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विज्ञान
लूना-25: मुश्किल में रूस का मून मिशन, चंद्रमा पर उतरने से ठीक पहले ये क्या हुआ?
jantaserishta.com
20 Aug 2023 3:12 AM GMT
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नई दिल्ली: रूस के मून मिशन लूना-25 में तकनीकि समस्या आने से उसकी चांद पर लैंडिग सवालों के घेरे में आ गई है. लूना-25 के ऑटोमैटिक ऑनबोर्ड कंप्यूटर पर इमरजेंसी हुई है. यह स्थिति किस तकनीकि गड़बड़ी की वजह से हुई है, इसकी जांच हो रही है. रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि हम इस काम को सही करने के लिए वॉरफुट पर नहीं जा सकते. इसमें समय लगेगा. ऐसे में लूना-25 के चांद पर लैंडिंग को भी वक्त लग सकता है.
बता दें कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी, रॉसकॉसमॉस ने कहा है कि लूना-25 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के ऊपर एक आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ा है और टीमें समस्या का विश्लेषण कर रही हैं. एक बयान में कहा गया है कि प्रबंधन टीम फिलहाल स्थिति का विश्लेषण कर रही है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर भारत के चंद्रयान-3 मिशन से पहले होने वाले लैंडिंग प्रयास पर रॉसकॉसमॉस ने अभी तक कुछ भी नहीं कहा है.
रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा कि लूना-25 अंतरित्र यान के सामने चंद्रमा पर उतरने से पहले एक आपातकालीन स्थिति सामने आई है. स्पेस एजेंसी ने एक बयान में कहा कि, 'लैंडिंग से पहले की कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए थ्रस्टर चलाया गया था. ऑपरेशन के दौरान, लूना-25 के ऑटोमैटिक स्टेशन में एक इमरजेंसी की स्थिति सामने आई, जिसने इसके थ्रस्टर ऑन करने की अनुमति नहीं दी.
रूसी स्पेस एजेंसी के ऑर्बिट बदलने की जो तय योजना थी. उसके अनुसार लूना-25 में एक ऑनबोर्ड कंप्यूटर लगा है. जो ऑटोमैटिकली अपना रास्ता यानी ऑर्बिट सेलेक्ट कर लेता है. उसे कब किस समय कितनी ऊंचाई पर जाना है. वह पता कर लेता है. उसी हिसाब से चलता है. लेकिन इस ऑटोमैटिक ऑनबोर्ड कंप्यूटर पर इमरजेंसी हुई. किसी तकनीकि गड़बड़ी की वजह से, जिसकी जांच हो रही है. रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि हम इस काम को सही करने के लिए वॉरफुट पर नहीं जा सकते. इसमें समय लगेगा.
लूना-25 को 11 अगस्त को रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन कोस्मोड्रोम से बिना किसी त्रुटि के लॉन्च किया गया. स्पेसपोर्ट रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक महत्वकांक्षी परियोजना है और रूस को एक अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने और कजाकिस्तान में बैकोनूर कोस्मोड्रोम से रूसी प्रक्षेपणों को स्थानांतरित करने के उनके प्रयासों की कुंजी है. इस सप्ताह की शुरुआत में चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद यह चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा था.
लूना-25 को चंद्रमा की चट्टान और धूल के नमूने लेने हैं. ब्लूमर ने कहा, "वहां किसी भी आधार के निर्माण से पहले चंद्रमा के पर्यावरण को समझने के लिए नमूने जरूरी हैं, अन्यथा हम चीजें बना सकते हैं और छह महीने बाद उन्हें बंद करना पड़ सकता है क्योंकि सबकुछ प्रभावी रूप से रेत-विस्फोट किया गया है." चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि रखता है, जो मानते हैं कि स्थायी रूप से छाया वाले ध्रुवीय क्रेटरों में पानी हो सकता है.
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