विज्ञान

क्या आ गया है उड़नतश्तरी के मुद्दे के पर गंभीर होने का समय

Subhi
2 July 2022 2:36 AM GMT
क्या आ गया है उड़नतश्तरी के मुद्दे के पर गंभीर होने का समय
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उड़न तश्तरी यूएफओ या अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट की पुष्टि कभी आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है.

उड़न तश्तरी यूएफओ या अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट (Unidentified Flying objects) की पुष्टि कभी आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है. कई बार अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों में भी इस तरह के अजीब वस्तुओं को देखने की घटनाओं को भ्रम, वहम आदि करार दिया गया और अगर उसकी पड़तालें की गई तो उनमें से भी कई पर भ्रम की स्थिति बनी. लेकिन इस तरह के किस्सों से फिल्में बनाने और उपन्यास लिखने वालों को एक मसाला जरूर मिला और एलियन (Aliens) और यूएफओ पर कई फिल्में बनी जिन्होंने खूब कमाई भी की. इस सब के बीच 2 जुलाई को दुनिया में हर साल विश्व यूएफओ दिवस (World UFO Day) मनाया जाता है और इस बार भी मनाया जा रहा है.

यूएफओ और एलियन?

विश्व यूएफओ दिवस को लोगों के बीच अज्ञात उड़न तश्तरियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. यूएफओ के बारे में माना जाता है कि उनका संबंध एलियन संसारों से हैं जो ब्रह्माण्ड के दूसरे हिस्सों में पनपे जीवन से आते हैं. इस बात के बहुत ही कम निर्णायक प्रमाण हैं जो इस दावे को मजबूत कर सकें कि ब्रह्माण्ड के दूसरे हिस्से में 'बुद्धिमान' एलियन हैं. लेकिन यह दिन एक मौका देता कि सभी यूएफओ में दिलचस्पी रखने वाले अपने अन्वेषण और कल्पना को दुनिया भर के दूसरे लोगों से साझा करें.

इस साल की बात अलग

लेकिन पिछले एक साल में यूएफओ को लेकर हालात में काफी कुछ बदलाव आए हैं. पिछले महीने ही नासा ने फैसला किया है कि वह यूएफओ पर पड़ताल के लिए एक अलग से टीम बनाएगा. उससे पिछले महीने अमेरिकी कांग्रेस ने यूएफओ को लेकर जनसुनवाई की थी, जबकि एक अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने पिछले साल 144 ऐसी घटनाओं का लेखा जोखा रखा जिसमें यूएफओ को देखे जाने का संदेह था और उनकी व्याख्या नहीं हो सकी थी.

सरकारों में गंभीरता

यह पहली बार है जब अमेरिकी सरकार और नासा जैसी बड़ी वैज्ञानिक संस्था खुल कर यूएफओ का जिक्र कर रही है और उन्हें गंभीरता से ले रही है. अमेरिकी कांग्रेस में हुई जनसुनवाई में भी ज्यादा कुछ सवालों के जवाब नहीं. हां इसमें इतना यह जरूर पता चला कि सेना के पास भी ज्यादा जानकारी नहीं हैं और ना ही उन्हें इस बारे में किसी तरह के स्पष्ट या निर्णायक प्रमाण मिल सके हैं. सरकारी संस्थाओं के पास आंकड़े कम हैं और व्याख्या ना की जा सकने वाली घटनाओं की संख्या ज्यादा.

आंकड़ों की कमी

लेकिन यूएफओ के साथ सबसे बड़ी समस्या है आंकड़ों की भारी कमी. कई वैज्ञानिक यही मानते हैं कि इस क्षेत्र में आंकड़ों की भारी कमी है.इसके साथ ही इस मामले में जानकारी के स्रोत का कोई अता पता नहीं है. अभी तक हुई घटनाओं से भी की स्पष्ट और पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि घटना कहां और कब होती है इसे पहले से बताया नहीं जा सकता है.

जागरूकता और आंकड़ों की जरूरत

दुनिया में कहीं भी कभी भी हो सकने वाली घटना के आंकड़ों जमा करना ही इस दिवस को मनाने के मुख्य उद्देश्यों में से एक है. इसके अलावा जागरूकता फैलाने से ही लोग इस तरह की घटनाओं के प्रति ज्यादा सचेत हो सकते हैं और इस तरह की घटनाओं में किसी तरह के भ्रम ना फैलें और लोग ज्यादा से ज्यादा जानकारियां साझा करें.


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