विज्ञान

जानें Reusable रॉकेट का उपयोग क्यों होने वाले है अब एकदम आम बात

Triveni
8 Jan 2021 9:52 AM GMT
जानें Reusable रॉकेट का उपयोग क्यों होने वाले है अब एकदम आम बात
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साल 2020 अंतरिक्ष उद्योग (Space Industry) के लिहाज से हमेशा ही एक अहम साल माना जाएगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| साल 2020 अंतरिक्ष उद्योग (Space Industry) के लिहाज से हमेशा ही एक अहम साल माना जाएगा. बहुत सी उपलब्धियों के साथ इस साल रियूजेबल यानि पुनः उपयोग किए जा सकने वाले रॉकेट (Reusable Rocket) का इस्तेमाल हकीकत में बदल गया था. स्पेस एक्स (SpaceX) साल के अंत तक पुनः उपयोग में लाए जा सकने वाले फॉल्कन 9 रॉकेट (Falcon-9 Rocket) को पहले चरण के लिए आसानी से इस्तेमाल करने लगा था. इतना ही नहीं अब नासा (NASA) ने भी भविष्य में ISS के लिए अपने यात्री अभियानों के लिए रियूजेबल फॉल्कन -9 के इस्तेमाल के लिए सहमति जता दी है. अब रियूजेबल रॉकेट जल्द ही एक आम बात होने वाली है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)


एक व्यवसायी ग्राहक साइरियस ने अपने XM7 सैटेलाइट को फॉल्कन 9 (Folcon-9) बूस्टर की सातवी उड़ान में प्रक्षेपित किया. इसके अलावा पहले नेशनल सिक्यूरिटी पे-लोड ने भी रियूजेबल बूस्टर का उपयोग किया जब अमेरिका के नेशनल रिकोनाइसेंस ऑफिस (NRO) ने NROL-108 अभियान फॉल्कन-9 के प्रथम चरण की पांचवी उड़ान पर प्रक्षेपित किया गया. और यूएस स्पेस फोर्स (US Space Force) भी जीपीएस III सैटेलाइट भविष्य में उपयोग किए हुए बूस्टर्स (Used Boosters) का उपयोग करेगा. इसके अलावा एक अन्य अमेरिकी कंपनी रॉकेट लैब (Rocket lab) ने भी पिछले साल प्रयोग किए और उसके इलेक्ट्रॉन रॉकेट (Electron Rocket) के पहले चरण के बाद पृथ्वी में सुरक्षित पुनः प्रवेश सफलता से किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

इस सफलता का श्रेय नासा (NASA) के लंबे प्रयासों को जाता है. पहले उसने स्पेस शटल (Space Suttle) के लिये पार्शियली रियूजेबल लॉन्च सिस्टम (RLS) का उपयोग किया था. जिसमें ठोस रॉकेट बूस्टर्स थे जो थोड़ी से मरम्मत के बाद एक से अधिक उड़ान भरने में सक्षम थे. लेकिन इसकी एक उड़ान में 1.5 अरब डॉलर का खर्चा था. इसके बाद नासा ने 1990 में डेल्टा क्लिपर प्रोग्राम को वर्टिकल उड़ान और वर्टिकल लैंडिंग के परीक्षण के ले अनुदान दिया. लेकिन इस पर ज्यादा काम होने से पहले ही इसे बंद कर दिया गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

फॉल्कन रॉकेट-9 (Falcon-9) के साथ स्पेस एक्स (SpaceX) ने वर्टिकल लॉन्चिंग (Vertical Launching) और वर्टिकल लैंडिंग (Vertical Landing) के विचार पर काम किया. स्पेसएक्स ने स्पेस शटल से सीखा की केवल रॉकेट पर ही काम नहीं करना होगा. लॉन्च व्हीकल (launch vehicle, )को भी पर्याप्त रूप उन्नत करना होगा जिससे वह कम खर्चे में दोबारा उपयोग में लाया जा सके. अब स्पेस एक्स की एक उड़ान का खर्चा 5 करोड़ डॉलर से कम हो गया है. जो स्पेस शटल के खर्चे से तीन प्रतिशत है. अब यूरोपीय, चीनी और रूसी भी रियूजेबल रॉकेट का उपयोग सुनिश्चित करने में लगे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

स्पेस एक्स (SpaceX) के फॉल्कल-9 (Falcon-9) ने पहले सफल उड़ान साल 2015 में भरी थी. उसके बाद से कंपनी ने 70 अतिरिक्त रॉकेट वापस लाने में सफलता पाई है और उनमें से 49 फिर से उड़ान भर सके हैं. इसी दौरान स्पेसएक्स के प्रतिस्पर्धी यूनाइटेड लॉन्च एलाइंस (United Launch Alliance) ने 26 बार अपने एटलस 5 रॉकेट को उड़ाया है. स्पेस एक्स का कहना है कि उनके ग्राहकों और बीमा कंपनियों का उन पर विश्वास बढ़ा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

पुनः उपयोग में निवेश कर स्पेस एक्स (SpaceX) ने हर प्रक्षेपण (Launch) की लागत को घटना के साथ ही अपनी फैक्ट्री (Factory) की जगह भी बचाई है. हॉथोर्न कैलीफोर्निया में स्थित इस फैक्ट्री में अब उसे नए मर्लिन इंजन (Engine) बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है. कंपनी को अब हर साल अतिरिक्त 40 बूस्टर्स बनाने की जरूरत नहीं होती है. इससे कंपनी को अपने दूसरे कार्यों में ध्यान देने का मौका मिलता है. और अब वे अगली पीढ़ी के रॉकेट पर शोध करने पर ध्यान दे पा रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

रॉकेट लैब (Rocket lab) भी रीयूज के मामले में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ने में लगा है. एक बार पहले चरण के पुनःउपयोग के बाद रॉकेट लैब के सहसंस्थापक पीटर बेक का कहना है कि कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता को मांग के अनुरूप दोगुना कर सकती है. कंपनी का कहना है कि रॉकेट लैब ने स्पेस एक्स (SpaceX) से पहले पुनः उपयोग का प्रयास रॉकेट लैब ने ही किया था. केवल 2017 और 2018 में ही कंपनी ने इस पर ध्यान देना शुरू किया और इस साल वे बेहतर होंगे और अब रॉकेटलैब का कोई भी नया व्हीकल बनेगा, वहां पहले दिन से ही रियूजेबल (Reusable Vehicle) ही होगा.


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