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जानिए डायनासोर के महाविनाश के समय आखिर कैसे बचे थे कॉकरोच

Gulabi Jagat
4 April 2022 7:14 AM GMT
जानिए डायनासोर के महाविनाश के समय आखिर कैसे बचे थे कॉकरोच
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महाविनाश के समय आखिर कैसे बचे थे कॉकरोच
6.6 करोड़ साल पहले जब मैक्सिको में एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) के टकराने के चिक्सुलब क्रेटर बना था उससे दुनिया का तीन चौथाई जीवन खत्म हो गया था. इसमें सबसे प्रमुख डायनासोर (Dinosaurs) भी साफ हो गए जिसमें से केवल आज के पक्षियो के पूर्वज बचे थे. इसके अलावा भी कुछ प्रजातियां बच गई थीं. इनमें एक नाम कॉकरोचों (Cockroaches) का भी था. यह भी एकअध्ययन का विषय रहा है कि बचने वाली प्रजातियां खुद को बचाने में सफल कैसे रहीं. इनमें कॉकरोच कैसे बचे रह गए और हम इंसानों के लिए इसमें क्या सबक हैं.
इस महाविनाश (Mass Extinction) में क्षुद्रग्रह के टकराव (Asteroid Impact) से ऐसा असर हुआ कि एक के बाद एक ऐसी घटनाओं ने महाविनाश को संभव बना दिया. दूर स्थानों पर ज्वालामुखी आने लगे जिससे वायुमंडल में राख और धुंआ छा गया और पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी आना बंद हो गई. पौधे मरने लगे फिर उन्हें खाने वालों की बारी आई. धीरे धीरे तीन चौथाई जीवन ही साफ हो गया. ऐसे में एक दो इंच लंबे कॉकरोच (Cockroaches) कैसे बच गए जबकि बड़े बड़े जानवर नहीं बच सके.
कॉकरोच (Cockroaches) का शरीर बहुत सपाट सा होता है, यह कोई संयोग नहीं है. इस वजह से वे खुद को कई ऐसे जगह पहुंचा सकते हैं जहां बाहरी प्रभाव नहीं पहुंच पाता है. इसी क्षमता ने उन्हें चिक्सुलब टकराव (Chicxulub Impact) से बचने में मदद की. जब टकराव हुआ तो पृथ्वी (Earth) का तापमान अचानक बढ गया. बहुत से जानवरों को कहीं छिपने की जगह तक नहीं मिली लेकिन कॉकरोच गर्मी से बचने के लिए मिट्टी की दरारों में छिप गए जो ऊष्मा से बचने की एक बढ़िया जगह है.
महाविनाश (Mass Extinction) संबंधी इन घटनाओं में पहले पेड़ पौधे, फिर उन्हें खाने वाले मरने लगे. लेकिन कॉकरोचों (Cockroaches) को इसका नुकसान नहीं हुआ. जहां कई कीड़े पौधों को ही खाना पसंद करते हैं. कॉकरोच सर्वहारी अपमार्जक (omnivorous scavengers) थे. वे पौधों और जानवरों के मरने के बाद के अवशेष भी खाकर जिंदा रह सकते थे. और महाविनाश के माहौल में वे खुद को बचाने में सफल भी हो सके.
इसके अलावा कॉकरोचों (Cockroaches)के लिए एक और तथ्यभी मददगार साबित हुआ. उनके अंडो बहुत सुरक्षित स्थिति में होते हैं. वे अपने अंडे (Eggs) एक सुरक्षित खोल में देते हैं. अंडों के ये डब्बे सूखे दानों के तरह दिखते हैं जो ओदेका (Oothecae) कहलाते हैं जिसका मतलब अंडों की डिबिया होता है. ये अंडों के खोल बहुत सख्त होते हैं जो नुकसान और दूसरे खतरों से बचाने का काम करते हैं. कई कॉकरोंचों को महाविनाश के समय इन खोलों में रहने का फायदा भी मिला होगा.
कॉकरोच (Cockroaches) जमीन पर कहीं भी रह सकते हैं. वे गर्म इलाकों से धरती के सबसे ठंडे कोनों में रह सकते हैं. आज दुनिया में चार हजार प्रजातियां (Species) हैं. इन कॉकरोचों में से कई प्रजातियां इंसानों के आसपास मिलती हैं. वे बीमारियां (Disease) फैला सकते हैं. लेकिन इसके साथ वे एलर्जी फालने में वाले कण पैदा करते हैं जिससे कई लोगों को अस्थमा और एलर्जी के रिएक्शन जैसी समस्याएं होती हैं.
कॉकरोच (Cockroaches)से निपटना अब एक मुश्किल काम होता है जा रहा है क्योंकि वे कीड़े मारने वाली दवाओं (Insecticides) के प्रतिरोधक हो गए हैं. बेशक वे आमतौर पर इंसानों को पसंद नहीं आते लेकिन वैज्ञानिकों के लिए वे गहन शोध के विषय भी हैं. उन्हें दबा कर नहीं मारा जा सकता है. हां वे कुचलने पर जरूर खत्म हो जाते हैं, लेकिन वे कैसे रहते हैं, कैसे गतिमान होते हैं उनकी शरीर की बनावट कैसी है ये सब शोध का विषय हैं. वैज्ञानिक उनसे रोबोट डिजाइन के आइडिया सीख रहेहैं. अगर कभी पृथ्वी (Earth) फिर किसी क्षुद्रग्रह से टकराने की नौबत आई तो कॉकरोचों से ज्यादा खतरा इंसानों को होगा.
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