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बढ़ती है मिट्टी की उर्वरक क्षमता
इस साल पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी देखने को मिल रही है. हालांकि अभी पीक सीजन आना बाकी है. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों और सरकारों को उम्मीद है कि किसान पहले की तरह अब बड़ी मात्रा में पराली नहीं जलाएंगे. पराली जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर सभी स्तर पर जागरूक किया गया है. वहीं वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक तरीकों का इजाद किया है, जिसका किसान इस्तेमाल कर रहे हैं.
वैसे तो देश भर में धान की कंबाइन से कटाई के बाद किसान पराली जलाते हैं, लेकिन सबसे अधिक घटनाएं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती हैं. लेकिन यहां के किसान अब पूसा डीकंपोजर का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से तो बचा ही जा सकता है, साथ ही खेत की उर्वरक शक्ति में बढ़ोतरी भी होती है. एक तरह से यह किसानों को लिए फायदे का सौदा है.
पूसा डीकंपोजर को इस तरह किया जाता है तैयार
पूसा डीकंपोजर का घोल तैयार कर खेतों में छिड़काव किया जाता है. घोल तैयार करने के लिए 25 लीटर पानी को गुड़ के साथ उबाला जाता है और फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ देते हैं. इसके बाद इसमें बेसन और और एक फूंगी वाले कैप्सूल को मिलाया जाता है. फिर इन बर्तनों को मलमल के कपड़े से ढक कर तीन-चार दिन के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि इसमें फंगस पनप सकें.
एक एकड़ में 10 लीटर घोल की जरूरत
इसके बाद इसका खेत में छिड़काव किया जाता है. एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव करने के लिए 10 लीटर घोल की जरूरत होती है. घोल तैयार करने में एक सप्ताह का वक्त लगता है और छिड़काव के बाद पराली को खाद में बदलने में 15 दिन का समय लगता है. यह करीब एक महीने की एक प्रक्रिया है. अगर समय पर धान की कटाई कराकर पूसा का डीकंपोजर का इस्तेमाल न किया जाए तो आगामी फसलों की बुवाई में देरी हो सकती है.
बढ़ती है मिट्टी की उर्वरक क्षमता
खेत में छिड़काव करने वाले किसान बताते हैं कि हमें कम से कम 10 दिन में पूसा डीकंपोजर मिलता है और छिड़काव के बाद करीब 15 दिन तक पराली को खाद में बदलने के लिए इंतजार करना पड़ता है. फिर जुताई से पहले कुछ दिन तक खेत को ऐसे ही छोड़ देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया के बाद पराली खाद में बदल जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पूसा डीकंपोजर के इस्तेमाल से मिट्टी में कार्बन और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है. अगली फसल से अधिक पैदावार लेकर किसानों को इसका लाभ प्राप्त होता है.
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