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नई दिल्ली: ब्लू ओरिजिन स्पेस कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में से एक जेफ बेजोस को 12 सितंबर 2022 को तगड़ा झटका लगा है. उनका एक रॉकेट मानवरहित कैप्सूल लेकर अंतरिक्ष की ओर जा रहा था. लेकिन बीच रास्ते में ही फेल हो गया. रॉकेट के फेल होते ही कैप्सूल ने खुद को अलग कर लिया. थोड़ी देर ऊपर जाने के बाद वह वापस पैराशूट की मदद से टेक्सास के रेगिस्तान में सुरक्षित गिरा.
टेक्सास स्थित लॉन्च साइट से ब्लू ओरिजिन के न्यू शेफर्ड मिशन की ये 23वीं (NS-23) लॉन्चिंग थी. इस लॉन्चिंग में नासा (NASA) ने भी पैसे लगाए हैं. कुछ एक्सपेरीमेंट इस कैप्सूल में भरकर अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था. जहां पर इसके जरिए अंतरिक्ष के मुहाने पर ले जाकर माइक्रोग्रैविटी की जांच की जाती. अब जानिए इस लॉन्च के फेल होने की पूरी कहानी...
हुआ यूं कि न्यू शेफर्ड बूस्टर इंजन यानी जेफ बेजोस की स्पेस कंपनी का रॉकेट. लॉन्च होने के करीब एक मिनट बाद ही 8.05 किलोमीटर की ऊंचाई पर जाकर फेल हो गया. उसमें से अलग से आग निकलने लगी. इसके बाद वह फेल हो गया. ऊपर जाना बंद कर दिया. तभी मानवरहित ऑटोमेटेड कैप्सूल ने रॉकेट से खुद को अलग कर लिया.
कैप्सूल में एबॉर्ट मोटर सिस्टम लगा है. जो रॉकेट की स्थिति बिगड़ने पर खुद को अलग कर लेता है. ऐसा करने पर कैप्सूल में लगे बूस्टर्स ने उसे रॉकेट की ऊंचाई से थोड़ा और ऊपर लेकर गया. इस समय कैप्सूल की ऊंचाई 32,739 फीट थी. यानी लगभग उतनी ही ऊंचाई जितने पर कोई भी आम नागरिक विमान उड़ता है.
रॉकेट से अलग होते समय कैप्सूल की गति 712 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. इसके बाद कैप्सूल के इंजन ऑफ हो गए. इसके बाद रॉकेट से दूर जाकर कैप्सूल के पैराशूट खुल गए. उधर दूसरी तरफ रॉकेट तय हजार्ड एरिया में गिरकर क्रैश हो गए. इस बात की पुष्टि अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने भी किया है. रॉकेट जहां गिरा उससे जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है. कैप्सूल सुरक्षित तरीके से पैराशूट के सहारे रेगिस्तान में उतर गया. FAA ने इस हादसे की जांच शुरू कर दी है.
इस साल मानवरहित कैप्सूल न्यू शेफर्ड की यह चौथी उड़ान थी. इससे पहले तीन उड़ानें सफल रही थीं. ब्लू ओरिजिन ने अब तक 31 लोगों को अपने ब्लू शेफर्ड कैप्सूल में अंतरिक्ष की यात्रा कराई है. ब्लू शेफर्ड कैप्सूल का रॉकेट उसे 3,595 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम गति से अंतरिक्ष की ओर ले जाता है. इसके बाद करीब 4 मिनट तक अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी का आनंद लेने के बाद यह धरती की तरफ लौट आता है. जीरो ग्रैविटी के समय कैप्सूल की ऊंचाई करीब 107 किलोमीटर रहती है. लौटते समय पैराशूट की मदद से इन यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया जाता है.
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