विज्ञान

पृथ्वी टकराने वाला उस पिंड के बारे में जानें... जो चाँद के बनने का था वजह

Deepa Sahu
28 March 2021 4:19 PM GMT
पृथ्वी टकराने वाला उस पिंड के बारे में जानें... जो चाँद के बनने का था वजह
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चंद्रमा के बनने की प्रक्रिया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चंद्रमा के बनने की प्रक्रिया के बारे में माना जाता है कि वह पृथ्वी (Earth) से एक प्रोटोप्लैनेट थिया (Porotplanet Thia) के टकराव से बना था. यह शोध कहता है कि थिया के अवशेष पृथ्वी के मैंटल में मौजूद है. हमारे सौर मंडल (Solar System) में चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ इस पर कई मत है. इनमें से प्रमुख मत है कि चंद्रमा पहले पृथ्वी का ही हिस्सा था. बहुत से वैज्ञानिकों का मानना है क चंद्रमा 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से थिया नाम के प्रोटो प्लैनेट के पृथ्वी से टकराने के बाद बना था. अब ताजा शोध का कहना है कि उस ग्रह के अवशेष पृथ्वी की मैंटल में आज भी मौजूद हैं.

मौजूद हैं उसके अवशेष
इस अध्ययन के मुताबिक थिया के अवशेष दो महाद्वीपों के आकार की परतों की चट्टानों के रूप में पृथ्वी की गहरे मैंटल में मौजूद हैं. पिछले सप्ताह हुई 52 लूनार एंड प्लैनेटरी साइस कॉन्फ्रेंस में टेम्पे की ऐरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के जियोडाइनानिक्स के पीएचडी छात्र कियान युआन ने बताया कि दशकों से सीजमोलॉजिस्ट पश्चिमी अफ्रीका और प्रशांत महासागर के नीचे के इलाकों की पड़ताल की है.
बहुत ही विशाल इलाका है ये
यह हजारों किलोमीर लंबा और उसके कई गुना चौड़ा, करीब दो महाद्वीपों के आकार की परतों की चट्टान पृथ्वी के मैंटल की सबसे बड़ी चट्टान वाला इलाका है. अपने शोधपत्र में युआन ने मॉडलिंग और नए आइसोटोपिक प्रमाणों का आधार पर चर्चा की. उनके मुताबिक लार्ज लोशियर वेलोसिटी प्रोविंस (LLSVPs) के उस ग्रह के अवशेष हैं. पहले यह माना है कि LLSVP केवल पृथ्वी की गहराई के मैग्मा के क्रिस्टलीकरण से बना है. एक मत यह भी था कि यह उस टकराव, जिससे चंद्रमा का निर्माण हुआ, के प्रभाव से बना था.
1970 की थ्योरी में अंतर
1970 के दशक में इम्पैक्ट थ्योरी का प्रतिपादन किया गया था जिसमें यह व्याख्या भी की गई थी कि चंद्रमा सूखा क्यों है और उसकी लौह क्रोड़ क्यों नहीं हैं. इसके मुताबिक थिया पृथ्वी की गहरी चट्टान से टकराया था और पानी जैसे उड़नशील पदार्थ उड़ गए होंगे जबकि कम घनी चट्टानों से मिलकर चंद्रमा का निर्माण हुआ होगा. इस थ्योरी के मुताबिक टकराने वाला ग्रह मंगल या उससे छोटा रहा होगा. लेकिन युआन की कार्य बताता है कि थिया पृथ्वी जितना बड़ा ग्रह ही रहा होगा.
किस तरह के मिले प्रमाण
साइंस मैग्जीन की रिपोर्ट के मुताबिक युआन का प्रस्ताव अभी पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हुआ है, लेकिन डेविस की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के जियोकैमिस्ट सुजॉय मुखोपाध्याय का कहना है कि आइसलैंड और सैमोआ से मिले प्रमाण बताते हैं कि LLSVP का अस्तित्व तब से है जब से चंद्रमा का निर्माण हुआ था.
कब हुआ होगा ये
सीजमिक इमेजिंग तकनीक से वैज्ञानिकों ने मैग्मा के संकेत देखे जो ज्वालामुखियों ने आइसलैंड और समोआ द्वीपों के दोनों ओर LLSVP तक देखे. उन्होंने पिछले कई दशकों से देखा कि इन द्वीपों में रेडियोधर्मी तत्वों के आइसोटोप मौजूद हैं जो पृथ्वी के इतिहास के पहले 10 करोड़ सालों के दौरान बने थे.
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इसी बीच युआन के कार्य से सीधे ना जुड़े हुए एक दूसरे वैज्ञानिक और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के सीजमोलॉजिस्ट एडवर्ड गार्नेरो का कहना है कि यह पहली बार है कि किसी इस तरह के इतने विविध प्रमाण प्रस्तुत किए हैं और इस संभावना का एक मजबूत पक्ष रखा है.


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