विज्ञान

गर्म ग्रह में पनप सकता है जीवन, भूर्भीय गतिविधियों की खोज ने जगाई उम्मीद

Gulabi
24 Jun 2021 3:44 PM GMT
गर्म ग्रह में पनप सकता है जीवन, भूर्भीय गतिविधियों की खोज ने जगाई उम्मीद
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भूर्भीय गतिविधियों की खोज ने जगाई उम्मीद

हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक हमारे सौरमंडल (Solar System) में पृथ्वी (Earth) के अलावा दूसरे पिंडों में कहां-कहां जीवन है या हो सकता है, इसकेअध्ययन तो कर ही रहे हैं, वे यह भी चाहते हैं कि सौरमंडल और दूसरे ग्रहों की उत्पत्ति कैसे हुई. फिलहाल वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन संकेत खोजने के साथ वहां जीवन के अनुकूल हालात बनाने की संभावनाओं पर भी शोध कर रहे हैं. लेकिन शुक्र ग्रह (Venus) को हमारे वैज्ञानिक लंबे समय से नजरअंदाज करते रहे. हाल ही में शुक्र के अध्ययन काफी तेजी आई है. ताजा अध्ययन से पता चला है कि शुक्र ग्रह की सतह के नीचे भूगर्भीय गतिविधियां सक्रिय हैं. वैज्ञानिक इसे अच्छी खबर मान रहे हैं.

शुक्र की ऊपरी परत
शुक्र ग्रह की ऊपरी परत ठोस लेकिन भंगुर है और यह कई टुकड़ों में टूटी हुई है और गतिविधि कर रही है. सतह के नीचे धीमे चलने वाली मैंटल परत इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है. शोधकर्ताओं ने यह दशकों पुराने राडार आंकड़ों के आधार पर पता लगाया है कि कैसे शुक्र की सतह ग्रह के आंतरिक हिस्से से अंतरक्रिया करती है.
टेक्टोनिक गतिविधि के संकेत
इस प्रणाली को शोधकर्ताओं ने प्रोसोडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में विस्तर से बताया है. अधिकतर ग्रह-वैज्ञानिक लंबे समय से शुक्र ग्रह को टेक्टोनिक भूभाग के भंडार के रूप में देखते हैं. कुछ भूभाग लंबे और पतली पट्टी की तरह हैं जहां पर्पटी एक दूसरे की तरफ धकेली गई है जिससे टीले या चोटियां बनीं या एक दूसरे से खींची गई है जिससे घाटियां बनी हैं. कई जगह तो पर्पटी के अगल बगल हिलने के प्रमाण भी दिखाई देते हैं.
हाल ही में हुई हैं टेक्टोनिक गतिविधियां
नया अध्ययन से पहली बार पता चला है कि ये चोटियां या टीले और ये घाटियां प्रायः सपाट और निचले इलाकों की सीमाएं दर्शाती हैं जो बहुत कम विकृतिया दिखा रही हैं. ये पर्पटी के टुकड़े समय के साथ दूसरी जगह पर चले गए या घूम गए. और ये सब हाल ही में हुआ लगता है. ये बिलकुल पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट गतिविधि की तरह है लेकिन बहुत ही छोटे स्तर जो किसी महासागर में बर्फ के बड़े टुकड़े के तैरने के जैसा है.
पृथ्वी के मैंटल की तरह
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से पृथ्वी की मैटल घूम रही है उसी तरह से शुक्र की मेंटल परत भी धाराओं के रूप में घूम रही है और नीचे से गर्म हो रही है. उन्होंने इस धीमे लेकिन शक्तिशाली मैंटल गतिविधि का मॉडल बनाया और दर्शाया कि ऊपरी पर्पटी के टुकड़े होने के लिए काफी बल की जरूरत लगी होगी.
क्या आज भी है सक्रियता
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस गर्म ग्रह पर आज भी सक्रिय ज्वालामुखी और टेक्टोनिक गतिविधियां हो रही हैं. यह ग्रह आकार, संरचना और उम्र में पृथ्वी की तरह ही है तो आज यहां ज्वालामुखी सक्रिय क्यों नहीं होते. लेकिन शुक्र ग्रह तक भेजा गया कोई भी अभियान निर्णायक तौर पर इसकी सक्रियता के बारे में नहीं बता पाया.
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शुक्र में भूगर्भीय सक्रियता का साबित होना इस ग्रह के बारे में हमारी समझ को बहुत प्रभावित करेगा. यह स्पष्ट नहीं है कि पर्पटी के टुकड़े कितने विस्तार से फैले हैं. शोधकर्ताओं ने अभी तक 58 टुकड़े पाए हैं. लेकिन इससे ज्यादा ही होने चाहिए. शोधकर्ताओं को अब नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी की ओर से जाने वाले अभियानों से बेहतर और साफ तस्वीरें मिलने की उम्मीद हैं जिनसे काफी पुष्टियां हो सकती हैं और शुक्र ग्रह का अध्ययन एक निश्चित दिशा में जा पाएगा.
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