विज्ञान

जानें 2000 साल पुरानी सभ्यता में पानी कैसे किया जाता था शुद्ध...शोधकर्ताओं ने कही ये बता

Gulabi
25 Oct 2020 9:41 AM GMT
जानें 2000 साल पुरानी सभ्यता में पानी कैसे किया जाता था शुद्ध...शोधकर्ताओं ने कही ये बता
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पानी की आवश्यकता मानव की प्राथमिक जरूरतों में से एक रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पानी की आवश्यकता मानव की प्राथमिक जरूरतों में से एक रही है. इसके लिए इतिहास की हर सभ्यता में पानी के प्रबंधन (Water management) की अलग ही व्यवस्था पाई गई है. किसी शहर के लिए साफ पानी (Pure Water) का उपलब्ध होना न केवल आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये जरूरी है, बल्कि कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाने का जरिया भी है. बहुत सारी पुरानी सभ्यताओं (Old Civilizations) में साफ पानी के प्रबंधन की व्यवस्थाएं रही हैं, लेकिन हाल ही में दक्षिण अमेरिका (South America) की माया सभ्यता (Maya Civilization) में एक खास पानी साफ करने की व्यवस्था (Water filtration System) का पता चला है जिससे शोधकर्ता बहुत प्रभावित हैं.

बहुत ही प्रभावकारी व्यवस्था

साफ पानी हासिल करने के तरीके भारत, ग्रीस, मिस्र और रोमन सभ्यताओं तक में पाए गए हैं. पुरातत्वविदों ने दक्षिण अमेरिका की माया सभ्यता में पानी साफ करने का एक बहुत ही प्रभावकारी व्यवस्था की खोज की है.

ये खास खनिज

आज के ग्वेटामाला के वर्षा वनों में पुरातत्वविदों को माया सभ्यता के एक बड़े शहर तिकाल के एक जलभंडार के अवशेष मिले हैं. उन्होंने इस इलाके में जियोलाइट और क्वार्ट्ज खनिजों को पाया है जो वहां कभी भी स्थानीय रूप से नहीं पाए गए हैं. ये दोनों ही खनिज पानी में से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीव, भारी धातुएं और नाइट्रोजन यौगिक जैसे हानिकारक पदार्थ हटाते हैं.

आज भी होता है इनका उपयोग

ये दोनों खनिज इतने प्रभावकारी हैं कि ये दोनों आज पानी साफ करने वाले सिस्टम में उपयोग लाए जाते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के एन्थ्रोपोलॉजिस्ट केनेथ बार्नेट टेंकर्सले ने बताया, "इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये सिस्टम आज भी कारगर है और माया सभ्यता में इसे 2000 साल से भी पहले खोजा गया था."

जियोलाइट की खासियत

इसमें जियोलाइट खास तौर पर दिलचस्प है. यह प्राकृतिक रूप से एल्यूमीनियम और सिलिकॉन का क्रिस्टलीय पदार्थ है. इसमें सिलिकॉन और एल्यूमीनियम ऑक्सीजन परमाणुओं से ऐसे जुड़ते हैं कि यह आयन आदान प्रदान करने वाला और अवेशषित करने वाला एक बहुत ही प्रभावकारी पानी छानने वाला पदार्थ बन जाता है.

ऐसा कहीं और कभी और नहीं दिखा

जियोलाइट का उपयोग इतिहास में देखने को नहीं मिलता है. पुरातन ग्रीक और रोमन सभ्यताएं पोजोलान का उपयोग करते थे. जो आज सीमेट बनाने के लिए उपयोग में आता है. पुरातत्वविदों के अनुसार जियोलाइट बीसवीं सदी से पहले कहीं और पानी साफ करने के लिए उपयोग में नहीं लाया गया है.

सबसे पुरानी मिसाल

साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि तिकाल के जलभंडार में जियोलाइट फिल्टरेशन सिस्टम पश्चिमी गोलार्द्ध में पानी साफ करने का सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण है और दुनिया में भी.

साफ पानी का तब महत्व

माया सभ्यता, खासतौर पर तिकाल, में पानी साफ करने का महत्व बहुत ज्यादा था. शहर में पानी के स्रोत के 10 जलाशय थे. जनसंख्या बड़ी थी और जलवायु बहुत विविधता भरी, जिसमें मौसमी सूखे की स्थितियां भी हुआ करती थीं. इसके साथ ही पानी के दूषित होने की संभावना काफी थीं.

इस अध्ययन पर जोर

ऐसे हालातों में उन्हें पानी साफ करने के एक सिस्टम की जरूरत थी. इसी लिए टेंकर्सले और उनकी टीम ने खोजबीन की. उन्होंने इस पुराने शहर के तीन सबसे बड़े जलाशयों की खनिज संरचना का अध्ययन किया.


शोधकर्ताओं ने जलाशयों के तल के अवसादों में पाया कि वहां जियोलाइट और क्वार्ट्ज रेत है जो कि इस इलाके में आमतौप पर प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता. शोधकर्ताओं का लगता है कि जियोलाइड तिकाल से 30 किलोमीटर उत्तर पूर्व से उत्खनन कर लाया जाता होगा, जहां ज्वालामुखी चट्टानों में से बहुत ही साफ पानी निकलता है.

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