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लिवर की बीमारी? त्वचा में इन बदलाव से कर सकते हैं पहचान
लिवर को शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और पित्त के उत्पादन से लेकर विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट के भंडारण तक, यह अंग शरीर के लिए कई अति महत्वपूर्ण कार्यों को करता है। डॉक्टरों के मुताबिक पेट और आंतों से निकलने वाला सारा खून लीवर से होकर गुजरता है। लिवर इस रक्त को संसाधित करने, उनमें पोषक तत्वों को शामिल करने का कार्य करता है, यही कारण है कि इस अंग में होने वाली किसी भी तरह की समस्या कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अस्वस्थ खान-पान और जीवनशैली में गड़बड़ी के कारण लोगों में लिवर की कई समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) ऐसी ही एक समस्या है।
डॉक्टरों के मुताबिक एनएएफएलडी, लिवर में फैट के निर्माण के कारण होने वाली समस्या है। वैसे तो माना जाता है कि शराब पीने वाले लोगों को लिवर की समस्याओं का खतरा अधिक होता है, हालांकि एनएएफएलडी उन लोगों को भी हो सकता है जो शराब नहीं पीते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि त्वचा में परिवर्तन के आधार पर इस समस्या का निदान कैसे किया जा सकता है, साथ ही नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज से किस तरह से सुरक्षित रहा जा सकता है?
नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज के क्या लक्षण होते हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर के ज्यादातर रोगियों में शुरुआत में वैसे तो कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं, समय के साथ कुछ लोगों को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द और शरीर में थकान की समस्या हो सकती है। वहीं जब यह बढ़ जाता है तो रोगी में कई और गंभीर लक्षण हो सकते हैं।
पेट में सूजन (जलोदर)
त्वचा की सतह के ठीक नीचे रक्त वाहिकाओं को बढ़ना।
स्पलीन का बढ़ना।
हथेलियों का लाल होना।
त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं लिवर की बीमारियों में त्वचा के रंगों में बदलाव आ जाता है, उसके आधार पर इस समस्या की पहचान की जा सकती है।
नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या के कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एनएएफएलडी क्यों होता है, यह स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, हालांकि कुछ स्थितियां इस समस्या का कारण बन सकती हैं।
अधिक वजन या मोटापा
इंसुलिन प्रतिरोध।
हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लेसेमिया)।
रक्त में फैट का बढ़ जाना।
आइए जानते हैं कि त्वचा के रंगों के आधार पर एनएएफएलडी की समस्या का कैसे पता लगा सकते हैं?
त्वचा के नीचे खून जमने जैसी लालिमा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लिवर में होने वाली किसी भी तरह की समस्या के कारण उन प्रोटीन का उत्पादन कम हो जाता है, जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करती हैं। इस वजह से चोट लगने के बाद रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। एनएएफएलडी की समस्या में त्वचा के नीचे खून जमा होने जैसे संकेत दिख सकते हैं, ऐसे संकेत दिखते ही सावधान हो जाना चाहिए।
त्वचा का पीलापन
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार लिवर की समस्या में पीलिया होना सामान्य है। इस स्थिति में त्वचा, आंख, नाखून और पेशाब का रंग पीला हो जाता है। यह बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाने के कारण होने वाली समस्या है। पीलिया का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए, पीलिया बढ़ने से एनएएफएलडी का खतरा भी बढ़ जाता है।