विज्ञान

भारत का पानी में तैरता हुआ चर्च, 1860 में हुआ था निर्माण, जानिए क्या है पीछे रहस्य

Shiddhant Shriwas
18 Oct 2021 4:47 AM GMT
भारत का पानी में तैरता हुआ चर्च, 1860 में हुआ था निर्माण, जानिए क्या है पीछे रहस्य
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देश में मौजूद रहस्यमयी इमारतें और किलों से जुड़ी कहानियां और उनकी बनावट देखकर लोग हैरान हो जाते हैं।

भारत में कई ऐसी जगहे हैं जो वैज्ञानिकों के लिए भी आज तक रहस्य हैं। देश में मौजूद रहस्यमयी इमारतें और किलों से जुड़ी कहानियां और उनकी बनावट देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। अब इसी कड़ी में हम आपको एक तैरते हुए चर्च के बारे में बताते हैं। यह चर्च मानसून के समय पानी में डूब जाता है और गर्मियों के मौसम ऊपर आ जाता है। आईए जानते हैं इस अनोखे चर्च के बारे में...

यह भारत का तैरता हुआ इकलौता चर्च कर्नाटक में स्थित है। राज्य के हसन से करीब 22 किमी दूर यह चर्च स्थित है जिसका नाम शेट्टीहल्ली रोजरी चर्च है। स्थानीय लोग इसे डूबा हुआ चर्च या तैरने वाला चर्च कहते हैं। यह चर्च अब बिल्कुल विरान है और यहां पर पर्यटक या स्थानीय लोग ही कभी-कभी आते हैं। यह खंडहर पड़ा चर्च कला का एक अद्भुत नमूना है जो अभी भी काफी खूबसूरत दिखता है।

जानिए किसने कराया था निर्माण

फ्रेंच मिशनरीज ने इस चर्च का निर्माण सन 1860 में कराया था। अब खंडहर बन चुका यह चर्च हेमावती नदी के किनारे स्थित है। इस चर्च की खासियत यह है कि बारिश के मौसम में यह पानी में डूब जाता है। इस स्थान को भारत के गुमनाम डेस्टिनेशन में शामिल किया जा सकता है। साल 1960 में हेमावती नदी पर बांध बना दिया गया जिसके बाद इस चर्च के चारों तरफ की जमीन धीरे-धीरे रेतीली हो गई और यह चर्च भी विरान हो गया।

चारों तरफ से पानी में डूबा रहता चर्च

इस चर्च की चारों तरफ की जगह लगभग पूरे साल पानी में डूबी रहती है। इसलिए इसकी खासियत बढ़ जाती है। अगर आप बारिश के मौसम में यहां पहुंचते हैं, तो चर्च का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही नजर आता है। रोजरी चर्च का नया नाम द ड्रोइंग चर्च रहस्यमय आकर्षण है। यह विरान पड़ा चर्च कई पक्षियों का घर है। इसके अलावा यह एक शांत जगह भी है जहां पर्यटक शांति के कुछ पल बिता सकते हैं।

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