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विज्ञान
भारत के चंद्रयान-3 ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया, देखें चांद की नई PICS
jantaserishta.com
23 Aug 2024 2:47 AM GMT
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चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतरे हुए एक साल हो चुके हैं.
नई दिल्ली: चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतरे हुए एक साल हो चुके हैं। इससे एक दिन पहले यानी 22 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चांद की कुछ तस्वीरें साझा की हैं। खास बात है कि ये तस्वीरें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से ली गईं हैं। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चांद का सफर शुरू किया था, जो 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ पूरा हुआ।
नेशनल स्पेस एजेंसी ने गुरुवार को लिखा, 'चंद्रयान-3 की लैंडिंग एनिवर्सरी यानी कल विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की तरफ से खींची गईं हजारों तस्वीरें ISRO सामने रखने वाला है।' संगठन ने कहा, 'ये तस्वीरें विक्रम पर लैंडर इमेजर (LI) और रोवर इमेजर (RI) से ली गईं हैं। पहली तीन तस्वीरें LI से हैं और आखिर वाली RI से है।'
#ISRO is set to reveal the thousands of images captured by the Vikram Lander and Pragyan Rover on #Chandrayaan3's landing anniversary, i.e. tomorrow!! 📸 🌖Here's a sneak peek at some of those images:[1/3] Images taken by Pragyan's NavCam: 👇(Read alt text for details) pic.twitter.com/8wlbaLwzSX
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) August 22, 2024
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की याद में सरकार ने 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे मनाने का ऐलान किया था। भारत शुक्रवार को अपना पहला अंतरिक्ष दिवस मनाने जा रहा है। जिस स्थान पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई, उसे शिव शक्ति पॉइंट कहा गया।
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद और ISRO के वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने शोध में कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के शुरुआती विकास का राज खोला है। टीम ने अपने शोध में कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान रोवर से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रमा की सतह मैग्मा के महासागर से ढका हुआ था। यह विश्लेषण चंद्रमा पर मिट्टी की माप को लेकर था। ये आंकड़े प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर रिकॉर्ड किए थे।
इन आंकड़ों का शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया जिससे पता चला कि चंद्रमा की मिट्टी एक प्रकार की चट्टान फेरोअन अनोर्थोसाइट से बनी है। प्रज्ञान रोवर पर अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) द्वारा किए गए मापों का उपयोग करके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र मिट्टी की पहली इन-सीटू मौलिक प्रचुरता की रिपोर्ट की है।
'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन ने चंद्र मैग्मा महासागर परिकल्पना का समर्थन करने वाले साक्ष्य प्रदान किए हैं, जो भवष्यिवाणी करता है कि आदिम चंद्र क्रस्ट हल्के एनोर्थाइट प्लेगियोक्लेज़ के तैरने के परिणामस्वरूप बना था लेकिन एपीएक्सएस ने मैग्नीशियम युक्त खनिजों की अधिक प्रचुरता का भी पता लगाया, जो इसके नर्मिाण के दौरान दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन से निकाले गए गहरे परत के पदार्थ के योगदान को बताता है।
[3/3] This image captured by the RI cam provides perhaps the best visual of Pragyan's attempts to imprint India's national emblem on the Lunar regolith.As we know, this wasn't very successful as the texture of Lunar soil near South Pole was found to be different than expected. pic.twitter.com/hBZhR6G8y7
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) August 22, 2024
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