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भारत का पीएसएलवी रॉकेट सिंगापुर के 7 सैटेलाइट के साथ रवाना, जानें बड़ी बातें

jantaserishta.com
30 July 2023 3:31 AM GMT
भारत का पीएसएलवी रॉकेट सिंगापुर के 7 सैटेलाइट के साथ रवाना, जानें बड़ी बातें
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श्रीहरिकोटा: भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी56 (पीएसएलवी-सी56) ने रविवार सुबह सिंगापुर के डीएस-एसएआर उपग्रह सहित सात उपग्रहों को लेकर उड़ान भरी। पीएसएलवी कोर अलोन वेरिएंट रॉकेट की मदद से 352 किलोग्राम सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह डीएस-एसएआर के साथ अन्य छह छोटे उपग्रह नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर के 23 किलोग्राम वजनी वेलॉक्स-एएम, आर्केड (24 किलोग्राम), स्कूब-दो (4 किलोग्राम); एनयूस्‍पेश पीटीई लिमिटेड, सिंगापुर के 3 किलो वजनी एनयूएलआईओएन, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के 3.5 किलोग्राम के गैलासिया -2, औरओआरबी-12 स्‍ट्राइडर लिमिटेड, सिंगापुर के 13 किलोग्राम के एलिना पीटीई उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। सातों उपग्रहों का वजन 422.5 किलोग्राम था।
228.6 टन वजनी 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी56 रॉकेट सातों उपग्रहों के साथ सुबह 6.30 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से रवाना हुआ और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 1999 के बाद से अब तक अपने रॉकेटों के साथ 36 देशों के 431 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया गया है।
रविवार को रॉकेटिंग को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड-भारत के अंतरिक्ष विभाग की वाणिज्यिक शाखा- द्वारा एसटी-इंजीनियरिंग के साथ अनुबंध कर मुख्य रूप से डीएस-एसएआर उपग्रह के साथ अन्‍य उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया। मिशन की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि इसरो रॉकेट के कक्षीय जीवन को कम करने के लिए शेष ईंधन के साथ रॉकेट के चौथे चरण को डी-ऑर्बिट करेगा या पृथ्वी की कक्षा (एलईओ) में लाएगा।
पीएसएलवी रॉकेट वैकल्पिक रूप से ठोस (पहले और तीसरे चरण) और तरल (दूसरे और चौथे चरण) ईंधन द्वारा संचालित होता है। सामान्य रूप से पीएसएलवी चार चरण/इंजन वाला रॉकेट है, जो ठोस और तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है। इसमें प्रारंभिक उड़ान के दौरान अधिक जोर देने के लिए पहले चरण में बूस्टर मोटर्स लगे होते हैं। उड़ान के ठीक 21 मिनट बाद, पीएसएलवी-सी56 राॅॅॅॅकेट से डीएस-एसएआर उपग्रह अलग हो गया और इसके बाद अन्य उपग्रह भी अपनी कक्षा में स्‍थापित हो गए।
डीएस-एसएआर उपग्रह डीएसटीए (सिंगापुर सरकार का प्रतिनिधित्व) और एसटी इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। एक बार तैनात और चालू होने के बाद, इसका उपयोग सिंगापुर सरकार के भीतर विभिन्न एजेंसियों की उपग्रह इमेजरी आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा। एसटी इंजीनियरिंग अपने वाणिज्यिक ग्राहकों के लिए मल्टी-मॉडल और उच्च प्रतिक्रियाशीलता इमेजरी और भू-स्थानिक सेवाओं के लिए इसका उपयोग करेगा।
डीएस-एसएआर इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) द्वारा विकसित सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) पेलोड रखता है। यह डीएस-एसएआर को हर मौसम में दिन और रात की कवरेज प्रदान करता है और पूर्ण पोलारिमेट्री पर एक मीटर रिज़ॉल्यूशन पर इमेजिंग करने में सक्षम है। दूसरी ओर, वीईएलओएक्‍स-एएम, एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन माइक्रोसैटेलाइट है; आर्केड एटमॉस्फेरिक कपलिंग एंड डायनेमिक्स एक्सप्लोरर (आर्केड) एक प्रायोगिक उपग्रह है; एससीओओबी-दो, एक 3यू नैनो उपग्रह है, जो एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक पेलोड से युक्‍तहै, एनयूस्‍पेश द्वारा एनयूएलआईओएन, एक उन्नत 3यू नैनो उपग्रह है, जो शहरी और दूरस्थ स्थानों में निर्बाध आईओटी कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है। इसरो ने कहा, गैलासिया-2, एक 3यू नैनो उपग्रह है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेगा और ओआरबी-12 स्ट्राइडर उपग्रह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत विकसित किया गया है। लगभग दो सप्ताह के अंतराल में इसरो की यह दूसरी सफलता है। 14 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-3 को कक्षा में स्थापित किया।
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