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NASA ने बताया है कि बृहस्पति (Jupiter) का ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) ग्रह के बादलों के नीचे गहराई तक फैला हुआ है
NASA ने बताया है कि बृहस्पति (Jupiter) का ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) ग्रह के बादलों के नीचे गहराई तक फैला हुआ है. ये तूफान इतना बड़ा है कि ये पृथ्वी को आसानी से निगल सकता है. स्पेस एजेंसी के जूनो स्पेसक्राफ्ट (Juno spacecraft) ने इस विशालकाय तूफान की गहराई का पता लगाया.
जूनो से मिले डाटा के मुताबिक, इस तूफान की गहरा 350 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक है. वहीं, तूफान की चौड़ाई 16,000 किलोमीटर है. जूनो मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के स्कॉट बोल्टन ने कहा कि तूफान के तल पर एक कठिन कटऑफ नहीं हो सकता है.
बृहस्पति ग्रह पर किसी भी समय गैस के विशाल क्षेत्र में हजारों तूफान आते रहते हैं. ये तूफान पूरे ग्रह को कवर करते हैं और इन्हें जूनो स्पेसक्राफ्ट के कैमरों द्वारा कैद किया गया है. जूनो ने 2016 में बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया और अब तक ग्रह के 37 चक्कर पूरे कर चुका है.
बृहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्ध में लाल रंग के बादलों का एक विशाल अंडाकार तूफान है, जिसे लेकर कहा जाता है कि ये 350 सालों से लगातार चक्कर लगा रहा है. ये सौरमंडल (Solar System) का सबसे बड़ा तूफान है. बृहस्पति की तस्वीरों में ये तूफान हल्के पीले, नारंगी और सफेद रंग की परतों से घिरे गहरे लाल रंग के गोले के रूप में दिखाई देता है.
ग्रेट रेड स्पॉट एक एंटीसाइक्लोन है, जो उच्च वायुमंडलीय दबाव के केंद्र के चारों ओर घूमता है. ये तूफान पृथ्वी पर आने वाले तूफानों की तुलना में विपरीत दिशा में घूमता है. NASA ने बताया कि तूफान के अंदर की हवाओं की रफ्तार सैकड़ों मील प्रति घंटा है. ये रफ्तार पृथ्वी पर किसी भी तूफान से काफी अधिक है.
1800 के दशक के उत्तरार्ध में इसका डायामीटर लगभग 56,000 किमी होने का अनुमान लगाया गया. लेकिन 3 अप्रैल 2017 को बताया गया कि ये 16,000 किलोमीटर चौड़ा है. ग्रेट रेड स्पॉट पृथ्वी की तुलना में 1.3 गुना चौड़ा है और समय के साथ धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है.
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