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हिंदू शास्त्रों में रोजमर्रा के तमाम कामों के लिए नियम बनाए गए हैं
हिंदू शास्त्रों में रोजमर्रा के तमाम कामों के लिए नियम बनाए गए हैं. इन नियमों के सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. यही वजह है कि हमारे बड़े-बुजुर्ग कुछ कामों को लेकर नियमों का पालन करते हैं और हमें भी सीख दिया करते हैं.
लेकिन आजकल की खराब लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सब धीरे-धीरे उन बातों को दरकिनार करते जा रहे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि शायद हम उन तथ्यों के बारे में ठीक से जानते ही नहीं. आइए आज आपको बताते हैं, ऐसी ही कुछ बातों के बारे में
रात को जूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए
घर में गंदगी को दरिद्रता माना गया है. शास्त्रों में मान्यता है कि जिस घर में गंदगी रहती है, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता. वहां दरिद्रता आने लगती है और सुख समृद्धि गायब हो जाती है. लेकिन अगर इसके वैज्ञानिक कारणों पर ध्यान दें तो रात में जूठे बर्तन छोड़ने से उसमें कीटाणु पैदा हो जाते हैं और रातभर में उनकी संख्या काफी ज्यादा हो जाती है. जब हम सुबह इन बर्तनों को साफ करते हैं, तो वे कई बार इन बर्तनों में रह जाते हैं और हमारी बीमारी का कारण बनते हैं. जाहिर सी बात है कि बीमारी घर में नकारात्मकता लेकर आती है और ऐसे में धन भी व्यय होता है.
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोएं
अक्सर हमारे घर के बड़े बुजुर्ग कहा करते हैं कि दक्षिण दिशा में पैर करके मत सोया करो, ये अच्छा नहीं होता. लेकिन हम उनकी बात को दरकिनार कर देते हैं. लेकिन वास्तव में इसका वैज्ञानिक कारण ये है कि सौरमंडल की चुम्बकीय तरंगे, दक्षिण से उत्तर दिशा में की तरफ गमन करती हैं. ऐसे में जब हम दक्षिण दिशा में सिर करके सोते हैं तो प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है. वहीं अगर दक्षिण की ओर पैर और उत्तर की ओर सिर किया जाए तो पृथ्वी का उत्तर और सिर का उत्तर दोनों साथ में आने से प्रतिकर्षण बल काम करता है. इस धक्का देने वाले बल से आपके शरीर मे संकुचन आता है. ऐसे में कई बार शरीर में रक्त का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर हो जाने का डर रहता है और हाई बीपी की समस्या हो सकती है.
रात में झाड़ू न लगाना
हमारे घरों में रात में भी झाडू लगाने से मना किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं. लेकिन इसके पीछे वास्तविक वजह ये है कि सालों पहले गांवों में बिजली नहीं होती थी. रातो में रोशनी के लिए लैंप या मोमबत्ती काम में आया करती थी, जिनकी रोशनी बहुत ही कम हुआ करती थी. ऐसे में रात में साफ सफाई करने से सूक्ष्म जीवों के मरने का डर रहता था. साथ ही घर में गिरा हुआ कोई खास सामान कचरे के साथ बाहर चला गया तो उसका पता नहीं चलेगा. इस वजह से रात में झाड़ू लगाना मना किया जाता था. यदि लगाना भी पड़े तो कूड़े को घर के अंदर ही किनारे इकट्ठा कर दिया जाता था.
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