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विज्ञान
जापान कर रहा इस शानदार तकनीक पर काम, धरती से चांद तक चलेगी बुलेट ट्रेन
Gulabi Jagat
16 July 2022 4:47 AM GMT
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Bullet Train to Moon: दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक धरती के बाहर की दुनिया तक अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए तमाम तरह के शोध करते रहते हैं। जहां एक तरफ अमेरिका फिर से चांद पर जा रहा है। चीन मंगल ग्रह पर पानी की खोज कर रहा है। रूस और चीन चंद्रमा के लिए संयुक्त मिशन की योजना बना रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर जापान ने बुलेट ट्रेन और आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट की योजना बना ली है। ऐसे में इंसानों का किसी अन्य ग्रह पर रहने का सपना जल्दी ही पूरा हो सकता है। अब जापान ने एक बहुत बड़ी योजना पर काम करने का एलान किया है। दरअसल, वह धरती से एक बुलेट ट्रेन चांद तक चलाएंगे। इतना ही नहीं यह ट्रेन पहले चांद तक जाएगी। इसमें सफल होने के बाद इसे मंगल ग्रह तक भी चलाया जाएगा। इसके साथ ही मंगल ग्रह पर ग्लास (Glass) हैबिटेट बनाने की भी योजना बनाई जा रही है।
इसका मतलब ये है कि इंसान एक ऐसे आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट में रहेगा, जिसका वातावरण धरती के समान होगा। आमतौर पर कम ग्रैविटी वाले स्थानों पर इंसान की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट में इन बातों का ख्याल रखा जाएगा कि वहां ग्रैविटी और वायुमंडल धरती के जैसा ही हो।
बता दें, ग्लास (Glass) एक बड़ी कॉलोनी जैसा होगा। ये कॉलोनी चांद और मंगल ग्रह पर बनाई जाएगी, जिसमें इंसान रह सकेंगे। इसके बाहर रहने के दौरान आपको स्पेससूट पहनने की जरूरत होगी। लेकिन अंदर रहने के लिए शायद ये जरूरी न हो।
हालांकि, यहां बच्चे पैदा करने के काम को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है। क्योंकि अब तक अंतरिक्ष में ये नहीं किया गया है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि 21वीं सदी के दूसरे हिस्से में इंसान चांद और मंगल ग्रह पर रहने लगेंगे।
क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन ने मिलकर ये योजना बनाई है, जिसमें ये ग्लास एक कोन जैसा होगा, जो इंसानों के लिए रहने का स्थान होगा। करीब 1300 फीट
लंबी इस इमारत में आर्टिफिशियल ग्रेविटी होगी। साथ ही इंसानों के लिए सभी जरूरी चीजें जैसे सार्वजनिक यातायात व्यवस्था. हरे-भरे इलाके. जल स्रोत. नदियां, पार्क, पानी आदि मौजूद होगा।
2050 तक इसका प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो जाएगा। वहीं फाइनल वर्जन में करीब एक सदी का समय लग सकता है। चांद पर बनने वाले इस ग्लास कॉलोनी का नाम होगा लूनाग्लास (Lunaglass), वहीं मंगल पर बनने वाली कॉलोनी को मार्सग्लास (Marsglass) के नाम से जाना जाएगा।
दरअसल, क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन मिलकर स्पेस एक्सप्रेस (Space Express) नाम की बुलेट ट्रेन पर काम करने जा रहे हैं। ये ट्रेन धरती से चांद और मंगल के लिए चलेगी। ये एक इंटरप्लैनेटरी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (Interplanetary Transportation System) होगा, जिसे हेक्साट्रैक (Hexatrack) के नाम से जाना जाएगा।
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