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धरती पर जब भी गर्मी बढ़ती है, तभी हर कोई सूरज की तपन के बारे में बात करने लगता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | धरती पर जब भी गर्मी बढ़ती है, तभी हर कोई सूरज की तपन के बारे में बात करने लगता है. जो सूरज धरती से काफी दूर है, फिर भी यहां की जमीन को गर्म कर देता है, तो क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसका तापमान कितना होगा? इसी से जुड़ी जानकारी एक अध्ययन में सामने आई है. जिससे पता चलता है कि सूरज की बाहरी परत इतनी गर्म होती है कि इसका तापमान 1.7 मिलियन डिग्री फॉरेन्हाइट तक पहुंच जाता है. इसके पीछे का कारण सतह पर होने वाले कैंपफायर को बताया गया है. सूरज की छोटी फ्लेयर्स को कैंपफायर (आग के छोटे-छोटे गोले) के नाम से जाना जाता है.
बीते साल जून महीने में यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सूरज की अब तक की सबसे पास से ली गई तस्वीरें जारी की थीं. ये तस्वीरें सोलर ऑर्बिटर की मदद से ली गई थीं. जिसमें सूरज की सतह पर डॉटिड वाले क्षेत्रों में कैंपफायर को देखा जा सकता है. तस्वीरों में आग के गोले दिखाई दे रहे हैं. जिनकी चमक 10 सेकेंड से 200 सेकेंड तक रहती है. ईएसए (European Space Agency) के सोलर ऑर्बिटर से जारी हुए नए आंकड़े से पता चलता है कि कैंपफायर यानी आग के गोले एक प्रक्रिया के तहत बनते हैं, जो सूरज की बाहरी परत को गर्म कर देते हैं. जिससे इसका तापमान 1.7 मिलियन डिग्री फॉरेन्हाइट तक पहुंच जाता है.
सोलर फिजिक्स का सबसे बड़ा रहस्य
सूरज की बाहरी परत नीचली परत के मुकाबले 300 गुना अधिक गर्म होती है. ये एक ऐसी घटना है, जिसके बारे में जानकर दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं. इसे सोलर फिजिक्स के सबसे बड़े रहस्य के तौर पर भी देखा जाता है. सोलर फ्लेयर्स (सूरज की चमक में अचानक तीव्र परिवर्तन) के विस्फोट से धरती पर रेडियो और मैग्नेटिक गड़बड़ी (Magnetic Disturbance) हो सकती है. नासा के ऑर्बिटर ने सूरज की ये तस्वीरें 7.70 करोड़ किलोमीटर दूर से ली थीं. तस्वीरों में पीले और गहरे रंग का धुआं दिखाई दे रहा है
कंप्यूटर सिमुलेशंस पर आधारित
हाल ही में किए गए अध्ययन की बात करें तो ये कंप्यूटर सिमुलेशंस (Computer Simulations) पर आधारित है, जिसे ईएसए के साथ मिलकर खोजकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने पूरा किया है. इसपर जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर सिस्टम रिसर्च के प्रोफेसर हारदी पीटर ने कहा, 'हमारा मॉडल यूरज के उत्सर्जन या ऊर्जा का पता लगा लेता है.' हालांकि खोजकर्ताओं का ऐसा मानना है कि उनका काम अभी शुरुआती चरण में ही है और खोज की गई चीजों की पुष्टि के लिए आगे भी अवलोकन करने की जरूरत है. प्रोफेसर पीटर ने कहा, 'हम ये देखने के लिए उत्सुक हैं कि मॉडल से हमें और क्या जानकारी मिलती है, जिससे इस हीटिंग प्रक्रिया से जुड़े हमारी सिद्धांतों में सुधार हो सके
Ritisha Jaiswal
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