विज्ञान

हमारी आकाशगंगा में दिखा मैगी, वैज्ञानिक ये सब देखकर हैरान

jantaserishta.com
8 Jan 2022 12:47 PM GMT
हमारी आकाशगंगा में दिखा मैगी, वैज्ञानिक ये सब देखकर हैरान
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नई दिल्ली: हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में 'मैगी' (Maggie in Milky Way) बन रही है. मैगी की तरह ही ये बेहद लंबी और पतली है. यह हमारे आकाशगंगा में अब तक खोजी गई सबसे लंबी आकृति है. असल में यह घुमावदार रहस्यमयी बादलों और गैसों का एक बेहद लंबा हिस्सा है, जिसमें सबसे ज्यादा मात्रा हाइड्रोजन गैस का है. वैज्ञानिकों ने इसे 'मैगी-गैस के बादल' (Maggie Gas Cloud) नाम दिया है.

इसे खोजने वाले शोधकर्ताओं ने अपने बयान में कहा है कि हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे खोजी गई यह अब तक की सबसे लंबी वस्तु है. इसकी लंबाई करीब 3900 प्रकाश वर्ष है. चौड़ाई करीब 150 प्रकाश वर्ष है. यह हमारे सौर मंडल से करीब 55 हजार प्रकाश वर्ष दूर है. इससे पहले जो बादलों और गैसों का सबसे लंबा हिस्सा खोजा गया था, वह करीब 800 प्रकाश वर्ष लंबा था.
असल में यहां पर बादलों और गैसों को मैगी (Maggie) नाम खाने वाले नूडल्स या उत्पाद का नहीं है. बल्कि इसका नाम कोलंबिया में स्थित सबसे लंबी मैग्डालेना नदी (Magdalena River) के नाम पर रखा गया है. इसकी स्टडी की है The HI/OH/Recombination line survey of the Milky Way (THOR) से जुड़े वैज्ञानिकों ने. इसका डेटा न्यू मेक्सिको स्थित जांस्की वेरी लार्ज एरे रेडियो ऑब्जरवेटरी सेंटर में रिसीव किया गया.
वैज्ञानिकों ने बताया कि 'आकाशगंगा में मैगी' (Maggie In Miky Way) ऐसे छोर पर स्थित है, इसकी स्टडी करना थोड़ा आसान था. यह आसानी से दिख जाती है. जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी (MPIA) के शोधार्थी जोनास सैयद ने कहा कि हमें सच में यह नहीं पता कि हमने इसे कैसे खोजा. यह खोज किसी अजूबे से कम नहीं है. यह आकाशगंगा के मैदानी इलाके से करीब 1600 प्रकाशवर्ष नीचे मौजूद है.
जोनास ने बताया कि इसके अंदर से मिल रहे रेडिएशन की वजह से पता चलता है कि यहां पर भारी मात्रा में हाइड्रोजन मोजूद है. यह टेलिस्कोप से मिले डेटा से स्पष्ट होता है. इतना ही नहीं रेडियो टेलिस्कोप से देखने पर यह साफ-साफ दिखाई भी देता है. चुंकि यह आकाशगंगा में एकदम आइसोलेटेड जगह पर है, इसलिए वैज्ञानिक इसके अंदर होने वाली गतिविधियों की गणना भी आसानी से कर पा रहे हैं.
MPIA के दूसरे साइंटिस्ट और इस खोज के सहयोगी जुआन सोलेर ने कहा कि 'आकाशगंगा में मैगी' (Maggie In Miky Way) हमने अभी प्राथमिक जांच के बाद जो डेटा मिले हैं, उनसे यह खुलासा किया है. अभी और जांच चल रही है. लेकिन हमारी शुरुआती स्टडी में ही यह बात निकल कर सामने आ गई है कि यह बेहद लंबी आकृति है, जिसमें रहस्यमयी बादलों और गैसों का बेहद बड़ा जमावड़ा है.
जुआन सोलेर ने बताया कि 'आकाशगंगा में मैगी' (Maggie In Miky Way) सिर्फ बड़ी ही नहीं है. बल्कि इसमें मौजूद हाइड्रोजन की मात्रा इसे बाकी गैस के बादलों से अलग बनाती है. हाइड्रोजन दो ही तरह से बनता है. पहला एटॉमिक हाइड्रोजन यानी जिसमें खुले हाइड्रोजन के सिंगल एटम होते हैं. दूसरा मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन जिसमें हाइड्रोजन के दो एटम यानी H2 होता है. यानी हाइड्रोजन के दो कण आपस में मिले होते हैं.
जुआन ने बताया कि आकाशगंगा में मौजूद ज्यादातर गैस के बादलों में मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन होता है, लेकिन 'आकाशगंगा में मैगी' (Maggie In Miky Way) के अंदर 92 प्रतिशत एटॉमिक हाइड्रोजन है. इसका यही फीचर इसे वैज्ञानिकों के लिए रोचक बना रहा है. क्योंकि ज्यादातर तारे मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन से बनते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण की ताकत के चलते घने होकर खत्म हो जाते हैं.
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन वाले बादलों का प्राचीन इतिहास सिंगल एटम के हाइड्रोजन का रहा होगा. क्योंकि सिंगल हाइड्रोजन कण ही समय के साथ मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन में बदल गया होगा. हालांकि इसे लेकर अभी तक एक रहस्य बरकरार है कि सिंगल एटम और मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन कैसे तारों का निर्माण करते हैं.
'आकाशगंगा में मैगी' (Maggie In Miky Way) का 8 फीसदी हिस्सा ऐसा है, जहां पर मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन का घनत्व बेहद ज्यादा है. इसलिए शोधकर्ताओं को लगता है कि 'मैगी' इस समय एक या उससे ज्यादा मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन गैस के बादलों में परिवर्तित होने की कगार पर है. आगे की स्टडी से यह पता चलेगा कि इसमें किस तरह के बदलाव हो रहे हैं. यह स्टडी हाल ही में एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुई थी.

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