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विज्ञान
जानिए ठंडे खून के जानवर और लंबी उम्र में क्या है संबंध, वैज्ञानिकों की टीम ने किया अध्ययन
Gulabi Jagat
25 Jun 2022 3:12 PM GMT
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वैज्ञानिकों की टीम ने किया अध्ययन
दुनिया में सरीसृप (Reptiles) और उभयचर (Amphibians) ठंडे खून के जीव (Cold blooded Animals) होते हैं जो अन्य जीवों के मुकाबले लंबा जीवन (Long life Span) जीते हैं. ऐसा क्यों होता है इस सवाल पर एक गहन और वृहद अध्ययन कर जवाब तलाशा गया है. इस अध्ययन से वैज्ञानिकों को ऐसी जानकारियां मिली है जो इस पहेली की व्याख्या करने में नई रोशनी डाल रही हैं. 114 वैज्ञानिकों ने दुनिया भर की 77 विभिन्न प्रजातियों के 107 अलग अलग जनसंख्याओं के दशकों से जमा किए गए आंकड़ों में पता लगाया है कि आखिर ठंडे खून वाले जीवों का जीवनकाल आकार के अनुसार इतना लंबा क्यों होता है.
नॉर्थईस्टर्न इलिनोइस यूनिवर्सीट की उद्भव जीवविज्ञानी बेथ रेइंकी बताती है, "ये विभिन्न सुरक्षा प्रणालियां जानवरों (Animals) की पीढ़ियों में मृत्यु दर कम कर देती हैं. इससे इनके लंबा जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है और धीमी गति से उम्र बढ़ने (Slow Aging) के विकास के लिए उनका भूभाग का चयन भी बदल जाता है. यह कहना नाटकीय लगता है कि कुछ प्रजातियों (Speices) की तो उम्र ही नहीं बढ़ती यानि वे बूढ़े ही नहीं होते हैं और उनके एक बार उनके द्वारा प्रजनन प्रक्रिया भी पूरी करने पर उनके मरने की संभावना उम्र के साथ बदलती नहीं है."
यदि 10 साल की उम्र में सौ में से एक जानवर (Animals) के मरने की संभावना है या फिर 90 की उम्र में भी सौ में से एक जानवर के मरने की संभावना है यह नगण्य वयोवृद्धि (negligible aging) कही जाती है. वहीं अमेरिका में औसत महिलाओं के मामले में 20 साल की महिलाओं के लिए यह संभावना 2500 में से एक है और 80 की उम्र की महिलाओं के लिए 24 में से एक है. नगण्य वयोवृद्धि हर एक्टोथर्म (ectotherm) समूह की कम से कम एक प्रजाति में देखी गई जिसमें मेंढक, छिपकली, मगरमच्छ और कछुए शामिल हैं.
लेकिन शोध में एक अलग अवधारणा का समर्थन नहीं किया जिसमें ठंडे खून वाले जनवरों (Coldblooded animals) में शारीरिक तापमान का नियंत्रण बाहरी तापमान पर निर्भर और उससे संबंधित कम मेटाबॉलिज्म लंबे जीवन की गारंटी नहीं है. टीम ने पायाकि एक्टोथर्म ज्यादा लंबा जीवन जी सकते हैं या फिर समान आकार वाले एंडोथर्म (Endotherm) की तुलना में ज्यादा कम जीवन जीते हैं. वयोवृद्धि या बढ़ती उम्र (Aging) की दर और लंबा जीवन जीने की विशेषता पक्षियों और स्तनपायी जीवों की तुलना में कहीं ज्यादा थी. शोधकर्ताओं ने धीमी गति से बढ़ने वाले कछुए की प्रजाति ही ऐसी पाई जिसमें धीमे मेटाबॉलिज्म का संबंध उम्र बढ़ने की धीमी गति और लंबे जीवन से था और इन्हीं में संरक्षित फीनोटाइप सबसे शक्तिशाली था.
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की इवोल्यूशनरी जीवविज्ञानी एनी ब्रोनीकोवस्की ने बताया कि हो सकता है कि ठोस खोल के साथ बदली हुई आकृतियों ने संरक्षण देने का काम किया और उनके उद्भव (Evolution) के इतिहास में योगदान दिया. इसमें नगण्य वयोवृद्धि (negligible aging) या अप्रत्याशित रूप से लंबा जीवन शामिल है. इस अध्ययन के नतीजे भविष्य में बहुत उपयोगी हो सकते हैं. चाहे इससे इंसानों की वयोवृद्धि हो या फिर ठंडे खून के जानवरों (Coldblooded Animals) का सरंक्षण हो. शोधकर्ता अब इसमें गहराई और विस्तार से अध्ययन करना चाहते हैं. वे नर्म खोल वाले और ठोस खोल वाली कछुओं में बूढ़े होने के लिहाज से अंतर जानना चाहते हैं. इससे उन्हें और स्पष्ट जानकारी मिल सकती है.
ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स यूनिवर्सटी के इकोलॉजिस्ट माइक गार्डनर ने बताया कि लंबी अवधि के आंकड़े और उनके अध्ययन कई अहम नतीजे देने में सहायक रहे हैं जिनमें आलसी छिपकलियों में एकलप्रजनन (Monogamy) संबंध भी शामिल है. ये आंकड़ें सरीसृपों (Reptiles) के लंबे जीवन के बीच उनके संरक्षण (Conservation) के प्रयासों के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे. यह अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
Gulabi Jagat
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