विज्ञान

बहुत कम हो गई है बिजली गिरने की घटनाएं, वैज्ञानिकों ने किया ये दावा

Gulabi
24 Jan 2022 5:08 PM GMT
बहुत कम हो गई है बिजली गिरने की घटनाएं, वैज्ञानिकों ने किया ये दावा
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कोरोना के कहर के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन लगाने को मजबूर होना पड़ा
कोरोना (Corona) के कहर के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन (Lockdown) लगाने को मजबूर होना पड़ा. हालांकि यह सब दुर्भाग्य से करना पड़ा लेकिन अब इसके कई सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि 2020 में लगाए गए लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में तड़ित बिजली (lightning) की उत्पति कम हुई जिसके कारण दुनिया भर में आसमानी आफद से बहुत हद तक कम सामना करना पड़ा है. अमेरिकन जियोफिजिक्स यूनियन (American Geophysical Union -AGU) ने पर्यावरणीय कारकों के विश्लेषण के आधार पर पाया कि आकाश से बिजली गिरने की घटना में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी आई है.
एरोसॉल ऑप्टिक डेप्थ तकनीक से माप
मेसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology) के प्रोफेसर और इस स्टडी के लेखक अर्ली विलियम्स (Earle Williams) ने कहा कि अध्ययन में बिजली गिरने की घटना को मापने के लिए तीन तरीकों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन तीनों तरीकों में कमोबेश एक ही नतीजा सामने आया, वह यह कि बिजली गिरने की घटना में कमी आई है. अध्ययन में एरोसॉल ऑप्टिकल डेप्थ (Aerosol Optical Depth -AOD) का सहारा लिया गया. जीवाश्य ईंधन के जलने से पर्यावरण में जो पार्टिकल पैदा होते हैं, उन्हें नापने के लिए एओडी तकनीक का सहारा लिया जाता है. यही पार्टिकल जलवाष्प और बादल को बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
आसमान में कैसे बनती है तड़ित बिजली
जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण जितने अधिक ये पार्टिकल पर्यावरण में बनते हैं, उतने ही अधिक ये पर्य़ावरण में मौजूद नमी को सोख लेते हैं, इससे पानी की मात्रा सीमित हो जाती है और छोटे-छोटे आइस क्रिस्टल बनने लगते हैं. ये आइस क्रिस्टल बादल के साथ टकराकर विद्युत आवेशित हो जाते हैं और बिजली पैदा करते हैं. कभी-कभी ये बिजली जमीन पर ऊंची वस्तुओं से टकरा जाती है जिसे बिजली गिरने की घटना कहते हैं. अध्ययन में मार्च 2020 से मई 2020 के बीच जीवाश्म ईंधन से निकले एरोसॉल के स्तर और बिजली गिरने की घटना को मापा गया. फिर इसकी तुलना 2018 में इसी अवधि के दौरान बिजली गिरने की घटना और एरोसॉल के लेवल से की गई. इसके बाद पाया गया कि 2020 में एरोसॉल का लेवल कम था जिसके कारण बिजली गिरने की घटना में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी आई.
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