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भारत ने भी बना रखे हैं कई मुल्कों में फौजी ठिकाने, जानें

jantaserishta.com
21 April 2022 9:57 AM GMT
भारत ने भी बना रखे हैं कई मुल्कों में फौजी ठिकाने, जानें
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नई दिल्ली: विदेशी धरती पर मिलिट्री बेस यानी सैन्य बेस बनाने का मकसद होता है सैन्य उपकरणों और सैनिकों की रक्षा करना. ऑपरेशंस समेत कई तरह के कार्यों की ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही विदेशी सैन्य बेस बनाने वाले देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं. पूरी दुनिया में अमेरिका अकेला ऐसा देश है जिसके पास 38 अंतरराष्ट्रीय मिलिट्री बेस है. आइए जानते हैं कि भारत के मिलिट्री बेस किन-किन देशों में मौजूद है.

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से करीब 130 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित फरखोर (Farkhor) में भारतीय मिलिट्री का एयर बेस है. इसे भारतीय वायुसेना संचालित करती है. इसका साथ ताजिकिस्तान की एयरफोर्स देती है. यह भारत का पहला मिलिट्री बेस है, जो अपनी धरती से बाहर बनाया गया था. ईरान में स्थित चबहार पोर्ट और अफगानिस्तान के रास्ते परिवहन की सुविधा मिली हुई है. यहां पर वायुसेना ने सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट तैनात कर रखे हैं.
भूटान में भारत का सैन्य बेस एक स्थाई ट्रेनिंग सेंटर है. इसे भारतीय मिलिट्री ट्रेनिंग टीम (IMTRAT) बुलाया जाता है. यह ट्रेनिंग सेंटर पश्चिमी भूटान में मौजूद है. इसकी स्थापना 1961-62 में की गई थी. यहीं पर भूटान की रॉयल भूटान आर्मी (RBA) के जवानों की ट्रेनिंग होती है. मित्र देश में मौजूद यह सबसे पुराना भारतीय मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर है. यहां का कमांडेंट भूटान के राजा को रक्षा मामलों में सलाह देता है. क्योंकि यहां पर रक्षामंत्री नहीं होते.
भारतीय मिलिट्री ने उत्तरी मैडागास्कर में लिसनिंग पोस्ट और एक राडार फैसिलिटी बना रखी है. इसका निर्माण 2007 में हुआ था. ताकि हिंद महासागर से होने वाले जहाजों के मूवमेंट पर नजर रखी जा सके. समुद्री संचार को सुना और समझा जा सके. इसकी मदद से मैडागास्कर की नौसेना सर्विलांस भी करती है. चुंकि मैडागास्कर की सेना इतनी मजबूत नहीं है कि वो घुसपैठ या आतंकी गतिविधियों को रोक सके, इसलिए भारतीय सेना उनकी मदद कर रही है.
भारत सरकार ने मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर कोस्टल सर्विलांस राडार सिस्टम लगाया है. यह द्वीप हिंद महासागर में स्थित है. इसे बनाने का मकसद था भारत और मॉरीशस के बीच सैन्य सहायता पैदा करना. यह एक रणनीतिक स्थान है, जहां से बहुत बड़े समुद्री इलाके पर सीधी नजर रखी जाती है. यह पूरा का पूरा आइलैंड भारतीय मिलिट्री बेस है.
ओमान के रास अल हद नाम की जगह पर भारतीय मिलिट्री ने एक लिसनिंग पोस्ट बना रखी है. इसके अलावा भारत के पास मस्कट नौसैनिक बेस पर बर्थिंग अधिकार है. यानी वहां पर भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों, पनडुब्बियों आदि को ईंधन आदि की सहायता मिल जाती है. इसके अलावा Duqm में भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना का छोटा बेस है.
विदेशी धरती पर सैन्य बेस बनाने से कई तरह के फायदे होते है. पहला तो ये आप किसी ट्रेनिंग ले या दे पाते हैं. दूसरा उस देश के लोगों में भारतीयता का वर्चस्व बढ़ता है. प्रतिष्ठा बढ़ती है. साथ ही दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाता है. दो देश मिलकर एक सैन्य बेस से कई अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और वहां होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं.

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