विज्ञान

अमेरिका में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च छोड़कर वे वापस अपने देश आ गए, ग्रामीण बच्चों को विज्ञान और तकनीक के प्रति कर रहे जागरूक

Triveni
13 Oct 2020 12:05 PM GMT
अमेरिका में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च छोड़कर वे वापस अपने देश आ गए, ग्रामीण बच्चों को विज्ञान और तकनीक के प्रति कर रहे जागरूक
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विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए अमेरिका जाकर बसना एक सपना होता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए अमेरिका जाकर बसना एक सपना होता है। अमेरिका की सुख-सुविधाओं के साथ ही वे अपने लिए बेहतर और सुरक्षित भविष्य के ख्वाब बुनते हैं। वहीं, दूसरी ओर डॉ. संदीप सिंह इससे बिलकुल अलग हैं।

अमेरिका में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च छोड़कर वे वापस अपने देश आ गए हैं और ग्रामीण बच्चों को विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही वे पीजीआई में पोस्ट डॉक्टरल वैज्ञानिक के रूप में भी जुड़ गए हैं। इस काम में उनके सहपाठियों के साथ ही विदेश के साथी भी जुड़े हैं।

डॉ. संदीप सिंह का कहना है कि वह गांव के रहने वाले हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्हें विज्ञान को समझने का मौका मिला। इसमें उनकी दिलचस्पी इतनी बढ़ी कि बीएससी, एमएससी के बाद बीएचयू से बायो टेक्नोलॉजी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

इसके बाद पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के लिए उनका चयन अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में हो गया और 2016 में शिकागो पहुंच गए। वहां काम करने के दौरान घर और अपने देश की याद सताती रही। साथ ही यह भावना भी रही कि गांव के काफी विद्यार्थी प्रतिभाशाली होने के बावजूद विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

बुजुर्ग मां-बाप की बीमारी के बाद वे वापस भारत आ गए। लखनऊ के पीजीआई के सेंटर ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च से पोस्ट डॉक्टरल साइंटिस्ट के रूप में जुड़ गए। इसके साथ ही उन्होंने इंडियन साइंटिफिक एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन की स्थापना भी की। इस फाउंडेशन से बीएचयू के शोधकर्ता और अन्य सहपाठी भी जुड़ गए।

इसके बाद पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के लिए उनका चयन अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में हो गया और 2016 में शिकागो पहुंच गए। वहां काम करने के दौरान घर और अपने देश की याद सताती रही। साथ ही यह भावना भी रही कि गांव के काफी विद्यार्थी प्रतिभाशाली होने के बावजूद विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

बुजुर्ग मां-बाप की बीमारी के बाद वे वापस भारत आ गए। लखनऊ के पीजीआई के सेंटर ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च से पोस्ट डॉक्टरल साइंटिस्ट के रूप में जुड़ गए। इसके साथ ही उन्होंने इंडियन साइंटिफिक एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन की स्थापना भी की। इस फाउंडेशन से बीएचयू के शोधकर्ता और अन्य सहपाठी भी जुड़ गए।

विज्ञान की पढ़ाई के लिए देंगे छात्रवृत्ति

इस तरह से करीब 50 आजीवन सदस्य, 15 मार्गदर्शक और करीब 30 वालंटियर की टीम के साथ उनका अभियान शुरू हो गया। यह टीम प्रदेश के विभिन्न जनपदों के गांव में जाकर बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करती है। प्रश्नोत्तरी कराती है, बच्चों को विज्ञान के प्रैक्टिकल करके दिखाती है और साथ ही विज्ञान के क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं एवं कॅरियर के बारे में भी जानकारी देती है।

डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि वे विभिन्न संसाधनों से गरीब विद्यार्थियों को विज्ञान की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देंगे। उनका मकसद है कि विद्यार्थी आर्थिक अभाव में विज्ञान की पढ़ाई से वंचित न रहें। गांव की प्रतिभाएं विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी तो हमारा देश भी आगे बढ़ेगा।

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