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विज्ञान
भारत के आदित्य L1 ने तो कमाल ही कर दिया, पूरी दुनिया को संकट से बचाएगा...रचा इतिहास
jantaserishta.com
29 Nov 2024 4:26 AM GMT
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पहले ही मिलेगी संभाविक खतरे की जानकारी.
नई दिल्ली: भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 अंतरिक्ष में रहकर कमाल कर रहा है। अदित्य एल1 ने धरती पर ऐसा डेटा भेजा है जो कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया को संकट से बचाने वाला है। सूर्य पर लगातार आग के तूफान उठते रहते हैं जो कि धरती के इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ISRO के वैज्ञानिकों का कहना है कि आदित्य एल1 अब सौर तूफान से संभाविक खतरे की जानकारी पहले ही दे देगा। ऐसे में अगली बार जब भी सूर्य पर हो रही गतिविधियों की वजह से धरती के बुनियादी ढांचे पर कोई खतरा आएगा तो उसे दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी। बता दें कि आदित्य एल1 पर सात उपकरण लगाए गए हैं जो कि लगातार डेटा कलेक्शन का काम कर रहे हैं और धरती पर भेज रहे हैं।
आदित्य एल 1 में विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ नाम का यंत्र लगाया गया है। यह कोरोनल मास इजेक्शन का सही समय बता देता है। सूर्य के बाहरी परत कोरोना से निकलने वाले आवेशित कणों की वजह से होने वाले विस्फोट को सौर तूफान कहते हैं। इसका अध्ययन सौर मिशन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।
सीएमई सूर्य की बाहरी परत से उठने वाले आग के बड़े-बड़े गोले होते हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट में एक जानकार के हवाले से बताया गया कि ये आग के गोल आवेशित कणओं से मिलकर बनते हैं और इनका वजह एक ट्रिलियन किलोग्राम से भी ज्यादा हो सकता है। ये गोल 3 हजार किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ते हैं। सूर्य से उठने वाले आग के गोले की दिशा कुछ भी हो सकती है। यह पृथ्वी की तरफ भी आ सकता है, हालांकि इसकी संभावना कम ही रहती है।
उनके मुताबिक अगर यह आग का गोला पृथ्वी की तरफ बढ़ने लगता है तो 15 घँटे में ही धरती को निगल जाएगा। उनका कहना है कि एक आग का गोला पृथ्वी की तरफ ही पैदा हुआ था हाला्ंकि किन्हीं कारणों से यह पीछे की ओर चला गया। इससे पृथ्वी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सूर्य की बाहरी परत कोरोना पर उठने वाली लपटें पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करती रहती हैं। इससे पैदा होने वाली मैक्नेटिक फील्ड अगर पृथ्वी पर टकराती है तो इलेक्ट्रिक ग्रिड भी फेल हो सकती है। कई बार दक्षिणी ध्रुव पर रंगीन अरोरा भी इसी की वजह से दिखाई देता है।
अगर ज्यादा ताकतवर कोरोनल मास इजेक्शन होता है तो यह पृथ्वी की कक्षा में मौजूद सैटलाइट्स को भी खराब कर सकता है। इसके अलावा इंटरनेट और अन्य कम्युनिकेशन सिस्टम भी खराब हो सकते हैं। 1859 में अब तक का सबसे बड़ा सौर तूफान आया था जिसकी वजह से टेलीग्राफ लाइन बंद हो गई थीं। इस साल 23 जुलाई को भी कोरोनाल मास इजेक्शन हुआ था। हालांकि यह नासा की सोलर ऑब्जरवेटरी स्टीरियो ए सेटकरा गया। भारत के वैज्ञानिकों ने आदित्य एल 1 को ऐसी जगह स्थापित किया है जहां से वह सूर्य की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं।
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