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![जानिए आयुर्वेद की आलोचना कौन कर रहा है जानिए आयुर्वेद की आलोचना कौन कर रहा है](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/06/25/3819669-9.webp)
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आयुर्वेद की आलोचना:- Criticism of Ayurveda
कैंसर अनुसन्धान यूके के अनुसार इस बात का कोई अच्छा प्रमाण नहीं है कि आयुर्वेद किसी भी बीमारी के इलाज के लिए कारगर है। आयुर्वेदिक तैयारियों में सीसा, पारा और आर्सेनिक पाया गया है, ऐसे पदार्थ जो मनुष्यों के लिए हानिकारक माने जाते हैं।
2008 के एक अध्ययन में, इंटरनेट के माध्यम से बेची जाने वाली अमेरिका और भारतीय निर्मित पेटेंट आयुर्वेदिक दवाओं में से लगभग 21% में भारी धातुओं, विशेष रूप से सीसा, पारा और आर्सेनिक के जहरीले स्तर पाए गए। भारत में ऐसे धातु संदूषकों के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभाव अज्ञात हैं।
आयुर्वेद सम्बन्धी शोध research on ayurveda
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार का ध्यान आयुर्वेदिक सिद्धांत एवं चिकित्सा संबंधी शोध की ओर आकर्षित हुआ। फलस्वरूप इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और एकाधिक शोधपरिषदों एवं संस्थानों की स्थापना की गई है जिनमें से प्रमुख ये है |
सेंट्रल कौंसिल फॉर रिसर्च इन इंडियन मेडिसिन ऐंड होम्योपैथी नामक इस स्वायत्तशासी केंद्रीय अनुसंधान परिषद् की स्थापना का बिल भारत सरकार ने २२ मई १९६९ की लोकसभा में पारित किया था। इसका मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा के सैद्धांतिक Principles of Ayurvedic Medicine
एवं प्रायोगिक पहलुओं के विभिन्न पक्षों पर अनुसंधान के सूत्रपात को निदेशित, प्रोन्नत, संवर्धित तथा विकसित करना है। इस संस्था के प्रधान कार्य एवं उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
(१) भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, योग एवं होम्योपैथी) पद्धति से संबंधित अनुसंधान को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करना। Present in a scientific manner.
(२) रोगनिवारक एवं रोगोत्पादक हेतुओं से संबंधित तथ्यों का अनुशीलन एवं तत्संबंधी अनुसंधान में सहयोग प्रदान करना, ज्ञानसंवर्धन एवं प्रायोगिक विधि में वृद्धि करना।
(३) भारतीय चिकित्साप्रणाली, होम्योपैथी तथा योग के विभिन्न सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पहलुओं में वैज्ञानिक अनुसंधान का सूत्रपात, संवर्धन एवं सामंजस्य स्थापित करना।
(४) केंद्रीय परिषद् के समान उद्देश्य रखनेवाली अन्य संस्थाओं, मंडलियों एवं परिषदों के साथ विशेषकर पूर्वांचल प्रदेशीय व्याधियों और खासकर भारत में उत्पन्न होनेवाली व्याधियों से संबंधित विशिष्ट अध्ययन एवं पर्यवेक्षण संबंधी विचारों का आदान प्रदान करना।
(५) केंद्रीय परिषद् एवं आयुर्वेदीय वाङमय के उत्कर्ष पत्रों आद का मुद्रण, प्रकाशन एवं प्रदर्शन करना। Publication and exhibition.
(६) केंद्रीय परिषद् के उद्देश्यों के उत्कर्ष निमित्त पुरस्कार प्रदान करना तथा छात्रवृत्ति स्वीकृत करना। छात्रों को यात्रा हेतु धनराशि की स्वीकृति देना भी इसमें सम्मिलित है।
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Usha dhiwar
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