वेक्टर वैक्सीन हैं तो इनके भी डोज में मिक्सिंग हो सकती है.
इस पर और डाटा आ रहा है जो मिक्स एंड मैच तकनीक का रिजल्ट शानदार कह रहा है लेकिन फिलहाल एक वैक्सीन के ही दो डोज देना प्रेफर किया जा रहा है.
क्या ऐसे कोई लक्षण हैं, जो ब्लड क्लॉट का इशारा करते हैं?
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया यानी वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का बनने के कई लक्षण हैं, जो टीका लेने के 4 या ज्यादा दिनों बाद दिखते हैं. तेज और लगातार सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, पैरों में सूजन, सांस लेने में परेशानी, पेट में दर्द और टीका ली हुई जगह पर चकत्ते पड़ना जैसे लक्षण दिखने पर लोगों को सचेत होने की जरूरत है. इसके अलावा हल्का बुखार, थकान जैसे लक्षण सामान्य की श्रेणी में आते हैं.
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने पर किन लोगों में खून का थक्का जमने का डर होता है?
क्लॉटिंग की घटनाएं इतनी कम हैं कि अब भी ये समझना मुश्किल है कि किन लोगों पर इसका खतरा ज्यादा होता है. हालांकि अब तक ये दिखा है कि महिलाओं में ब्लड क्लॉट का खतरा पुरुषों से कुछ ज्यादा होता है. जिन लोगों को पहले से ही खून गाढ़ा होने की समस्या रही हो, ऐसे लोगों को ये वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए.
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