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विज्ञान
जेम्स वेब टेलिस्कोप सुलझा रहा ब्रह्मांड का रहस्य, अब वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा
jantaserishta.com
16 July 2022 6:53 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: ब्रह्मांड (Universe) में हर जगह जीवन को बढ़ाने वाले हिस्से मौजूद हैं. बस जरुरत है उन्हें खोजने की. ब्रह्मांड की स्पष्ट तस्वीर दिखाने वाले जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope) को लेकर बेहद बड़ा दावा किया गया है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ब्रह्मांड में मौजूद अलग-अलग जगहों पर जीवन की खोज करने में सक्षम हैं. यानी ये टेलिस्कोप जिधर अपनी नजर घुमाएगा वहां पर ये जीवन को खोजने का प्रयास करेगा. जीवन के संकेत मिलते ही धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों को सूचना देगा.
सौर मंडल में कई स्थानों पर जीवन होने की उम्मीद है. जहां भी पानी के सबूत मिले हैं, वहां पर जीवन की उम्मीद की जा सकती है. जैसे मंगल ग्रह (Mars) और बृहस्पति (Jupiter) के चांद यूरोपा (Europa) पर. इन दोनों जगहों पर सतह के नीचे और ऊपर जल स्रोत के सबूत मिले हैं. लेकिन यहां पर जीवन की खोज करना मुश्किल है. क्योंकि यहां जाना कठिन है. ऐसा कोई लैंडर या रोवर भी नहीं बनाया गया है जो इनकी सतह पर मौजूद पानी के स्रोतों को खोज सके.
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सूरज के अलावा अन्य तारों के चारों तरफ घूम रहे ग्रहों यानी एक्सोप्लैनेट्स पर जीवन होने की सकारात्मक संभावना है. यह भी हो सकता है कि वहां पर मौजूद जीवन धरती पर मौजूद जीवन से काफी प्राचीन हो. सैद्धांतिक गणनाओं के अनुसार आकाशगंगा में 30 करोड़ रहने योग्य ग्रह हो सकते हैं. इनमें से कई तो धरती के आकार के हैं. इनकी दूरी पृथ्वी से 30 प्रकाश वर्ष है. अब तक वैज्ञानिकों ने सिर्फ पांच हजार एक्सोप्लैनेट की खोज की है. जिसमें सैकड़ों ऐसे हैं जिन पर रहा जा सकता है. या फिर वहां पर जीवन की संभावना जताई जा रही है.
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope) की ताकतवर आंखें ऐसे ग्रहों पर जीवन की खोज को आसान बनाएंगी. कई ग्रहों के वायुमंडल या सतह पर जीवन अलग-अलग रूप में हो सकते हैं. लेकिन रूप कोई सा भी हो ये अपने पीछे बायोसिग्नेचर (Biosignature) छोड़ जाते हैं. जब से सौर मंडल बना तब से धरती के वायुमंडल में ऑक्सीजन नहीं था. लेकिन सिंगल सेल वाला जीवन (Single Cell Life) था. शुरुआती दौर में धरती पर बायोसिग्नेचर बेहद धुंधला था. यह धीरे-धीरे 240 करोड़ साल में बदल गया. इसकी शुरुआत तब हुई जब शैवाल (Algae) की पैदाइश हुई.
शैवाल ने ऑक्सीजन बनाना शुरु किया. इसके बाद से पृथ्वी के वायुमंडल में धीरे-धीरे ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती चली गई. ऑक्सीजन के बढ़ने से जीवन की उत्पत्ति को बढ़ावा मिला. विभिन्न प्रकार का जीवन धरती की सतह और समुद्र में पनपने लगा. अब जैसे ही प्रकाश धरती के वायुमंडल को चीरकर निकलता, बायोसिग्नेचर दिखने लगते. जीवन को दिखाने वाले बायोसिग्नेचर तब दिखते हैं जब सूरज की रोशनी किसी ग्रह के वायुमंडल को पार करती है और कुछ ऐसे गैस को पहचानती है, जो जीवन को दर्शाते हैं.
जैसे पौधों के क्लोरोफिल (Chlorophyll) रोशनी को सोखने में माहिर होते हैं. ये प्रकाश के वेवलेंथ में लाल और नीले रंग को सोख लेते हैं. इससे सिर्फ हमें हरा-हरा दिखता है. इसी तकनीक से जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope) अन्य ग्रहों के वायुमंडल में जीवन के संकेतों की खोज करेगा. क्योंकि जेम्स वेब टेलिस्कोप में लगे ताकतवर इंफ्रारेड कैमरे अलग-अलग प्रकाश तरंगों को समझने में सक्षम है. इन प्रकाश तरंगों में आने वाली कमी को समझकर वो जीवन होने की पुष्टि करेंगे. अभी तक अंतरिक्ष में ऐसा कोई टेलिस्कोप नहीं था जो जीवन की खोज कर सके.
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope) ने हाल ही में गैस जायंट ग्रह WASP-96b से निकल रहे प्रकाशतरंगों की जांच की है. इनकी जांच में पता चला है कि वहां पर पानी और बादल मौजूद हैं. यह ग्रह इतना बड़ा और गर्म है कि वहां पर जीवन होने की पूरी संभावना है. शुरुआती जांच में पता चला है कि यह टेलिस्कोप एक्सोप्लैनेट्स पर भी जीवन खोज सकता है. वहां मौजूद बेहद धुंधले बायोसिग्नेचर को पहचान कर यह बता सकता है कि जीवन है या नहीं.
कुछ ही दिनों में जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope) अपनी आंखें TRAPPIST-1e की तरफ घुमाएगा. कहा जाता है कि यह ग्रह धरती के आकार का रहने योग्य ग्रह है. यह धरती से 39 प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है. जेम्स वेब जीवन को सीधे तौर पर नहीं खोज सकता लेकिन वह बायोसिग्नेचर पहचान सकता है. यानी जहां बायोसिग्नेचर मिलता है, वहां पर जीवन होने की पूरी संभावना है. यह टेलिस्कोप किसी भी ग्रह के वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और भाप में आने वाले बदलावों की गणना करने में सक्षम है. इन गैसों के मिश्रण से जीवन की संभावना बनती है.
इस समय धरती पर तीन बड़े टेलिस्कोप बन रहे हैं, जो अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों पर मौजूद बायोसिग्नेचर की खोज कर सकते हैं. ये हैं- जायंट मैगेलेन टेलिस्कोप, थर्टी मीटर टेलिस्कोप और यूरोपियन एक्सट्रीमली लार्ज टेलिस्कोप. ये तीनों धरती पर मौजूद किसी भी टेलिस्कोप से बहुत ज्यादा ताकतवर हैं. ये कम से कम सौर मंडल में मौजूद या उससे बाहर मौजूद नजदीकी एक्सोप्लैनेट पर ऑक्सीजन की खोज के साथ-साथ जीवन की खोज भी करेंगे.
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