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भारतीय खगोलविद एक के बाद एक कामयाबी हासिल कर रहे हैं
भारतीय खगोलविद एक के बाद एक कामयाबी हासिल कर रहे हैं। इसरो के चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं के अस्तित्व की ऐतिहासिक खोज की थी। इसके बाद से ही लगातार भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊचाइयां छू रहे हैं। हाल ही में अहमदाबाद की पीआरएल की एक टीम ने बृहस्पति के आकार का 1.4 गुना एक एक्सोप्लैनेट खोजा है। यह एक एजिंग स्टार की परिक्रमा कर रहा है जो हमारे सूर्य से 1.5 गुना बड़ा है और 725 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
वहीं अभी पिछले हफ्ते पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स की एक अन्य टीम ने रेडियो स्टार्स के एक दुर्लभ वर्ग को खोजने की सूचना दी थी, जो सूर्य से अधिक गर्म हैं और इनका चुंबकीय क्षेत्र आसामान्य रूप से मजबूत है। नए एक्सोप्लैनेट को TOI 1789b कहा जा रहा है, जिसकी खोज प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती और उनकी टीम ने की थी। एक्सोप्लैनेट का द्रव्यमान बृहस्पति के 70 फीसदी होने का पता चला है और इसका आकार बृहस्पति के लगभग 1.4 गुना है।
अपने सूर्य के 'बेहद करीब' नया एक्सोप्लैनेट
शोधकर्ताओं ने PARAS का इस्तेमाल करके इसकी खोज की थी, जो एक एक्सोप्लैनेट के द्रव्यमान को मापने में सक्षम है। इसकी माप दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच ली गई थी। TOI 1789b अपने सूर्य की परिक्रमा सिर्फ 3.2 दिनों में कर सकता है और इसकी तारे से दूरी सिर्फ 0.05 AU पर रहती है (सूर्य और बुध के बीच की दूरी का लगभग दसवां हिस्सा)। अब तक ज्ञात कई एक्सोप्लैनेट में से दस से कम ऐसे क्लोज इन सिस्टम हैं।
सूर्य से भी ज्यादा गर्म ये आठ तारे
हमारा सूर्य लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस पर जलता है और इसकी कोर का तापमान इससे भी ज्यादा रहता है। ऐसे में यह कल्पना करना मुश्किल है कि कोई खगोलीय पिंड इससे भी ज्यादा गर्म हो सकता है। लेकिन बरनाली दास के नेतृत्व में एनसीआरए की पुणे स्थित एक टीम ने दुर्लभ श्रेणी के रेडियो स्टार्स से संबंधित आठ सितारों की खोज की है, जो वास्तव में सूर्य से भी गर्म हैं। इस खोज के लिए एक जाइंट मीटरवेव रेडियो पल्स (यूजीएमआरटी) का इस्तेमाल किया गया था।
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